DELHI HC: टैटू के प्रतिबंध को जानते हुए सशस्त्र बल के सदस्य की अयोग्यता सही

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By headlineslivenews.com

DELHI HC: टैटू के प्रतिबंध को जानते हुए सशस्त्र बल के सदस्य की अयोग्यता सही

DELHI HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सहायक उप-निरीक्षक (कार्यकारी) के पद पर नियुक्ति के लिए समीक्षा चिकित्सा

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DELHI HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सहायक उप-निरीक्षक (कार्यकारी) के पद पर नियुक्ति के लिए समीक्षा चिकित्सा परीक्षा (Review Medical Examination, RME) के निष्कर्षों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सशस्त्र बल के सदस्य को यह जानकारी होनी चाहिए थी कि बाएं अग्रभाग की बाहरी सतह पर टैटू बनाना निषिद्ध है।

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DELHI HC: कोर्ट का मामला और याचिका

खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर शामिल थे, ने याचिकाकर्ता की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने CISF में सहायक उप-निरीक्षक (कार्यकारी) के पद पर नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उन्हें टैटू के कारण अयोग्य घोषित करना अनुचित है।

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हालांकि, अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता पहले से ही सशस्त्र बलों का सदस्य था, इसलिए उसे यह पता होना चाहिए था कि सशस्त्र बलों में इस प्रकार के चिकित्सा मानकों का पालन आवश्यक है।

अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता, जो पहले से सशस्त्र बलों का सदस्य है, को यह जानकारी होनी चाहिए थी कि बाएं अग्रभाग की बाहरी सतह पर टैटू रखना निषिद्ध है। इसके बावजूद उसने इस मानक का उल्लंघन किया। नए उम्मीदवारों के मामले में, जो शायद इन मानकों से अनजान हों, कुछ रियायत दी जा सकती है, लेकिन पहले से सशस्त्र बल का सदस्य होने के कारण याचिकाकर्ता को इस पर कोई छूट नहीं दी जा सकती।”

DELHI HC: याचिकाकर्ता की दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रजत अरोड़ा ने तर्क दिया कि:

  1. चूंकि टैटू को आसानी से हटाया जा सकता है, इसलिए याचिकाकर्ता को इसे हटाने का समय दिया जाना चाहिए था।
  2. स्टाफ सिलेक्शन कमीशन बनाम दीपक यादव मामले का हवाला देते हुए यह दलील दी गई कि चिकित्सा परीक्षण के दौरान ऐसे मामलों में लचीलापन अपनाया जाना चाहिए।

सरकारी पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक वत्सल जोशी ने निम्न तर्क दिए:

  1. 31 मई 2021 को जारी संशोधित दिशानिर्देश “Revised Uniform Guidelines for Review Medical Examination in Central Armed Police Forces and Assam Rifles” के अनुसार, केवल बाएं अग्रभाग की आंतरिक सतह पर टैटू की अनुमति है।
  2. याचिकाकर्ता, जो पहले से सशस्त्र बलों का सदस्य था, को इस नियम के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए थी।
  3. याचिकाकर्ता ने इसके बावजूद बाएं अग्रभाग की बाहरी सतह पर टैटू बनवाया, जो कि स्पष्ट रूप से निषिद्ध है।

DELHI HC: सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पावनेश कुमार बनाम भारत संघ (2023) मामले का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (LDCE) के माध्यम से उच्च पदों पर नियुक्ति सामान्य प्रमोशन के समान नहीं होती। ऐसे मामलों में उम्मीदवार को विज्ञापन में दी गई सभी शर्तों का पालन करना आवश्यक है।

खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति प्रक्रिया की सभी शर्तों का पालन करना चाहिए था। चूंकि वह पहले से सशस्त्र बलों का सदस्य था, इसलिए उसे इन मानकों के बारे में जानकारी होनी चाहिए थी और इसका पालन करना चाहिए था।

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अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को टैटू प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा, “विज्ञापन में दिए गए मानकों और दिशानिर्देशों का पालन न करने के लिए याचिकाकर्ता स्वयं जिम्मेदार है।”

DELHI HC: महत्वपूर्ण तथ्य

  • मामला: गेदेला चंद्र शेखर राव बनाम भारत संघ एवं अन्य (2024: DHC: 9646-DB)
  • पक्षकारों के अधिवक्ता:
  • याचिकाकर्ता: रजत अरोड़ा, नीरज कुमार।
  • उत्तरदाता: वत्सल जोशी, हुसैन तक़वी, अतुल सेन (CISF), एसआई प्रहलाद देवेंद्र, एसआई ए.के. सिंह।

यह निर्णय सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों में अनुशासन और चिकित्सा मानकों के महत्व को रेखांकित करता है। अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि इन मानकों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को कोई रियायत न दी जाए, खासकर जब वे पहले से ही सेवा में हों।

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