DELHI GANG WAR की कहानी: दिल्ली में चल रही गैंगवॉर की घटनाएं एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार पुलिस का फोकस है हाशिम बाबा गैंग और उसके कुख्यात सदस्यों पर।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में अपराध को जड़ से खत्म करने के लिए पुलिस ने इस गैंग के प्रमुख किरदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इनमे सबसे बड़ा नाम सामने आया है साबिर चौधरी का, जिसे नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में गैंगवॉर के आगाज़ का अहम चेहरा माना जा रहा है।
DELHI GANG WAR की कहानी: MCOCA के तहत सख्त कार्रवाई की तैयारी में दिल्ली पुलिस
पिछले साल ग्रेटर कैलाश-1 (GK-1) इलाके में हुए नादिर शाह मर्डर केस में साबिर चौधरी की संलिप्तता सामने आने के बाद से ही पुलिस उसकी तलाश में है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह इस हत्याकांड की साजिश में शामिल रहा है। इसके अलावा गैंग के ‘चाणक्य’ माने जाने वाले अनवर चाचा की भी तलाश की जा रही है। इन दोनों पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और स्थानीय थानों द्वारा कई ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।
गोकुलपुरी थाने में दर्ज मकोका (MCOCA) के तहत कार्रवाई अब इन दोनों के खिलाफ और सख्त होती जा रही है। इसके साथ ही नादिर मर्डर केस में सरकारी गवाह बने एक शख्स को धमकाने और पलटने के लिए दबाव बनाने का केस भी दर्ज हो चुका है, जो साबिर और उसके गुर्गों की संलिप्तता को और पुख्ता करता है।
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हाशिम बाबा गैंग से लिंक और पुराना आपराधिक इतिहास
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, साबिर चौधरी का हाशिम बाबा गैंग से गहरा नाता है, हालांकि पहले कोई सीधा लिंक सामने नहीं आया था। साल 2019 में क्राइम ब्रांच ने उसे अब्दुल नासिर पर लगे मकोका में जोड़ने की कोशिश की थी, जो तकनीकी कारणों से असफल रही। फिर भी, स्पेशल सेल ने 2020 में और भजनपुरा पुलिस ने 2022 में उसे आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था।
हाल ही में नादिर शाह मर्डर केस में एक सरकारी गवाह के बयान में साबिर का नाम सामने आने से उसकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। उसी गवाह को डराने-धमकाने का मामला अब साबिर और गैंग के अन्य सदस्यों के खिलाफ एक और मजबूत सबूत बनकर उभरा है। इस मामले में गैंगस्टर हाशिम बाबा की पत्नी जोया को भी 25 फरवरी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
राशिद केबलवाला और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
हाशिम बाबा गैंग से जुड़े एक और नाम की चर्चा जोरों पर है, वह है राशिद केबलवाला। बताया जा रहा है कि यह गैंगस्टर विदेश से गैंग को ऑपरेट कर रहा है और उसका नाम भी सरकारी गवाह पर दबाव बनाने के मामले में सामने आया है। साथ ही, वह 31 अक्टूबर 2024 को बिहारी कॉलोनी में हुए डबल मर्डर केस में भी वॉन्टेड है।
दिल्ली गैंगवॉर की शुरुआत और साबिर की भूमिका
पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, दिल्ली में गैंगवॉर की शुरुआत 2006 में हुई थी, जब अनवर ठाकुर और सलीम पहलवान के बीच टकराव शुरू हुआ। इस संघर्ष की जड़ में एक मर्डर था, जिसमें सलीम के भाई नईम ने अनवर के करीबी इब्राहिम उर्फ बद्दू को मार दिया था। बदले में अनवर के गुर्गों ने जुलाई 2008 में सलीम गैंग के शमीम चौधरी की हत्या की, जो साबिर चौधरी का बड़ा भाई था।
अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए साबिर और उसके छोटे भाई बाबर ने उसी दिन दो हत्यारों को मार डाला। एक महीने के अंदर उन्होंने एक अन्य आरोपी और फिर अगले दिन एक और विरोधी गैंग के सदस्य को खत्म कर दिया। इस सिलसिले में साबिर पर 2009 में मकोका लगा, लेकिन वह बाद में अदालत से बरी हो गया।
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सियासी समर्थन में पत्नी फामिदा के रिश्तेदारों की अहम भूमिका
दिलचस्प बात यह है कि साबिर चौधरी केवल अपराध की दुनिया तक सीमित नहीं रहा। 2007 में उसने उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उसने बीएसपी उम्मीदवार से मात्र चार हजार वोट से हार झेली थी। यह भी सामने आया है कि उसकी पत्नी फामिदा के रिश्तेदार खतौली में जिला पंचायत सदस्य थे, जिन्होंने चुनावी समर्थन दिया था।
हाशिम बाबा गैंग के खिलाफ पुलिस का बड़ा ऑपरेशन
फिलहाल पुलिस की स्पेशल सेल, स्थानीय थाने और खुफिया एजेंसियां मिलकर हाशिम बाबा गैंग को नेस्तनाबूद करने में जुटी हैं। साबिर चौधरी और अनवर चाचा जैसे अहम किरदारों को पकड़ने के लिए दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में ताबड़तोड़ छापेमारी चल रही है।
नादिर मर्डर केस के सभी आरोपी गैंगस्टरों की पहचान की जा चुकी है और उन पर मकोका, आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए हैं। दिल्ली पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में लगातार कार्रवाई कर रही है।
यह मामला दिल्ली में गैंगवॉर की जड़ों तक जाने और उसे खत्म करने की बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। जिस तरह से साबिर चौधरी, अनवर चाचा, हाशिम बाबा और राशिद केबलवाला जैसे नामों का जिक्र हो रहा है, उससे स्पष्ट है कि पुलिस की इस बार की रणनीति पूरी गैंग को खत्म करने की है।