DELHI HC: कैट 2024 परिणाम चुनौती याचिका खारिज की

Photo of author

By headlineslivenews.com

DELHI HC: कैट 2024 परिणाम चुनौती याचिका खारिज की

DELHI HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) और अन्य बिजनेस स्कूलों में प्रवेश के लिए आयोजित कॉमन एडमिशन

DELHI HC

DELHI HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) और अन्य बिजनेस स्कूलों में प्रवेश के लिए आयोजित कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) 2024 के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

DELHI HC

याचिकाकर्ता ने उत्तर कुंजी में कथित त्रुटि का हवाला देते हुए परिणाम रद्द करने और सही उत्तरों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने का अनुरोध किया था। न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि ऐसे मामलों में हस्तक्षेप का कोई उचित कारण नहीं है।

DELHI HC: मामले की पृष्ठभूमि

कैट 2024 परीक्षा 24 नवंबर को आयोजित की गई थी और 3 दिसंबर को अनंतिम उत्तर कुंजी जारी की गई थी। परिणाम 19 दिसंबर को घोषित किए गए। याचिकाकर्ता आदित्य कुमार मलिक, जो परीक्षा में उपस्थित हुए थे, ने आरोप लगाया कि उत्तर कुंजी में एक प्रश्न के उत्तर को लेकर त्रुटि थी।

DELHI RIOTS: उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत का पुलिस ने विरोध किया

DELHI ELECTION 2025: शालीमार बाग से रेखा गुप्ता मैदान में

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनकी आपत्ति को विभिन्न प्रतिष्ठित कैट कोचिंग संस्थानों के विशेषज्ञों और संकाय सदस्यों ने समर्थन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि विवादित प्रश्न पर 272 आपत्तियां उठाई गईं थीं। बावजूद इसके, आईआईएम कलकत्ता ने अनंतिम उत्तर कुंजी में कोई बदलाव किए बिना अंतिम उत्तर कुंजी जारी कर दी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह ने न्यायालय में प्रस्तुत किया कि:

  1. उत्तर कुंजी में त्रुटि: याचिकाकर्ता ने दावा किया कि परीक्षा के कॉम्प्रिहेंशन सेक्शन के एक प्रश्न का सही उत्तर उत्तर कुंजी में गलत तरीके से बताया गया था।
  2. आपत्तियों पर विचार न करना: याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तर कुंजी पर दर्ज 272 आपत्तियों के बावजूद, आईआईएम कलकत्ता ने उन्हें नकार दिया और अंतिम उत्तर कुंजी में कोई बदलाव नहीं किया।
  3. जल्दबाजी में परिणाम घोषित करना: याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कैट के परिणाम सामान्यतः जनवरी के दूसरे सप्ताह में घोषित होते हैं, लेकिन इस बार 19 दिसंबर को परिणाम घोषित किए गए, जो “जल्दबाजी” को दर्शाता है।
  4. विशेषज्ञ समिति की मांग: याचिकाकर्ता ने सही उत्तर निर्धारित करने के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने की मांग की।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के मामले में अंतिम उत्तर कुंजी में त्रुटि के कारण परिणाम संशोधित करने का आदेश दिया था।

DELHI HC: आईआईएम कलकत्ता का पक्ष

आईआईएम कलकत्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद नायर ने याचिकाकर्ता के दावों का विरोध किया। उन्होंने प्रस्तुत किया:

  1. विशेषज्ञ समिति का दृष्टिकोण: नायर ने तर्क दिया कि उत्तर कुंजी पर याचिकाकर्ता की आपत्ति पहले ही विषय विशेषज्ञ समिति द्वारा जांची जा चुकी है।
  2. कोचिंग संस्थानों का विरोध: नायर ने कहा कि कोचिंग केंद्रों द्वारा दिए गए समाधान विशेषज्ञ समिति की साख को कम नहीं कर सकते।
  3. परीक्षा में हस्तक्षेप का निषेध: उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि सही उत्तर के बारे में किसी भी संदेह की स्थिति में, विशेषज्ञ समिति के दृष्टिकोण पर भरोसा किया जाना चाहिए।
  4. विशेषज्ञों की साख: उन्होंने न्यायालय को सीलबंद लिफाफे में विशेषज्ञों के सदस्यों के नाम और साख प्रस्तुत किए।
Headlines Live News

न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने मामले पर सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा, “हमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।”

न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि प्रतियोगी परीक्षाओं के विवादों में केवल विशेष परिस्थितियों में ही हस्तक्षेप किया जा सकता है। उन्होंने कहा:

  • “सामान्यतः न्यायालय प्रतियोगी परीक्षाओं में हस्तक्षेप नहीं करेगा। केवल जब कोई गंभीर गलती हो, हम हस्तक्षेप करेंगे।”
  • “अगर कोई अस्पष्ट क्षेत्र है, तो न्यायालय विशेषज्ञों के दृष्टिकोण का सम्मान करेगा।”

DELHI HC: पक्षकारों की ओर से वकील

Headlines Live News

याचिकाकर्ता आदित्य कुमार मलिक का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह, सनल नांबियार, इशिता गोयल, चेतना सिंह और चारू सिंह ने किया।

आईआईएम कलकत्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद नायर ने पैरवी की, जिन्हें फॉक्स एंड मंडल की टीम के अधिवक्ता कुणाल वजानी, कुणाल मिमानी, शर्मिष्ठा घोष, कार्तिकेय भट्ट और तनिश अरोड़ा ने निर्देशित किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तर कुंजी को चुनौती देना तभी स्वीकार्य है जब त्रुटियां गंभीर और स्पष्ट हों। याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई आपत्तियां और तर्क न्यायालय को हस्तक्षेप के लिए पर्याप्त नहीं लगे। न्यायालय ने विशेषज्ञ समिति और परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थान के दृष्टिकोण पर भरोसा जताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

DELHI HC