DELHI HC: योग गुरु बाबा रामदेव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) द्वारा 2019 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील की लिखित प्रस्तुतियों को मीडिया आउटलेट्स, विशेष रूप से बार एंड बेंच, के साथ साझा करने पर कड़ा ऐतराज जताया है। यह मामला उनकी जीवनी ‘गॉडमैन टू टाइकून – द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव’ के कुछ अंशों पर आधारित है, जिन्हें हाई कोर्ट ने वैश्विक स्तर पर ब्लॉक करने का निर्देश दिया था।
DELHI HC: मामले की पृष्ठभूमि
2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उनकी जीवनी के कुछ हिस्सों को “अपमानजनक” मानते हुए वैश्विक स्तर पर इंटरनेट से हटाने का आदेश दिया था। यह आदेश प्रियंका पाठक नारायण की पुस्तक और इसके प्रकाशक जगरनॉट बुक्स पर लगाया गया था। इसमें बाबा रामदेव के व्यक्तिगत जीवन और उनके सहयोगियों की विवादास्पद घटनाओं का उल्लेख था।
रामदेव ने इसे निराधार और उनकी छवि को धूमिल करने वाला बताया।
इसके बाद, जगरनॉट बुक्स ने 2018 में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी, लेकिन मामला अभी भी लंबित है।
संसद में हुई धक्कामुक्की: क्या कदम उठाएगा राज्यसभा चेयरमैन? 2024
DELHI HC: CLAT उत्तर कुंजी पर त्रुटि? दिल्ली HC का सवाल
हाल ही में, एक्स ने 2019 के आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि किसी भी देश के न्यायालय को वैश्विक स्तर पर इंटरनेट सामग्री को हटाने का आदेश देने के बजाय केवल भू-अवरुद्ध (जियो-ब्लॉकिंग) का आदेश देना चाहिए।
एक्स ने अपनी लिखित प्रस्तुतियों में यह भी तर्क दिया कि वैश्विक स्तर पर सामग्री हटाने के आदेश से “नीचे की ओर दौड़” की स्थिति पैदा हो सकती है, जहां प्रत्येक देश अपने अनुसार सामग्री सेंसर करने लगेगा।
हालांकि, रामदेव के वकील ने इन प्रस्तुतियों को मीडिया में साझा करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एक्स ने कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बजाय मामले को सार्वजनिक बहस का विषय बना दिया है।
DELHI HC: रामदेव के वकील की प्रतिक्रिया
वरिष्ठ अधिवक्ता दर्पण वाधवा ने अदालत में अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा,
“उन्होंने (एक्स) लिखित प्रस्तुतियाँ हमारे साथ साझा करने से पहले मीडिया में प्रकाशित कीं। क्या वे यह मामला कोर्ट में लड़ रहे हैं या मीडिया में?”
उन्होंने जोर देकर कहा कि रामदेव की ओर से प्रस्तुतियाँ केवल न्यायालय में दायर की गई थीं, जबकि एक्स ने अपनी दलीलों को मीडिया में साझा करके अनुचित व्यवहार किया।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और सौरभ बनर्जी की खंडपीठ ने वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद टिप्पणी की कि आजकल ऐसे मामलों में मीडिया कवरेज आम हो गया है।
DELHI HC: मेटा और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भूमिका
इस मामले में मेटा (फेसबुक) के वकील ने तर्क दिया कि भारतीय अदालतों का आदेश अन्य देशों की न्यायिक प्रक्रिया पर कैसे लागू होगा, यह स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आदेश केवल भू-अवरुद्ध तक सीमित होने चाहिए।
रामदेव के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा,
“मध्यस्थ (मेटा और एक्स) को केवल सामग्री हटाने के निर्देश का पालन करना चाहिए। उनके लिए इसे चुनौती देना अनुचित है।”
‘गॉडमैन टू टाइकून’ के कुछ अंश बाबा रामदेव के सहयोगी शंकर देव जी के लापता होने और उनके गुरु स्वामी योगानंद के विवादास्पद प्रसंगों पर आधारित थे। रामदेव ने इसे “निराधार आरोप” बताते हुए किताब के प्रकाशन और वितरण पर रोक लगवाई थी।
2018 में न्यायालय ने कहा था कि यदि प्रकाशक पुस्तक को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो उन्हें विवादास्पद अंश हटाने होंगे।
DELHI HC: निष्कर्ष
इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी 2025 को होगी। यह मामला न्यायिक आदेशों की सीमा, स्वतंत्रता और डिजिटल प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालता है। अदालत का फैसला न केवल भारतीय न्यायिक प्रक्रिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डालेगा।