Gujarat High Court: गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (GNLU) द्वारा एक छात्र को हॉस्टल से निलंबित करने के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. मायी की एकल पीठ ने विश्वविद्यालय द्वारा 20 सितंबर 2024 को जारी विवादित सूचना/नोटिस पर रोक लगाते हुए इसे स्थगित कर दिया। इस आदेश के तहत याचिकाकर्ता, जो कि विश्वविद्यालय का छात्र है, को तत्काल प्रभाव से हॉस्टल से निलंबित कर दिया गया था।
Gujarat High Court: मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता, जो गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत है, ने विश्वविद्यालय में एंटी-रैगिंग कानून के उल्लंघन की शिकायत की थी। यह शिकायत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के समक्ष दर्ज की गई थी। जांच के बाद, यूजीसी ने याचिकाकर्ता के समर्थन में फैसला सुनाते हुए प्रतिवादी को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता से माफी मांगे। लेकिन प्रतिवादी ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके चलते याचिकाकर्ता ने यूजीसी के ई-समाधान पोर्टल के माध्यम से इस मामले को फिर से उठाया।
यूजीसी ने इसके बाद विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता की शिकायत पर उचित कार्रवाई करे। इसके जवाब में, विश्वविद्यालय की स्टूडेंट डिसिप्लिनरी कमेटी (SDC) ने याचिकाकर्ता को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए पेश होने का नोटिस जारी किया। इस नोटिस में एक दुर्व्यवहार की घटना का जिक्र था, जिसमें याचिकाकर्ता को SDC के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया था।
Gujarat High Court: याचिकाकर्ता की अपील और निलंबन
याचिकाकर्ता ने विश्वविद्यालय से अनुरोध किया था कि वह परीक्षा की तैयारियों के चलते सुनवाई की तारीख को स्थगित कर दे। लेकिन विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ता का यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से समय पर पेश न होने और अनुशासनात्मक जांच में सहयोग न देने का आरोप लगाते हुए विश्वविद्यालय ने उसे हॉस्टल से निलंबित कर दिया और 24 घंटे के भीतर परिसर खाली करने का आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता ने इस आदेश का पालन किया और हॉस्टल से बाहर निकल गया।
याचिकाकर्ता ने इस निलंबन आदेश को अदालत में चुनौती दी। गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए, GNLU द्वारा जारी किए गए निलंबन आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि मामले के अंतिम निपटारे तक याचिकाकर्ता को हॉस्टल से बाहर नहीं किया जा सकता और उसे तुरंत हॉस्टल में उसके आवंटित कमरे में प्रवेश की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने कहा, “20 सितंबर 2024 की विवादित सूचना/नोटिस, जिसके तहत याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से हॉस्टल से निलंबित किया गया था, को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है।”
Gujarat High Court: याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत की गई याचिका में यह तर्क दिया गया कि विश्वविद्यालय ने उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और उसे प्रताड़ित करने के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही में शामिल होने से इनकार करने के आधार पर निलंबित कर दिया। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उसने यूजीसी के आदेश का पालन कराने के लिए विश्वविद्यालय के खिलाफ कदम उठाया था, जिससे विश्वविद्यालय ने उसे अनुशासनहीन घोषित कर दिया।
गुजरात हाई कोर्ट ने प्राथमिक सुनवाई के बाद पाया कि छात्र को निलंबित करने के निर्णय में कई गंभीर खामियाँ हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की परीक्षा की तैयारियों के चलते उसकी अनुपस्थिति को अनुशासनहीनता मानना गलत है।
इसके साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के हित में तुरंत राहत प्रदान की और उसे हॉस्टल में वापस आने का निर्देश दिया। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को यह भी निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के आवंटित कमरे में उसकी तुरंत वापसी सुनिश्चित करे।
Gujarat High Court: प्रतिक्रिया और निष्कर्ष
यह मामला गुजरात के शैक्षणिक संस्थानों में एंटी-रैगिंग कानून और अनुशासन के महत्व को उजागर करता है। यह केस न केवल याचिकाकर्ता के लिए बल्कि उन सभी छात्रों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो किसी भी प्रकार की प्रताड़ना या अनुचित व्यवहार के खिलाफ न्याय की उम्मीद रखते हैं। कोर्ट का यह निर्णय विश्वविद्यालयों में छात्रों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस आदेश से स्पष्ट है कि न्यायालय ने छात्रों के अधिकारों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और यह सुनिश्चित किया है कि संस्थान अनुशासनात्मक कार्यवाही के नाम पर छात्रों के साथ अन्याय न करें। याचिकाकर्ता अब पुनः अपने हॉस्टल में लौट सकता है और अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है, जबकि न्यायालय इस मामले के अंतिम निपटारे की प्रतीक्षा कर रहा है।
मामला शीर्षक: गौरव मीणा बनाम गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी