MADHYA PRADESH HC: पारिवारिक आपराधिक इतिहास को पासपोर्ट मूल्यांकन में न लें

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By headlineslivenews.com

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MADHYA PRADESH HC: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि आवेदनकर्ता के परिवार के सदस्यों के आपराधिक इतिहास को पासपोर्ट जारी करने के लिए पात्रता का निर्धारण करते समय ध्यान में नहीं लिया जा सकता।

MADHYA PRADESH HC

यह आदेश उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिनमें पासपोर्ट आवेदन केवल इसलिए अस्वीकार किए गए थे, क्योंकि आवेदनकर्ता के परिवार के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले थे।

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कोर्ट के एकल पीठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, “यह आदेश कानून की दृष्टि से सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता को इस देश के अन्य नागरिकों की तरह सभी मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, और उसके पति और ससुर के आपराधिक इतिहास को उसकी पात्रता और पासपोर्ट आवेदन के मूल्यांकन में नहीं लिया जा सकता।”

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उनके और उनकी मां के पासपोर्ट आवेदन को उनके पिता और दादा के आपराधिक इतिहास के कारण अस्वीकार किया गया। उनका कहना था कि पासपोर्ट आवेदन खारिज करना गलत था, क्योंकि उन्हें विदेश यात्रा करने का अधिकार प्राप्त था और परिवार के अन्य सदस्यों के आपराधिक मामलों को उनकी पात्रता से जोड़ना न्यायसंगत नहीं था।

MADHYA PRADESH HC: प्रतिवादी का पक्ष

इस मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पति और ससुर के खिलाफ मादक पदार्थों से संबंधित आपराधिक मामले होने के कारण उसे पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता। हालांकि, यह स्वीकार किया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ खुद कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था।

MADHYA PRADESH HC: कोर्ट का निर्णय

कोर्ट ने यह भी माना कि याचिकाकर्ता के पहले पासपोर्ट आवेदन को इसी आधार पर अस्वीकार किया गया था और अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश के बावजूद इस मामले में सही तरीके से निर्णय नहीं लिया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पारिवारिक सदस्यों के आपराधिक इतिहास को पासपोर्ट आवेदन के पात्रता पर विचार करते समय प्रभावी नहीं माना जा सकता और याचिकाकर्ता के दोनों पासपोर्ट आवेदन की पुनः समीक्षा करने का आदेश दिया।

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कोर्ट ने यह भी कहा कि आवेदनकर्ता के पासपोर्ट के लिए पात्रता का मूल्यांकन उसके व्यक्तिगत सत्यापन के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि उसके परिवार के आपराधिक इतिहास को आधार मानते हुए।

मामला: Mohd. Wazib Chhipa बनाम Union of India और अन्य
प्रस्तुति: याचिकाकर्ता की ओर से वकील मोहम्मद सोहेल चिपा, प्रतिवादी की ओर से A.S.G. हिमांशु जोशी, G.A./P.L. Mradula Sen

MADHYA PRADESH HC: पारिवारिक आपराधिक इतिहास को पासपोर्ट मूल्यांकन में न लें
JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi✌🏻


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