DIGITAL ARREST: आज के डिजिटल युग में, जैसे-जैसे हमारी ज़िंदगी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ा है, वैसे-वैसे साइबर क्राइम की घटनाओं में भी तेजी आई है। हाल ही में डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest) का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें साइबर ठगों ने एक बुजुर्ग महिला को फेक मनी लाउंड्रिंग केस में फंसाकर 14 लाख रुपये की ठगी कर ली।
यह मामला मुंबई से जुड़ा है, जहां इस पूरी घटना ने बुजुर्ग महिला को इतना भयभीत कर दिया कि उसने अपनी बैंक डिटेल्स और फिक्स्ड डिपॉजिट भी ठगों को दे दी। आइए इस मामले को विस्तार से समझते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह Digital Arrest साइबर ठगी किस प्रकार से काम करती है।
DIGITAL ARREST: तीन कॉल्स के बाद बुजुर्ग महिला बनी साइबर ठगी का शिकार
DIGITAL ARREST: मुंबई में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला को सबसे पहले एक अंजान नंबर से फोन कॉल प्राप्त हुई। कॉलर ने खुद को दिल्ली टेलीकॉम डिपार्टमेंट का अधिकारी बताया और कहा कि महिला के खिलाफ एक हाई प्रोफाइल मनी लाउंड्रिंग केस दर्ज है। कॉलर ने बताया कि महिला का आईडी कार्ड एक गंभीर अपराध में शामिल पाया गया है, और उसे तुरंत जांच में सहयोग करना होगा वरना उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस डर से महिला घबरा गई और अगली कॉल्स में ठगों की बातों पर भरोसा करने लगी।
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इसके बाद, महिला को दूसरी कॉल एक व्यक्ति से मिली जिसने खुद को दिल्ली साइबर क्राइम ब्रांच का ऑफिसर बताया। उसने अपना नाम राकेश कुमार बताया और बताया कि महिला के खिलाफ दिल्ली क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज है। उसने जोर देकर कहा कि यह एक गंभीर अपराध है और इसके कारण महिला को 3 से 5 साल तक की जेल हो सकती है। इस प्रकार की धमकियों से महिला अत्यधिक डरी और चिंतित हो गई।
कुछ ही समय बाद, महिला को तीसरी कॉल आई जिसमें कॉलर ने खुद को शोभा शर्मा के रूप में पहचान दी और मामले की जांच के लिए महिला से बैंक डिटेल्स, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), और अन्य व्यक्तिगत जानकारी मांगी। महिला ने भयवश अपनी सभी जानकारी उपलब्ध कराई और कॉलर के कहने पर अपनी FD तोड़ी और म्यूचुअल फंड सहित अन्य बचतों से पैसा निकाला। अंततः महिला ने 14 लाख रुपये RTGS के माध्यम से उस खाते में भेज दिए जो ठगों ने उसे दिया था।
DIGITAL ARREST: कैसे काम करता है Digital Arrest फ्रॉड?
DIGITAL ARREST: साइबर सिक्योरिटी एजेंसी CERT-In के अनुसार, Digital Arrest एक नया साइबर ठगी का तरीका है, जिसमें ठग किसी व्यक्ति को फोन कॉल, मैसेज, या ईमेल के माध्यम से संपर्क करते हैं और उन्हें बताते हैं कि वह एक गैर-कानूनी गतिविधि में शामिल हैं। इसमें मनी लाउंड्रिंग, फेक आईडी का इस्तेमाल या अन्य अपराधों के आरोप लगाए जाते हैं। इसके बाद ठग यह दावा करते हैं कि व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और जेल भी भेजा जा सकता है।
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ठग, पीड़ित को जांच में मदद करने के लिए ऑनलाइन आने को कहते हैं और डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं। इसके बाद वे पीड़ित के साथ इस तरह का व्यवहार करते हैं मानो उसे एक डिजिटल चार्जशीट में शामिल किया गया है और फिर उस चार्जशीट से नाम हटाने या वेरिफिकेशन के नाम पर बड़ी राशि की मांग की जाती है। इस प्रकार पीड़ित से पैसे की मांग कर उसे ठगा जाता है।
DIGITAL ARREST: साइबर ठगी में वृद्धि के कारण
टेक्नोलॉजी का अधिक उपयोग: बढ़ते डिजिटल युग में अधिकतर लोग ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल पेमेंट और अन्य वित्तीय सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। इससे ठगों के लिए उनके खातों में सेंध लगाना आसान हो गया है।
डर और धमकी का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: ठग, पीड़ित को जेल और गिरफ्तारी के डर का लाभ उठाते हैं। वे लोगों को इस प्रकार मानसिक रूप से भयभीत कर देते हैं कि वे बिना कुछ सोचे-समझे पैसे देने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कम जागरूकता: अधिकतर लोग साइबर क्राइम से बचाव के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं। साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फ्रॉड के बारे में जानकारी की कमी होने के कारण वे आसानी से ठगी के शिकार हो जाते हैं।
फर्जी पहचान का उपयोग: ठग, पुलिस अधिकारी, बैंक अधिकारी या किसी अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में पहचान देकर लोगों को ठगते हैं, जिससे लोग उनकी बातों पर भरोसा कर लेते हैं।
DIGITAL ARREST: कैसे बच सकते हैं Digital Arrest फ्रॉड से?
- जागरूक रहें: अगर आपको किसी भी अंजान नंबर से कॉल आती है, जिसमें किसी कानूनी कार्रवाई की बात की जा रही है, तो उसे अनदेखा करें और संबंधित अथॉरिटी से संपर्क करें।
- अपनी बैंकिंग डिटेल्स साझा न करें: किसी को भी अपनी बैंकिंग जानकारी, ओटीपी, या अन्य संवेदनशील जानकारी न बताएं।
- फर्जी कॉल्स की रिपोर्ट करें: अगर आपको ऐसा कोई कॉल आता है, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन को सूचित करें।
- सोशल इंजीनियरिंग को समझें: ठग, मनोवैज्ञानिक तरीके से लोगों को डराने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार की ठगी को समझें और सजग रहें।
- CERT-In की एडवाइजरी का पालन करें: CERT-In ने ऐसे कई फ्रॉड के बारे में एडवाइजरी जारी की है जिसमें फर्जी कॉल्स के बारे में बताया गया है। सरकारी वेबसाइट्स और साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर हमेशा अपडेट रहें।
DIGITAL ARREST: मुंबई पुलिस की कार्यवाही
मुंबई पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक जांच शुरू की है। पुलिस का कहना है कि साइबर ठगों ने दिल्ली टेलीकॉम डिपार्टमेंट और साइबर क्राइम ब्रांच का फर्जी अधिकारी बनकर महिला से संपर्क किया और उसे इस तरह की ठगी में फंसा दिया। अब पुलिस ठगों के फोन नंबरों को ट्रेस कर रही है और इस मामले में शामिल व्यक्तियों को पकड़ने के लिए कार्यवाही कर रही है।
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DIGITAL ARREST: ठगी के बाद पीड़िता का बयान
इस घटना के बाद पीड़ित महिला के बेटे ने जब इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी, तब जाकर महिला को इस बात का अहसास हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हो चुकी है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि ठगों ने जिस प्रकार से पुलिस अधिकारी बनकर उनसे बात की, उस कारण उन्हें कुछ भी शक नहीं हुआ और वह इस जाल में फंस गईं।
DIGITAL ARREST: साइबर ठगी का नया खतरनाक तरीका
Digital Arrest साइबर ठगी का एक नया तरीका है जिसमें ठग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नकली पहचान का सहारा लेकर लोगों को डराते और धमकाते हैं। ऐसे मामलों में अधिकतर बुजुर्ग और डिजिटल ज्ञान से अनभिज्ञ लोग ठगी का शिकार बनते हैं। इस प्रकार की घटनाएं इस बात का संकेत देती हैं कि साइबर अपराधी लगातार अपने तरीकों को बदल रहे हैं और अधिक से अधिक लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।
साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए, लोगों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। किसी भी प्रकार की फर्जी कॉल्स से बचें, अपनी बैंकिंग जानकारी साझा न करें, और तुरंत ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करें। साइबर ठगी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय यही है कि लोग खुद जागरूक बनें और अपने आसपास के लोगों को भी इस प्रकार की ठगी के बारे में जागरूक करें।