Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र को चुनौतियों और बदलते हुए मतदाता समीकरणों का सामना

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By headlineslivenews.com

Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र को चुनौतियों और बदलते हुए मतदाता समीकरणों का सामना

Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र, दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट लोकसभा सीट का हिस्सा है और इसे 2008 में अस्तित्व में लाया गया था।

Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र को चुनौतियों और बदलते हुए मतदाता समीकरणों का सामना

Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र, दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट लोकसभा सीट का हिस्सा है और इसे 2008 में अस्तित्व में लाया गया था।

Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र को चुनौतियों और बदलते हुए मतदाता समीकरणों का सामना

यह क्षेत्र बुराड़ी, कादीपुर, इब्राहिमपुर, मुखमेलपुर, नंगली पूना, झरोड़ा, जगतपुर जैसे पुराने गांवों के साथ-साथ सैकड़ों अधिकृत और अनधिकृत कॉलोनियों से भी घिरा हुआ है। इन कॉलोनियों में विशेष रूप से पूर्वांचल और उत्तराखंडी समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है, जिनका इस क्षेत्र में प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते जनसंख्या दबाव और बदलते राजनीतिक समीकरणों ने बुराड़ी को एक महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र बना दिया है।

Delhi Election 2025: जनसंख्या विस्फोट और संसाधनों की कमी

Delhi Election 2025: बुराड़ी क्षेत्र में पिछले एक दशक में जनसंख्या का विस्फोटक रूप से बढ़ना देखा गया है, जिसके कारण कई मुद्दे सामने आ रहे हैं। यहां अवैध कॉलोनियों की संख्या बढ़ी है, और इसी के साथ जल निकासी, सीवरेज, सड़क जाम, पार्क की कमी जैसे समस्याएं भी सामने आ रही हैं। खासतौर से आउटर रिंग रोड से बुराड़ी के लिए आने वाली मुख्य सड़क पर अक्सर जाम और अतिक्रमण की स्थिति रहती है।

इसके साथ ही बुराड़ी के कुछ इलाकों में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था तक नहीं है और सीवरेज की भी समस्याएं हैं। यहां की कॉलोनियों में हायर एजुकेशन के लिए कोई भी बेहतरीन विकल्प उपलब्ध नहीं है, और गर्मी के महीनों में पानी की सप्लाई भी एक गंभीर मुद्दा बन जाती है। इन सभी समस्याओं के बावजूद, बुराड़ी की बढ़ती जनसंख्या चुनावी राजनीति को प्रभावित कर रही है, खासतौर पर पूर्वांचल और उत्तराखंडी वोटरों के दबदबे के कारण।

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Delhi Election 2025: वोटरों की बदलती जनसंख्या और राजनीतिक समीकरण

बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट के अनुसार, यहां पर करीब 3,83,040 वोटर हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा वोट 30 से 39 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। इन युवा वोटरों की संख्या करीब 1,15,384 है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां की जनसंख्या में खास बदलाव यह है कि पहले जाट और त्यागी समाज का वर्चस्व था, लेकिन अब पूर्वांचल और उत्तराखंडी समुदाय के वोटरों की संख्या में इजाफा हो गया है। यही कारण है कि राजनेताओं के लिए इन वोटरों का समर्थन प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।

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आम आदमी पार्टी का वर्चस्व और संजीव झा का प्रभाव

बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र में पिछले एक दशक से आम आदमी पार्टी (AAP) का वर्चस्व बना हुआ है। पार्टी के संजीव झा ने इस सीट पर तीन बार चुनाव जीतकर साबित किया है कि वह इस क्षेत्र में एक मजबूत चेहरा बन चुके हैं। संजीव झा की जीत के पीछे यहां के पूर्वांचल और उत्तराखंडी वोटरों का बड़ा योगदान रहा है। आम आदमी पार्टी की राजनीति यहां के नागरिकों के लिए सेवा और विकास के वादों से जुड़ी हुई है। पार्टी ने इस इलाके में बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की योजना बनाई थी, जिसके चलते जनता ने उन्हें बार-बार अपना समर्थन दिया।

Delhi Election 2025: बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र को चुनौतियों और बदलते हुए मतदाता समीकरणों का सामना

बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन की राजनीति

हालांकि, बीजेपी ने भी इस सीट पर अपनी उम्मीदवारी को मजबूती से पेश किया है। बीजेपी की जेडीयू से गठबंधन होने के बाद, शैलेंद्र कुमार को जेडीयू के उम्मीदवार के रूप में उतारा गया है। शैलेंद्र कुमार पूर्वांचल के वोटरों में विशेष पहचान रखते हैं, और उनका नाम यहां के चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। बीजेपी ने यहां पर पूर्वांचल और उत्तराखंडी वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कुछ प्रमुख चेहरों को मैदान में उतारा है।

उत्तराखंडी और कुमाऊं वोटर्स का योगदान

बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र में उत्तराखंडी और कुमाऊं समाज का भी एक अहम योगदान है। इन समुदायों के सदस्य आमतौर पर बीजेपी के समर्थन में रहते हैं, और उनका यह समर्थन चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। खासतौर पर उत्तराखंडी समुदाय के लोग इस क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जो चुनावी परिणामों में बदलाव का कारण बन सकते हैं।

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पुरानी राजनीति और वर्तमान स्थिति

2008 से पहले, जब बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र भलस्वा-जहांगीरपुरी का हिस्सा हुआ करता था, तब इस क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा था। इस समय के दौरान जिले सिंह चौहान नामक कांग्रेस नेता ने यहां लगभग 10 साल तक विधायक के रूप में कार्य किया था। हालांकि, जब बुराड़ी को एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया, तो यहां पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला तेज हो गया। संजीव झा की लगातार जीत ने आम आदमी पार्टी को इस सीट पर स्थिर किया, जबकि बीजेपी ने एक बार जीत हासिल की थी।

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राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चुनावी सीट

बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र में बढ़ती जनसंख्या और सामाजिक बदलावों के कारण अब यह सीट बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। यहां के वोटर अब पहले से ज्यादा राजनीतिक रूप से सजग हो गए हैं और हर पार्टी अपनी रणनीतियों के तहत उन्हें आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। वोटरों का जनसांख्यिकीय मिश्रण और विभिन्न समुदायों का समर्थन इस सीट को एक दिलचस्प चुनावी क्षेत्र बनाते हैं।

बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले चुनावों में पूर्वांचल, उत्तराखंडी, और कुमाऊं समुदाय के वोटरों का अहम योगदान होगा। इन वोटरों के चुनावी समीकरणों के आधार पर इस क्षेत्र में होने वाली चुनावी लड़ाई रोचक साबित हो सकती है।