CULCUTTA HC: निजी उद्योगों में रोजगार विनियमन पर बंगाल सरकार का फैसला रद्द किया

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

CULCUTTA HC: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में स्थायी और संविदा कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया की निगरानी के लिए समितियां गठित करने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया और इसे रद्द कर दिया।

CULCUTTA HC

यह मामला 2022 का है, जब राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सभी प्रकार की भर्तियां केवल जिला मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता वाली समितियों की जानकारी में की जाएं।

CULCUTTA HC: मामले की पृष्ठभूमि

पश्चिम बंगाल श्रम विभाग द्वारा जारी इस अधिसूचना का उद्देश्य राज्य में भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और संगठित बनाना था। सरकार का तर्क था कि निजी प्रतिष्ठानों में भर्ती के दौरान अनियमितताएं देखी गई हैं और ट्रेड यूनियन बिना सरकार की जानकारी के विवादों का निपटारा कर रही हैं।

अधिसूचना के तहत, औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में संविदा और स्थायी कर्मचारियों की भर्ती जिला स्तरीय समितियों की जानकारी और उनकी मंजूरी के तहत होनी थी। इन समितियों में जिला मजिस्ट्रेटों को अध्यक्ष बनाया गया था।

KERALA HC: दैनिक खर्चों के लिए दी गई ग्रांट सेवाओं या वस्तुओं की आपूर्ति के बदले में नहीं

GAUHATI HC: POCSO मामले में बाल पीड़िता के बयान पर सजा नहीं

न्यायमूर्ति रवि कृष्ण कपूर की एकल पीठ ने राज्य सरकार के इस कदम को गैर-जरूरी, अनुचित और अतार्किक करार दिया। कोर्ट ने माना कि यह अधिसूचना न केवल संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) (व्यवसाय करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करती है, बल्कि अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का भी हनन करती है।

कोर्ट ने कहा, “ऐसे फैसले से उद्योग और वाणिज्य क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हो सकती है। यह कदम उद्योग की वृद्धि और विकास में बाधा डालने वाला है और निजी उद्योगों की स्वतंत्रता पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाता है।”

CULCUTTA HC: औद्योगिक विवाद अधिनियम का उल्लंघन

कोर्ट ने औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Disputes Act) का हवाला देते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत पहले से ही विवाद समाधान के लिए सुलह अधिकारियों (Conciliation Officers) की नियुक्ति का प्रावधान है। अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि द्विपक्षीय समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “यह अधिसूचना अधिनियम के तहत सुलह अधिकारियों की शक्तियों में हस्तक्षेप करती है। राज्य सरकार किसी बाहरी समिति के माध्यम से इस प्रक्रिया को नहीं बदल सकती। सुलह की प्रक्रिया को अन्य माध्यमों से बाधित करना अवैध है।”

अदालत ने कहा कि सरकार ने इस अधिसूचना को लागू करने के लिए किसी वैधानिक शक्ति का उल्लेख नहीं किया। न तो औद्योगिक विवाद अधिनियम और न ही किसी अन्य कानून में सरकार को ऐसा अधिकार दिया गया है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अधिसूचना रोजगार अधिसूचना अधिनियम (Employment Exchange Act) के प्रावधानों से भी टकराती है। इस अधिसूचना को “अनावश्यक और अनुपातहीन” बताते हुए अदालत ने इसे खारिज कर दिया।

CULCUTTA HC: कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों की भागीदारी का अभाव

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार द्वारा गठित समितियों में न तो कर्मचारियों और न ही ट्रेड यूनियनों का कोई प्रतिनिधित्व था। यह अधिसूचना निजी उद्योगों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है।

कोर्ट ने कहा, “अधिसूचना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी भर्ती समिति की जानकारी के बिना न हो। यह कदम अत्यधिक और अनुपातहीन है। राज्य सरकार का यह कदम औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।”

Headlines Live News

अदालत ने राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द करते हुए इसे असंवैधानिक और उद्योगों की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ करार दिया। कोर्ट ने कहा कि निजी उद्योगों को रोजगार देने या रोजगार पाने की प्रक्रिया को किसी भी अप्रत्यक्ष तरीके से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कार्यपालिका को उद्योगों के अधिकारों में मनमाने तरीके से हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने इस अधिसूचना के तहत किए गए सभी कार्यों को अमान्य घोषित कर दिया।

मामला: टाटा स्टील लिमिटेड (हूगली मेट कोक डिवीजन) बनाम पश्चिम बंगाल सरकार
याचिकाकर्ता के वकील: सौम्या मजूमदार और संजुक्ता दत्ता
प्रतिवादी के वकील: सिरसन्या बंद्योपाध्याय और तपति सामंता

CULCUTTA HC: निजी उद्योगों में रोजगार विनियमन पर बंगाल सरकार का फैसला रद्द किया
JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi✌🏻

Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता