RAJASTHAN HC: समान आरोपों पर दूसरी एफआईआर दर्ज करने से पुलिस को रोक नहीं

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By headlineslivenews.com

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RAJASTHAN HC: राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) की धारा 233 की व्याख्या करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी मामले में समान आरोपों के आधार पर दूसरी एफआईआर दर्ज होती है, तो इसे रोका नहीं जा सकता।

RAJASTHAN HC

हालांकि, यदि शिकायत पहले ही दर्ज है और उस पर कार्यवाही जारी है, तो मजिस्ट्रेट को शिकायत की आगे की सुनवाई स्थगित करनी होगी और पुलिस जांच के नतीजे का इंतजार करना होगा।

यह फैसला न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की एकल पीठ ने दिया। मामले में याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर एफआईआर को चुनौती दी थी कि समान आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ पहले से एक शिकायत लंबित थी।

RAJASTHAN HC: मामले का विवरण

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यह याचिका राम चंद्र (याचिकाकर्ता 1) और मंजू देवी (याचिकाकर्ता 2) समेत अन्य लोगों द्वारा दायर की गई थी। उनके खिलाफ एफआईआर में आरोप था कि उन्होंने ग्राम सेवा सहकारी समितियों (सूदवाड़ और निमबोला बिसवा) में अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किया। आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 409 और 120-बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)(ए), 13(1)(सी)(डी) और 13(2) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।

शिकायतकर्ता नैनू राम ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अजमेर में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि:

  1. कृषि ऋण घोटाला:
    आरोपियों ने अपने परिवार के सदस्यों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कृषि ऋण मंजूर किया। इन ऋणों को बाद में सरकार की ऋण माफी योजना का लाभ दिलाकर माफ करा दिया गया।
  2. झूठा हलफनामा:
    मंजू देवी ने झूठे हलफनामे देकर यह तथ्य छुपाया कि उनका तीसरा बच्चा है। इस तथ्य को छुपाने के कारण वह समिति की अध्यक्ष बन गईं।
  3. साजिश और धन हानि:
    जांच में यह सामने आया कि आरोपियों ने निजी व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश रचते हुए इस योजना का दुरुपयोग किया। इसके परिणामस्वरूप, सरकारी कोष को ₹8,24,383 का नुकसान हुआ।

RAJASTHAN HC: पृष्ठभूमि और चुनौती

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ 2020 में पहले भी एक मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता नैनू राम ने इस मामले में अपने दिवंगत भाई मनोहर लाल की जगह ली थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि समान आरोपों के आधार पर दूसरी एफआईआर दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 233 (जो CrPC की धारा 210 के अनुरूप है) का संदर्भ देते हुए कहा:

“यदि समान आरोपों पर एक शिकायत पहले से दर्ज है और पुलिस को उसी आधार पर रिपोर्ट प्राप्त होती है, तो पुलिस को दूसरी एफआईआर दर्ज करने से रोका नहीं जा सकता।”

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को शिकायत पर आगे की सुनवाई रोकनी होगी और पुलिस जांच के परिणाम का इंतजार करना होगा।

कोर्ट ने कहा:

“इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समान आरोपों के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया बाधित न हो और दोनों मामलों में समन्वय बना रहे।”

RAJASTHAN HC: अंतिम निर्णय

राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया:

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  1. शिकायत की कार्यवाही स्थगित होगी:
    शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज शिकायत पर आगे की कार्यवाही तब तक स्थगित रहेगी जब तक कि वर्तमान एफआईआर के तहत जांच पूरी नहीं हो जाती।
  2. पुलिस जांच जारी रहेगी:
    जांच अधिकारी को निर्देश दिया गया कि वह एफआईआर के तहत जांच को विधि के अनुसार पूरा करें।

RAJASTHAN HC: मामले की स्थिति

मामला: राम चंद्र बिसू बनाम राजस्थान राज्य
पक्षकार:

  • याचिकाकर्ता: वरिष्ठ अधिवक्ता जगमाल सिंह चौधरी और प्रदीप चौधरी
  • उत्तरदाता: लोक अभियोजक विक्रम सिंह राजपुरोहित

कोर्ट का यह फैसला न केवल धारा 233 की व्याख्या करता है बल्कि इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रिया और पुलिस जांच में समन्वय बना रहे।

RAJASTHAN HC: समान आरोपों पर दूसरी एफआईआर दर्ज करने से पुलिस को रोक नहीं
JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi

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