DELHI HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा की गई कुछ नकारात्मक टिप्पणियों को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी की हिरासत की मांग चार्जशीट या शिकायत के दायर होने के बाद भी की जा सकती है।
DELHI HC: मामले का पृष्ठभूमि
ED ने 5 और 19 अक्टूबर 2024 को ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी किए गए दो आदेशों के खिलाफ अपील की थी, जो एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित थे। पहले आदेश में, ट्रायल कोर्ट ने कहा कि मामले में एक मुख्य आरोपी का पता नहीं लगाने में ED की असफलता “दुराचार” का संकेत देती है।
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ट्रायल कोर्ट ने ED की आलोचना की कि वह पर्याप्त दबाव बनाने के उपाय नहीं कर रही थी, जबकि उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय था। अदालत ने यह भी कहा कि जबकि गिरफ्तारी और जांच का अधिकार जांच एजेंसी के पास है, प्रक्रिया को मनमानी या मनमानी तरीके से नहीं चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, ट्रायल कोर्ट ने ED के निदेशक से एक विस्तृत रिपोर्ट की मांग की।
DELHI HC: असंतोष व्यक्त करना
दूसरे आदेश में, ट्रायल कोर्ट ने ED के प्रति असंतोष व्यक्त किया कि उसने मांगी गई रिपोर्ट नहीं दी। कोर्ट ने कहा, “यह सब ED पर बुरा प्रभाव डालता है। ED की इस लापरवाह दृष्टिकोण को बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। आज IO की अनुपस्थिति इसके स्पष्ट प्रमाण हैं।”
न्यायमूर्ति अनुप जयराम भामभानी की खंडपीठ ने ED के संचालन और जांच अधिकारी (IO) के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों को अनुचित बताया। कोर्ट ने कहा, “यह कहना आवश्यक नहीं है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अदालत द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणियों का उनके आधिकारिक रिकॉर्ड और करियर पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से यदि ऐसी टिप्पणियाँ अनुचित या अव्यवस्थित हैं।”
DELHI HC: ED की अपील
इसके जवाब में, ED ने इन टिप्पणियों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। ED के विशेष वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियाँ आधारहीन और गलत समझी गई थीं। उन्होंने बताया कि ED ने भगोड़े आरोपी को पकड़ने के लिए कई समन जारी किए, उसके विभिन्न पते का भौतिक सत्यापन किया और उसे रोकने के लिए इमीग्रेशन ब्यूरो को सूचित किया।
उच्च न्यायालय ने ED के तर्कों से सहमति जताते हुए पुष्टि की कि एजेंसी को चार्जशीट दाखिल करने के लिए भगोड़े आरोपी की गिरफ्तारी का इंतजार नहीं करना पड़ता। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुख्य आरोपी का पता न चलने पर ED के अभियोजन शिकायत के खिलाफ कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित सिद्धांतों को दोहराते हुए, उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि ED द्वारा अभियोजन शिकायत का दाखिल होना लापरवाही का संकेत नहीं है और यह भी कहा कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद आरोपी की हिरासत मांगी जा सकती है।
DELHI HC: निर्णय और निष्कर्ष
अंततः, उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियों को खारिज करने का आदेश दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि यह चल रही ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही के संबंध में कोई निर्णय नहीं ले रहा है। कोर्ट ने कहा, “जिन टिप्पणियों का उल्लेख किया गया है, वे 05.10.2024 और 19.10.2024 के आदेशों में की गई हैं, वे हटा दी जाएँगी।”
प्रवर्तन निदेशालय बनाम लक्षय विजय एवं अन्य
याचिकाकर्ता: विशेष वकील जोहेब होसैन, विशेष लोक अभियोजक मनीष जैन, पैनल वकील विवेक गुर्नानी, अधिवक्ता प्रांजल त्रिपाठी और सुरधिश वत्स।
प्रतिवादी: अधिवक्ता वान्या गुप्ता