HATE SPEECH CASE: केरल की एक अदालत ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता पीसी जॉर्ज को कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच (Hate Speech) देने के मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
कोट्टायम जिले के एराट्टुपेटा न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी, जिससे उन्हें हिरासत में भेजने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इससे पहले, केरल हाईकोर्ट ने भी पीसी जॉर्ज की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 196(1)(ए), भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120(ओ) के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इन धाराओं के तहत सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और सार्वजनिक शांति भंग करने का आरोप लगाया गया है।
HATE SPEECH CASE: हेट स्पीच पर हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी
केरल हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान, जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि “राजनेताओं की धर्म और जाति पर बयानबाजी की प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि पीसी जॉर्ज जैसे नेता, जिनके पास 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है, यदि वे इतनी आसानी से उकसाए जा सकते हैं, तो वे राजनीति में बने रहने के लायक नहीं हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा, “मैं यह कहने के लिए मजबूर हूं कि याचिकाकर्ता जैसे राजनेता, जिनके पास विधायक के रूप में लगभग 30 साल का अनुभव है, यदि उन्हें इतनी आसानी से उकसाया जा सकता है, तो वे राजनीतिक नेता के रूप में बने रहने के लायक नहीं हैं।”
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बार-बार सांप्रदायिक बयानबाजी का आरोप
पीसी जॉर्ज के खिलाफ यह पहली बार नहीं है जब उन पर सांप्रदायिक बयानबाजी करने का आरोप लगा हो। कोर्ट ने अपने आदेश में इस तथ्य पर भी जोर दिया कि उन्होंने पहले भी इस तरह के बयान दिए थे और 2022 में हाईकोर्ट ने उन्हें ऐसे बयान देने से बचने के लिए विशेष रूप से निर्देशित किया था।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “मैंने FIR के मलयालम हिस्से को ही निकाला है, जिससे यह दिखाया जा सके कि भारत जैसे देश में एक राजनेता किस तरह से सार्वजनिक समारोहों में भाषण दे रहा है, भले ही वह हिंदू समुदाय का सम्मेलन हो!”
कोर्ट ने यह भी कहा कि पीसी जॉर्ज लगातार सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले बयान देकर न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं। यह एक गंभीर मामला है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
पीसी जॉर्ज पर आरोप है कि उन्होंने एक टेलीविजन बहस के दौरान मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की संभावना थी। इस बयान के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
उनके खिलाफ:
- IPC की धारा 196(1)(ए): यह धारा सरकार की अनुमति के बिना अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया से संबंधित है।
- BNS की धारा 299: यह धारा नफरत फैलाने वाले बयानों और सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देने से संबंधित है।
- केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120(ओ): यह धारा सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने और समुदायों के बीच नफरत फैलाने से संबंधित है।
पीसी जॉर्ज के खिलाफ पहले भी हो चुके हैं मामले
यह पहला मौका नहीं है जब पीसी जॉर्ज को हेट स्पीच के मामले में फंसा पाया गया हो। 2022 में भी उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इसी तरह के सांप्रदायिक बयान दिए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट ने तब उन्हें भविष्य में इस तरह की बयानबाजी से बचने की सलाह दी थी।
लेकिन हाईकोर्ट ने इस बार कहा कि पीसी जॉर्ज ने अपने बयानों से अदालत के निर्देशों की अवहेलना की है और बार-बार सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले बयान दे रहे हैं। इसी आधार पर उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।
जमानत याचिका क्यों हुई खारिज?
- सांप्रदायिक बयानबाजी की प्रवृत्ति: कोर्ट ने पाया कि पीसी जॉर्ज लगातार सांप्रदायिकता भड़काने वाले बयान दे रहे हैं।
- अदालत के आदेशों का उल्लंघन: 2022 में दिए गए हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
- सार्वजनिक शांति को खतरा: उनके बयानों से सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा था।
- राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारी: कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक नेताओं को अधिक जिम्मेदार होना चाहिए और अपने बयानों में संयम रखना चाहिए।
क्या पीसी जॉर्ज हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाएंगे?
अब जब अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है और उन्हें 14 दिन की हिरासत में भेज दिया गया है, तो देखना होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं। उनके वकील अब उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर सकते हैं।
हेट स्पीच पर न्यायपालिका का सख्त रुख
यह मामला दिखाता है कि न्यायपालिका अब हेट स्पीच के मामलों में कठोर रुख अपना रही है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनेताओं को समाज में सौहार्द बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, न कि सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना चाहिए। पीसी जॉर्ज की जमानत याचिका को खारिज करने का निर्णय भविष्य में हेट स्पीच के अन्य मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है।
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