KARNATAKA HC: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को बेंगलुरु की एक सत्र अदालत को निर्देश दिया कि वह 4 जनवरी तक निकिता सिंघानिया की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करे और इस पर फैसला सुनाए। निकिता, जो तकनीकी विशेषज्ञ अतुल सुभाष की पत्नी हैं, ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अंतरिम जमानत की मांग की थी।
KARNATAKA HC: मामले की पृष्ठभूमि
अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद पिछले महीने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले के बाद निकिता और उनके परिवार पर पुलिस ने गंभीर आरोप लगाए। निकिता ने गिरफ्तारी को गैर-कानूनी बताते हुए अदालत में याचिका दायर की।
SUPREME COURT: कर्नाटक कांग्रेस विधायक की चुनाव याचिका पर विचार से किया इनकार
नई सरकार की तैयारी: चुनावी सरगर्मियां तेज राजनीतिक खेल और वादों की जंग 2025 !
याचिका में निकिता का कहना है कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया और उनकी गिरफ्तारी अवैध है। उन्होंने अदालत से अंतरिम जमानत की मांग की ताकि वह अपने बचाव के लिए सर्वोच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही में शामिल हो सकें।
1 जनवरी को न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। अदालत ने निकिता की याचिका पर विचार करते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया।
न्यायालय ने निकिता की ओर से पेश हुए वकील की दलीलों को सुना। वकील ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को अंतरिम जमानत दी जाए, ताकि वह सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सास द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में भाग ले सकें। वकील ने यह भी कहा कि यदि निकिता को जमानत नहीं दी जाती है, तो उनकी अनुपस्थिति में हिरासत से संबंधित मामले का फैसला हो सकता है, जिससे उन्हें न्याय पाने का अवसर नहीं मिलेगा।
KARNATAKA HC: सुप्रीम कोर्ट में मामला और हिरासत की लड़ाई
सुप्रीम कोर्ट में, निकिता की सास ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। इसमें पोते की हिरासत को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है। निकिता के वकील ने कहा कि जमानत मिलने पर ही उनकी मुवक्किल सर्वोच्च न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपनी बात रख पाएंगी।
अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि हिरासत और जमानत दोनों ही मामले आपस में जुड़े हुए हैं। यह भी देखा गया कि इस तरह के मामलों में, एक पक्ष की अनुपस्थिति में फैसला न्याय की मूल भावना के खिलाफ हो सकता है।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह 4 जनवरी तक निकिता की जमानत याचिका पर सुनवाई करे और उचित निर्णय ले। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी तक स्थगित कर दी।
अदालत ने अतुल सुभाष के पिता विकास कुमार मोदी को भी निर्देश दिया कि वे सर्वोच्च न्यायालय को सूचित करें कि पोते की हिरासत के लिए याचिका कहां दायर की गई है।
KARNATAKA HC: निकिता की गिरफ्तारी पर सवाल
निकिता के वकील ने गिरफ्तारी के कानूनी आधार पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी के समय कोई स्पष्ट कारण नहीं बताए। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि निकिता को हिरासत में रखना न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनकी सर्वोच्च न्यायालय में अपनी रक्षा करने की क्षमता को भी बाधित करता है।
अब, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि निचली अदालत 4 जनवरी को निकिता की जमानत याचिका पर क्या निर्णय लेती है। यदि जमानत दी जाती है, तो निकिता सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने में सक्षम होंगी। वहीं, यदि जमानत याचिका खारिज होती है, तो यह मामला और अधिक जटिल हो सकता है।
यह मामला न केवल कानूनी जटिलताओं का उदाहरण है, बल्कि व्यक्तिगत अधिकारों और न्याय के बीच संतुलन का भी प्रतीक है। अदालतों के निर्णय इस बात पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे कि कैसे ऐसे संवेदनशील मामलों को भविष्य में संभाला जाए