JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: भारतीय विमानन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी विमानन कंपनी जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (NCLAT) द्वारा जेट एयरवेज की समाधान योजना को मंजूरी देने और उसके स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित करने के फैसले को खारिज कर दिया है। इस फैसले ने कंपनी की परिसमापन प्रक्रिया को गति दी है, जिससे विभिन्न लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों को राहत मिल सकती है। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की वजह और इसके दूरगामी प्रभाव।
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और NCLT के फैसले की आलोचना
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: सुप्रीम कोर्ट ने 8 नवंबर 2024 को जेट एयरवेज की संपत्तियों की बिक्री का आदेश दिया, जिससे कंपनी के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। न्यायालय की पीठ, जिसमें प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने एनसीएलएटी द्वारा जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने और स्वामित्व हस्तांतरण के फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में अधिक प्रभावी है, क्योंकि परिसमापन के तहत कंपनी की संपत्तियों को बेचा जाता है और इससे प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है।
न्यायालय ने एनसीएलएटी को फटकार लगाते हुए कहा कि उसका फैसला गलत था और उसे उसे संशोधित करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एसबीआई और अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार किया, जिसमें उन्होंने जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया था।
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JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: परिसमापन प्रक्रिया का महत्व
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: जेट एयरवेज के परिसमापन के दौरान कंपनी की संपत्तियों को बेचा जाएगा और इससे प्राप्त धन का उपयोग कंपनी के ऋणों के भुगतान में किया जाएगा। इस प्रक्रिया का उद्देश्य कंपनी के बंद होने के बावजूद ऋणदाताओं को उनकी बकाया राशि का भुगतान करना है। जेट एयरवेज के परिसमापन के बाद इसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा और कंपनी की संपत्तियों का उपयोग विभिन्न आर्थिक लेन-देन को हल करने में किया जाएगा।
इस फैसले का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय किया कि परिसमापन से ज्यादा फायदा होगा क्योंकि यह कई बकाया लेनदारों के लिए राहत का काम करेगा। इसके अलावा, श्रमिकों के बकाए वेतन और अन्य देनदारियों का भुगतान भी इस प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।
संविधान की धारा 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट की विशेष शक्तियों का उपयोग
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो न्यायालय को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने का अधिकार प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि जेट एयरवेज की स्थिति और उसके समाधान में कई कानूनी जटिलताएँ थीं। न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग किया कि मामले में न्यायपूर्ण परिणाम सामने आए, जो सभी हितधारकों के लिए लाभकारी हो।
एनसीएलएटी ने इस मामले में 12 मार्च 2024 को जेट एयरवेज के समाधान की योजना को बरकरार रखते हुए उसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। इस फैसले के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं का उद्देश्य जेट एयरवेज के समाधान की योजना को फिर से खारिज करना था, ताकि उसे परिसमापन की प्रक्रिया के तहत चलाया जा सके।
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: जेट एयरवेज की वित्तीय स्थिति
जेट एयरवेज ने 2019 में वित्तीय संकट का सामना करना शुरू किया और इसके बाद कंपनी ने परिचालन बंद कर दिया। इस स्थिति से निपटने के लिए जेट एयरवेज ने समाधान योजना की शुरुआत की थी। जेट एयरवेज का कर्ज़ बढ़ते-बढ़ते लगभग 8000 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका था, जिसमें प्रमुख ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य सरकारी और निजी बैंक शामिल थे। इसके अलावा, कर्मचारियों के वेतन और अन्य देनदारियों का भुगतान भी लंबित था, जिससे श्रमिकों और अन्य हितधारकों के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई थी।
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JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: न्यायालय के आदेश का असर
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय जेट एयरवेज के ऋणदाताओं और कर्मचारियों के लिए राहत का संकेत है। अब, कंपनी के परिसमापन की प्रक्रिया तेज होगी, और इसके तहत कंपनी की संपत्तियों को बेचने के बाद प्राप्त धन से बकाए का भुगतान किया जाएगा। इससे कंपनी के समक्ष जो भी वित्तीय संकट था, वह दूर हो सकता है और इसकी ओर से किए गए प्रयासों को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।
इस आदेश का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि जेट एयरवेज की संपत्तियों को जल्द से जल्द बेचा जाएगा, जिससे ऋणदाताओं का बकाया चुकता किया जा सकेगा और कंपनी की स्थायी समापन प्रक्रिया को पूरा किया जा सकेगा। साथ ही, यह आदेश देश के विमानन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे सुप्रीम कोर्ट अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करके जटिल वित्तीय मामलों को सुलझा सकता है।
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: अंतिम विचार
JET AIRWAYS की संपत्तियों की बिक्री: जेट एयरवेज के परिसमापन का निर्णय न केवल कंपनी के लिए बल्कि विमानन उद्योग और बैंकिंग क्षेत्र के लिए भी एक अहम कदम है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी की संपत्तियों का सही उपयोग किया जाएगा और विभिन्न हितधारकों को उनकी न्यायसंगत हिस्सेदारी मिलेगी। इसके अलावा, यह निर्णय भारतीय न्यायिक प्रणाली की ताकत को भी प्रदर्शित करता है, जो न्याय को सुनिश्चित करने के लिए अपनी विशेष शक्तियों का सही उपयोग करता है।