kerala high court: केरल हाईकोर्ट ने भारतीय विद्या भवन स्कूल, त्रिशूर की प्रिंसिपल के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को खारिज कर दिया, जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म की नीति को लागू करने को लेकर उन पर ‘बच्चों के खिलाफ क्रूरता’ का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्कूल यूनिफॉर्म की अनिवार्यता को किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (JJ Act) की धारा 75 के तहत क्रूरता के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन की एकल पीठ ने इस फैसले में कहा कि स्कूल में यूनिफॉर्म की अनिवार्यता एक सामान्य अनुशासनात्मक उपाय है, जिसका उद्देश्य छात्रों को मानसिक या शारीरिक कष्ट देना नहीं होता। इसके बजाय, यह स्कूल के अनुशासन को बनाए रखने का एक हिस्सा है। कोर्ट ने कहा, “जब एक शिक्षक किसी छात्र को स्कूल में रंगीन कपड़े पहनने पर यूनिफॉर्म पहनने के लिए कहता है, तो यह स्कूल के अनुशासन और ड्रेस कोड को बनाए रखने के उद्देश्य से किया जाता है। इसे मानसिक या शारीरिक कष्ट पहुंचाने के लिए किया गया कार्य नहीं माना जा सकता, ताकि इसे JJ Act की धारा 75 के तहत अपराध माना जाए।”
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kerala high court: मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सामने आया जब एक आठवीं कक्षा की छात्रा छुट्टियों के दौरान स्कूल गई थी, ताकि अपने अकादमिक परिणाम प्राप्त कर सके और किताबें खरीद सके। उस समय वह छात्रा स्कूल यूनिफॉर्म के बजाय कैजुअल कपड़े पहने हुई थी, जिस पर स्कूल की प्रिंसिपल ने उसे फटकार लगाई और घर जाकर यूनिफॉर्म पहनने को कहा। इस घटना के बाद प्रिंसिपल के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत शिकायत दर्ज की गई, जिसमें उन पर छात्रा के साथ ‘क्रूरता’ का आरोप लगाया गया।
धारा 75 किशोर न्याय अधिनियम के तहत उन कार्यों से संबंधित है जो बच्चों को अनावश्यक मानसिक या शारीरिक कष्ट पहुंचाते हैं। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि यूनिफॉर्म पहनने का नियम लागू करना इस प्रावधान के अंतर्गत नहीं आता।
kerala high court: कोर्ट की टिप्पणियाँ
प्रिंसिपल की ओर से उनके वकील ने तर्क दिया कि यह शिकायत प्रतिशोध के तहत दर्ज की गई थी। छात्रा की माँ, जो उसी स्कूल में कार्यरत थीं, को हाल ही में परीक्षा ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने पर एक नोटिस जारी किया गया था। इस घटना को इसी का परिणाम बताया गया। प्रिंसिपल ने कहा कि उनके खिलाफ क्रूरता का कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता और स्कूलों में यूनिफॉर्म से संबंधित अनुशासनात्मक कार्रवाई सामान्य रूप से की जाती है।
कोर्ट ने रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद प्रिंसिपल के तर्कों से सहमति जताई और पाया कि इस मामले में कोई प्रथम दृष्टया क्रूरता का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अगर ऐसे सामान्य अनुशासनात्मक उपायों को ‘क्रूरता’ के रूप में देखा जाएगा, तो इससे स्कूलों के अनुशासन और संचालन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
कोर्ट ने कहा, “यदि स्कूल के अनुशासन को बनाए रखने के लिए यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य किया जाता है, तो छात्रों का यह कर्तव्य है कि वे इसे मानें ताकि स्कूल की गरिमा और अनुशासन बनाए रखा जा सके। अगर ऐसे कार्यों को JJ Act की धारा 75 के तहत अपराध माना जाएगा, तो स्कूल का अनुशासन बुरी तरह प्रभावित होगा।”
kerala high court: अदालत का निष्कर्ष
कोर्ट ने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म नीति लागू करना बच्चों के मानसिक या शारीरिक कष्ट का कारण नहीं बनता। इसलिए इसे किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने प्रिंसिपल के पक्ष में निर्णय दिया और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द कर दिया।
मामला शीर्षक: ABC बनाम राज्य केरल एवं अन्य [2024:KER:74290]