DELHI HIGH COURT ने उठाए गंभीर मुद्दे: दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के पुलिस आयुक्त से जवाब मांगा है कि क्या अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के मामलों में दिल्ली पुलिस के साथ किसी प्रोटोकॉल पर सहमति बनी है।
हाईकोर्ट ने यह जवाब एक व्यक्ति की गिरफ्तारी को लेकर दायर की गई हैबियस कॉर्पस याचिका पर विचार करते हुए मांगा। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यूपी पुलिस ने दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना उसे कनॉट प्लेस से गिरफ्तार किया और अज्ञात स्थान पर ले गई। हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का अनुपालन किया जाए।
DELHI HIGH COURT ने उठाए गंभीर मुद्दे: बिना प्रोटोकॉल गिरफ्तारी पर जांच अनिवार्य
हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस धर्मेश शर्मा शामिल हैं, ने कहा कि संदीप कुमार बनाम राज्य मामले में 2019 में दिए गए फैसले के अनुसार, उचित प्रोटोकॉल का पालन किए बिना अंतरराज्यीय गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता है, क्योंकि गिरफ्तारी के दौरान किसी भी निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
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MLC रिपोर्ट से हिंसा के प्रमाण आरोपी के साथ दुर्व्यवहार का आरोप
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष तर्क रखा कि संदेह है कि यूपी पुलिस ने व्यक्ति को जबरन उठाया और उसे किसी अज्ञात स्थान पर रखा। आरोप लगाया गया कि उसे किसी भी अदालत में पेश नहीं किया गया और न ही इस संबंध में दिल्ली पुलिस को कोई सूचना दी गई। याचिका में दावा किया गया कि आरोपी को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया, उसके साथ मारपीट की गई और दुर्व्यवहार किया गया। इसके अतिरिक्त, आरोप है कि आरोपी का मेडिकल परीक्षण (MLC) किया गया, जिससे यह साबित होता है कि उसके साथ हिंसा की गई।
पुलिस रिमांड न बढ़ाने पर व्यक्ति को किया गया रिहा
यूपी पुलिस के वकील ने अदालत को बताया कि व्यक्ति के खिलाफ ग्रेटर नोएडा, गौतमबुद्ध नगर के बीटा II थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी और उसे ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत को यह भी बताया गया कि व्यक्ति की पुलिस रिमांड को आगे नहीं बढ़ाया गया और इसलिए उसे रिहा कर दिया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि गिरफ्तारी से पहले दिल्ली पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई थी। अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी का कोई स्पष्ट आधार नहीं बताया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यदि निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता, तो गिरफ्तारी खुद ही कानून के विपरीत हो सकती है।
अंतरराज्यीय गिरफ्तारी पर प्रोटोकॉल के अनुपालन की जांच
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के संबंध में कोई प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया है और यदि हां, तो क्या उसका अनुपालन किया गया। अदालत ने पुलिस आयुक्त से सीसीटीवी फुटेज की जांच करने का निर्देश दिया ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली पुलिस को बिना किसी सूचना के व्यक्ति को कैसे उठाया।
इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी प्रश्न उठाया कि क्यों निजी वाहनों का उपयोग किया गया और क्यों यूपी पुलिस के अधिकारी गिरफ्तारी के समय वर्दी में नहीं थे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह की गिरफ्तारी को यदि नियमों के अनुसार नहीं किया गया, तो यह अवैध मानी जाएगी।
गिरफ्तारी में शामिल पुलिसकर्मियों की पहचान की जाएगी
अदालत ने पुलिस आयुक्त से स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल होने चाहिए:
- याचिकाकर्ता को दिल्ली से उठाने वाले पुलिसकर्मी कौन थे?
- गिरफ्तारी के लिए किस वाहन का इस्तेमाल किया गया?
- मेडिकल लीगल केस (MLC) की रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकला?
- क्या एक्स-रे रिपोर्ट किसी चोट या हिंसा के संकेत देती है?
इन सभी बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी मांगते हुए, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की है।
मामले का टाइटल: सतिंदर सिंह भसीन बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य और अन्य।
वकीलों ने कहा हम कोई अपराधी है