DELHI RIOTS: दिल्ली पुलिस ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी बड़ी साजिश के मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया है। आरोपियों ने मुख्य रूप से मुकदमे में देरी को आधार बनाकर जमानत मांगी है।
हालांकि, पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के कड़े प्रावधानों का हवाला देते हुए जमानत याचिका का विरोध किया और आरोप लगाया कि मुकदमे में देरी के लिए खुद आरोपी जिम्मेदार हैं।
DELHI RIOTS: पुलिस का तर्क: यूएपीए का हवाला
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर शामिल हैं, से मामले की गंभीरता को देखते हुए “बहुत सख्त रुख” अपनाने का आग्रह किया। शर्मा ने अदालत को बताया कि यूएपीए के तहत लगाए गए आरोप गंभीर हैं और जमानत देने से साजिश के व्यापक प्रभाव को नज़रअंदाज किया जाएगा।
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शर्मा ने कहा, “अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) उन लोगों के लिए भी उपलब्ध है जो इस साजिश का शिकार हुए हैं और अपनी जान गंवा चुके हैं। इसे केवल आरोपियों के अधिकारों तक सीमित नहीं किया जा सकता।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह साजिश भारत विरोधी ताकतों द्वारा सुनियोजित तरीके से अंजाम दी गई थी।
उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और खालिद सैफी समेत अन्य आरोपी जेल में कई वर्षों से बंद हैं। ट्रायल कोर्ट ने अभी तक उनके खिलाफ आरोप तय नहीं किए हैं, जिसके चलते उन्होंने मुकदमे में देरी को आधार बनाकर जमानत मांगी है।
हालांकि, एएसजी चेतन शर्मा ने आरोप लगाया कि मुकदमे में देरी के लिए आरोपी स्वयं जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ट्रायल जज द्वारा पारित तीन अलग-अलग आदेश स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि आरोपियों ने ही मुकदमे में बाधा डाली है।
शर्मा ने कहा, “रिकॉर्ड खुद बोल रहा है। मुझे और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।”
DELHI RIOTS: उमर खालिद के खिलाफ विशेष तर्क
पुलिस ने उमर खालिद के मामले में विशेष रूप से तर्क दिया कि उन्हें पहले ही एक बार अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार किया जा चुका है। एएसजी शर्मा ने कहा कि वर्तमान जमानत याचिका दायर करने के लिए परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
शर्मा ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों के अनुसार, मुकदमे में देरी को जमानत का आधार नहीं माना जा सकता। उन्होंने एनआईए बनाम जहूर अहमद शाह वटाली और हाल ही में गुरविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामलों का हवाला दिया।
दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के सख्त प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जमानत तभी दी जा सकती है जब अदालत प्रथम दृष्टया यह पाए कि आरोप असंगत हैं। शर्मा ने अदालत को बताया कि जांच में आरोप स्पष्ट रूप से सामने आए हैं और उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
उन्होंने कहा, “प्रथम दृष्टया जांच में, आपके आधिपत्य केवल यह देखेंगे कि यदि कोई आरोप है और वह उचित है, तो बस इतना ही है।”
DELHI RIOTS: पुलिस का दावा: साजिश का बड़ा नेटवर्क
एएसजी ने अदालत को बताया कि दिल्ली दंगों की साजिश एक व्यापक और सुनियोजित योजना का हिस्सा थी। इस साजिश के तहत भारत विरोधी ताकतों ने दंगों को अंजाम देने के लिए सुनियोजित तरीके से काम किया।
शर्मा ने कहा, “यह साजिश न केवल नैदानिक है, बल्कि रोगात्मक भी है। इसे भारत विरोधी ताकतों द्वारा अंजाम दिया गया, जिन्होंने इसे देश के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।”
शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मुकदमे में देरी को जमानत का आधार नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि यह न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
DELHI RIOTS: पुलिस की दलीलें जारी रहेंगी
दिल्ली पुलिस ने अपने तर्कों को स्पष्ट करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत को जमानत याचिकाओं को खारिज करना चाहिए।
मामले में पुलिस की दलीलें बुधवार को भी जारी रहेंगी। उच्च न्यायालय इस मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर अंतिम निर्णय सुनाएगा।
दिल्ली पुलिस ने 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए यूएपीए के कड़े प्रावधानों का हवाला दिया। उन्होंने मुकदमे में देरी के लिए आरोपियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जमानत देने से साजिश के बड़े प्रभाव को नज़रअंदाज किया जाएगा। अब यह देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है।