KARNATAKA HC: प्रज्वल रेवन्ना ने बलात्कार मामलों में डिजिटल साक्ष्य की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया

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By headlineslivenews.com

KARNATAKA HC: प्रज्वल रेवन्ना ने बलात्कार मामलों में डिजिटल साक्ष्य की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया

KARNATAKA HC: जनता दल (सेक्युलर) के निलंबित नेता प्रज्वल रेवन्ना, जो बलात्कार, यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के चार अलग-अलग मामलों में आरोपी

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KARNATAKA HC: जनता दल (सेक्युलर) के निलंबित नेता प्रज्वल रेवन्ना, जो बलात्कार, यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के चार अलग-अलग मामलों में आरोपी हैं, ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। रेवन्ना ने राज्य विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा उनके खिलाफ एकत्र किए गए सभी डिजिटल साक्ष्यों की प्रतियां मांगी हैं।

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रेवन्ना के खिलाफ चार मामलों में से दो में उनकी जमानत याचिका और बाकी मामलों में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को पहले ही उच्च न्यायालय खारिज कर चुका है।

KARNATAKA HC: अदालत में सुनवाई और टिप्पणियां

गुरुवार को न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने रेवन्ना की याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की। न्यायमूर्ति ने स्पष्ट किया कि रेवन्ना को केवल अपने मामले से संबंधित साक्ष्यों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालय किसी भी ऐसी सामग्री की अनुमति नहीं देगा, जिससे शिकायतकर्ता के अलावा अन्य पीड़ितों की पहचान उजागर हो सकती है।

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यह टिप्पणी तब आई जब अतिरिक्त विशेष लोक अभियोजक बीएन जगदीश ने अदालत को बताया कि रेवन्ना की याचिका का उद्देश्य मामले की सुनवाई में देरी करना है। अभियोजन पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि रेवन्ना को पहले ही चारों मामलों से संबंधित छवियों और वीडियो की प्रतियां उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।

जगदीश ने अदालत को यह भी बताया कि रेवन्ना अब सैमसंग फोन से बरामद 15,000 से अधिक छवियों और 2,000 वीडियो की प्रतियां मांग रहे हैं। ये सामग्री कथित तौर पर रेवन्ना के ड्राइवर के फोन से बरामद की गई थी। अभियोजन पक्ष का कहना है कि इनमें से अधिकांश सामग्री में अन्य पीड़ितों का विवरण है और इसे साझा करने से उनकी पहचान उजागर हो सकती है।

KARNATAKA HC: न्यायालय का आदेश

न्यायालय ने एसआईटी को निर्देश दिया कि वे रेवन्ना के मामले से संबंधित कोई भी अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध कराएं, जो अभी तक नहीं दी गई है। अदालत ने इस प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के पी. गोपालकृष्णन बनाम केरल राज्य मामले में दिए गए फैसले का पालन करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा, “आपको धारा 207 के तहत आरोपी को प्रासंगिक प्रतियां देनी होंगी। लेकिन केवल वही जानकारी साझा करें, जो उनके मामले के लिए प्रासंगिक हो। हम किसी भी पीड़ित की पहचान उजागर करने या उन्हें खतरे में डालने की अनुमति नहीं देंगे।”

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि 16 जनवरी को मामले में आगे की दलीलें सुनी जाएंगी।

रेवन्ना के वकील ने अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने 13 जनवरी को आरोप तय करने की तारीख निर्धारित की है। इस पर न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा कि ट्रायल कोर्ट सुनवाई के साथ आगे बढ़ सकता है, लेकिन आरोप तय करने से बचना चाहिए जब तक कि उच्च न्यायालय में रेवन्ना की मौजूदा याचिका पर सुनवाई पूरी न हो जाए।

KARNATAKA HC: रेवन्ना के खिलाफ आरोप और जांच की प्रगति

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प्रज्वल रेवन्ना, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते और पूर्व मंत्री एच.डी. रेवन्ना के बेटे, पर बलात्कार और यौन शोषण के आरोप हैं। उनके खिलाफ अलग-अलग शिकायतों के आधार पर चार मामले दर्ज किए गए हैं।

24 अगस्त 2024 को, एसआईटी ने यौन उत्पीड़न और धमकी के चार मामलों की जांच के बाद 2,144 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। यह चार मामलों में से पहली चार्जशीट थी।

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने निचली अदालत को पीड़ितों की पहचान उजागर न करने की सख्त हिदायत दी। न्यायालय ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में पीड़ितों की गोपनीयता बनाए रखना अनिवार्य है।

यह आदेश न केवल रेवन्ना के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि मामले के अन्य पीड़ितों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

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