KERALA HC: केरल हाईकोर्ट ने एक नेत्रहीन कानून छात्र के छात्रवृत्ति आवेदन को यूडीआईडी (UDID) कार्ड न जमा करने के कारण खारिज करने के फैसले पर रोक लगा दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे कारणों से किसी छात्र को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता, जो उसके नियंत्रण से बाहर हों। यह निर्देश विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग और छात्रवृत्ति विभाग को दिया गया।
KERALA HC: छात्रवृत्ति आवेदन में बाधा
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें यह आग्रह किया गया था कि उन्हें नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) पर अपना आवेदन पूरा करने की अनुमति दी जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि उनके विकलांगता प्रमाणपत्र और विकलांगता आईडी कार्ड के आधार पर आवेदन स्वीकार किया जाए, और इस प्रक्रिया में यूडीआईडी पोर्टल से डेटा की स्वचालित प्राप्ति की शर्त को अनिवार्य न बनाया जाए।
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याचिका की सुनवाई करते हुए एकल पीठ के न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने पाया कि याचिकाकर्ता के पास आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा जारी विकलांगता प्रमाणपत्र है, जिसमें उनकी 75% विकलांगता को स्थायी बताया गया है। इस प्रमाणपत्र में पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता नहीं बताई गई है।
अदालत ने यह निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की छात्रवृत्ति आवेदन को केवल यूडीआईडी कार्ड की गैर-प्रस्तुति के कारण खारिज न किया जाए। न्यायमूर्ति अरुण ने अपने आदेश में कहा:
“हम यह मानते हैं कि याचिकाकर्ता को ऐसे कारणों से उसके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, जो उसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसलिए, प्रतिवादी विभागों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता की आवेदन को यूडीआईडी कार्ड की गैर-प्रस्तुति के आधार पर खारिज न करें।”
KERALA HC: कोर्ट का दृष्टिकोण
न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता जैसे छात्रों को उन कारणों से परेशान नहीं होना चाहिए जो प्रक्रियात्मक या तकनीकी हैं और जो उनके अधिकारों को बाधित करते हैं। हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि छात्रों को उनके शैक्षणिक विकास और वित्तीय सहायता से वंचित करना, अनुचित है।
अदालत ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 3 दिसंबर 2024 को सूचीबद्ध किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अरुण थॉमस और उनकी टीम ने अदालत में पक्ष रखा। टीम में शिन्टो मैथ्यू अब्राहम, कार्तिका मारिया, वीना रवींद्रन, अनिल सेबेस्टियन पुलिकल, मैथ्यू नेविन थॉमस, मानसा बेनी जॉर्ज, कार्तिक राजगोपाल, जो एस. अधिकरम, लिआ रशेल निनन, नोल निनन, अदीन नज़र, अपर्णा एस. और कुरियन एंटनी मैथ्यू शामिल थे।
KERALA HC: निष्कर्ष
इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि न्यायालय विकलांग छात्रों के अधिकारों और उनके शैक्षणिक हितों को प्राथमिकता देता है। तकनीकी कारणों से छात्रों को उनके लाभ से वंचित करना न्यायोचित नहीं है। हाईकोर्ट के इस आदेश ने न केवल याचिकाकर्ता के लिए राहत प्रदान की है, बल्कि यह एक मिसाल भी स्थापित की है कि विकलांग छात्रों के प्रति न्यायालय संवेदनशील रुख अपनाता है।
मामला: गोला मधु बनाम विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग
केस संख्या: WP(C) No.42738/2024
Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi✌🏻