ISS 2025 नासा एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 9 महीने स्पेस में बिताकर, आखिरकार पृथ्वी पर वापिस आ चुके हैं. बता दें कि एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स महज़ एक हफ्ते का मिशन लेकर अंतरिक्ष में गई थीं.
लेकिन उनके INTERNATIONAL SPACE STATION ISS में तकनीकी खराबी आने के कारण उनको मजबुरन इतना समय अंतरिक्ष में बिताना पड़ा. हालांकि नासा एस्ट्रोनॉट्स से जुड़ी खबर समस्त दुनिया को लगातार पहुंचा रहा था. साथ ही, एस्ट्रोनॉट्स की पल-पल की खबर रख रहा था. जिसके कारण उनको सही-सलामत वापिस लाना मुमकिन हो पाया.
ISS 2025 नासा एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 9 महीने स्पेस में बिताकर, आखिरकार पृथ्वी पर वापिस आ चुके हैं. बता दें कि एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स महज़ एक हफ्ते का मिशन लेकर अंतरिक्ष में गई थीं. लेकिन उनके यान में तकनीकी खराबी आने के कारण उनको मजबुरन इतना समय अंतरिक्ष में बिताना पड़ा. हालांकि नासा एस्ट्रोनॉट्स से जुड़ी खबर समस्त दुनिया को लगातार पहुंचा रहा था. साथ ही, एस्ट्रोनॉट्स की पल-पल की खबर रख रहा था. जिसके कारण उनको सही-सलामत वापिस लाना मुमकिन हो पाया.
हालांकि नौ महीने का समय काफी लंबा होता है. सोचने वाली बात है कि एक इंसान को रोज़मर्रा के कितने काम होते है, जो महज एक स्पेस क्राफ्ट के अंदर रहकर करना काफी असंभव सा लगता है. ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि स्पेसशिप के अंदर एस्ट्रोनॉट्स टॉयलेट-वॉशरूम कैसे जाते होंगे और जीने के लिए उनके खाने-पीने का क्या साधन होगा. तो आइए आपकी इसी गुत्थी को सुलझाते हुए, हम आपको देते है सबके प्रश्नों के जवाब.
कल यानी 19 मार्च को एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने कैप्सूल के ज़रिए फ्लोरिडा के कोस्ट पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है. उनके धरती पर सही-सलामत लौटने की उम्मीद सबने खो दी थी. लेकिन जब वो धरती पर वापिस लौटी, पूरी दुनिया उनके लिए काफी खुश हुई. नौ महीने का समय अंतरिक्ष में बिना गुरुत्वाकर्षण के गुज़ारना काफी चैलेंज भरा है. इंसान के रोजमर्रा के कितने नियम होते हैं, अपने शरीर को स्वच्छ और स्वास्थिक रखने के कितने प्रोसेस होते है. ये सब अंतरिक्ष में करना काफी असंभव सा लगता है. लेकिन हर समस्या को देखते हुए ही एक स्पेसक्राफ्ट तैयार किया जाता है. स्पेसशिप हर वो चीज मौजूद है, जो एक मनुष्य को चाहिए होती है. खाने-पीने से लेकर टॉयलेट तक का इंतेजाम. एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अपने आठ दिनों के मिशन पर गए थे, तो लाज़मी है की अपने खाने-पीने का बंदोबस्त वो उसी तरीके से करके गए होंगे. लेकिन एस्ट्रोनॉट्स कोई आसपास की जगह नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में जाते हैं, जहां ज़रूरत पड़ने पर कोई ऑन्लाइन सर्विस नहीं आ सकती. इसलिए एस्ट्रोनॉट्स अपने सारे इंतेज़ाम पहले से करके चलते हैं. साथ ही, सुनीता विलियम्स अपने स्पेसक्राफ्ट से जुड़ी वीडियोज़ बनाती रहती हैं, जिससे लोगों की क्युरिओसिटी खत्म की जा सकें.
ISS 2025: स्पेसशिप में होती है खाने की अरेंजमेंट-
स्पेसशिप में यात्रियों के लिए पिज़्जा, रोस्ट चिकन, श्रीम कॉकटेल जैसी चीजों का इंतेज़ाम पहले से होता है. इसके साथ ही, पिछले कुछ दिनों पहले सुनीता विलियम्स की रीलिज़ हुई एक फॉटो में वे पाउडर मिल्क, पिज्जा, टुना, रोस्ट चिकन का सेवन करते हुए भी दिखीं थीं. नासा पहले से ही अंतरिक्ष यात्रियों की कैलरी को मैनेज करने का इंतज़ाम करके रखता है. मीट और अंडों को धरती से ही पकाकार ले जाया जाता हैं और सूप, स्टू और कैसरोल जैसे डिहाइड्रेट फूड्स को ISS के 530 गैलन वाले ताजे वाटर टैंक के पानी से हाइड्रेट किया जाता है. यानी स्पेस यात्रियों के पास खाने का पूरा बंदोबस्त था. वहीं, स्पेस में खाने को चुंबकीय ट्रे पर धातु के बर्तनों के साथ पकाया जाता है ताकि उसे तैरने से बचाया जा सके.
ISS 2025: पेशाब को किया जाता है पिने के पानी से रिसाइकिल-
इसके साथ पीने के पानी की समस्या और पेशाब जाने की समस्याओं को भी सुलझाने के लिए एस्ट्रोनॉट्स के ही किए गए पेशाब को अच्छे से फिल्टर करके, वो उनके पीने के काम आता है. बिना ग्रैविटी के स्पेस में हर चीज तैरती है. इसलिए अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट्स के लिए काफी खास तरीके का टॉयलेट बनाया गया है. जो वैक्यूम वाला है, यानी ये टॉयलेट हवा के जरिए एस्ट्रोनॉट्स के शरीर से निकलने वाले मल को एक टैंक में वैक्यूम फोर्स की मदद से ले जाता है. ये एक आम टॉयलेट की तरह ही है. साथ ही, यूरीन के लिए भी एक वैक्यूम वाले पाइप का उपयोग होता है. अंतरिक्ष में यूरिन अलग टैंक में स्टोर होता है. जिसे एस्ट्रोनॉट्स रिसाइकिल करके पीने के पानी के रूप में उपयोग करते हैं.
ISS 2025: एस्ट्रोनॉट्स कैसे लेते शावर?
शरीर को साफ रखने के लिए एस्ट्रोनॉट्स आम बाथरूम की तरह शावर नहीं लेते हैं. बल्कि इसकी जगह वह अपने शरीर को गीले कपड़े या किसी खास लिक्विड का उपयोग करके साफ करते हैं.
ISS 2025: बैग में सोते है एस्ट्रोनॉट्स-
स्पेस में शरीर का भार कम हो जाता है और एस्ट्रोनॉट्स तैरने लगते हैं. जिसके चलते सोने के लिए उनको खुद को एक स्लीपिंग बैग में बंद करना पड़ता है. इस बैग में उलटे या सीधे किसी भी तरह से सोया जा सकता है.
ISS 2025: स्पेसशिप में होता है खास जिम-
एस्ट्रोनॉट्स को अपनी सेहत का खासा ध्यान रखना पड़ता है. जिसके कारण उन्हें कसरत और हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट भी करना पड़ता है. यही कारण है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जिम की व्यवस्था भी बखूबी की गई है. विशेषज्ञों के अनुसार, शून्य गुरुत्व या सूक्ष्म गुरुत्व के माहौल में एस्ट्रोनॉट को सेहत संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए उनके लिए एक्सर्साइज़ काफी महत्वपूर्ण है.
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