MADRAS HC: मद्रास हाईकोर्ट ने बच्चों में तंबाकू उत्पादों के बढ़ते उपयोग को गंभीरता से लेते हुए तमिलनाडु राज्य सरकार को “तंबाकू-मुक्त शिक्षा संस्थान दिशानिर्देश” (ToFEI) और इसके कार्यान्वयन के निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया है। मदुरै बेंच के न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने यह आदेश देते हुए विशेष रूप से स्कूलों के आसपास “कूल लिप” नामक तंबाकू उत्पादों के व्यापक इस्तेमाल और अवैध बिक्री पर चिंता जताई।
न्यायमूर्ति ने आदेश दिया कि स्कूलों के पास तंबाकू उत्पाद बेचने वाले दोषियों पर किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 77 के तहत मामला दर्ज किया जाए, साथ ही खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के अंतर्गत भी कार्रवाई की जाए।
अदालत ने विशेष निर्देश में कहा कि केवल विक्रेता ही नहीं बल्कि तंबाकू उत्पादों के निर्माता, वितरक, और विक्रेता सभी को दोषी माना जाएगा। यदि किसी कंपनी का नाम शामिल है, तो उसके कर्मचारी और निदेशक भी जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता डी. वेंकटेश ने रखा, जबकि राज्य सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल ए.आर.एल. सुंदरसेन, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के. गोविंदराजन और अतिरिक्त महाधिवक्ता वीरा कथिरवन ने प्रस्तुत किया।
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MADRAS HC: मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब उठाया गया जब राज्य में विशेष रूप से स्कूलों के पास भारी मात्रा में तंबाकू उत्पाद जब्त किए गए, जिसमें “कूल लिप” नामक उत्पाद शामिल था। यह उत्पाद बच्चों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और शिक्षक बच्चों के व्यवहार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव देख रहे हैं। बच्चों में तंबाकू की बढ़ती लत ने उनकी शिक्षा, अनुशासन और स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। तमिलनाडु में सभी प्रकार के तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध होने के बावजूद यह अवैध व्यापार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। पुलिस और खाद्य सुरक्षा अधिकारी इस अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु तंबाकू माफिया खासकर बच्चों को निशाना बनाकर स्कूलों के पास उत्पाद बेच रहे हैं।
अदालत ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार को व्यापक और कठोर दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए निर्देशित किया है।
MADRAS HC: मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के प्रमुख बिंदु
तंबाकू-मुक्त शिक्षा संस्थान दिशानिर्देश और कार्यान्वयन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन: राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि इन दिशानिर्देशों को पूरी गंभीरता से लागू करें ताकि बच्चों को तंबाकू उत्पादों से दूर रखा जा सके।
छात्रों की नियमित ओरल/डेंटल स्वास्थ्य जांच: सरकारी और निजी स्कूलों में साल में कम से कम दो बार बच्चों की ओरल और डेंटल जांच करवाई जाए। अगर तंबाकू या निकोटिन के निशान मिलते हैं तो बिना सार्वजनिक शर्मिंदगी के गोपनीय तरीके से उनके माता-पिता को सूचित कर उन्हें काउंसलिंग दी जाए।
प्रत्येक जिले में चाइल्ड टोबैको सेसेशन सेंटर की स्थापना: राज्य के हर जिले में चाइल्ड टोबैको सेसेशन सेंटर की स्थापना करने का आदेश दिया गया है, जिसमें प्रशिक्षित चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता या चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट मौजूद होंगे जो बच्चों की तंबाकू की लत छुड़ाने में सहायता करेंगे।
प्रधानाचार्य का सहयोग: हर स्कूल के प्रधानाचार्य को निर्देश दिया गया है कि वे तंबाकू से जुड़े बच्चों के उपचार और फॉलो-अप में सहयोग करें ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो।
तंबाकू निगरानी समिति का गठन: प्रत्येक स्कूल में तंबाकू निगरानी समिति बनाई जाएगी जिसमें एक शिक्षक और अभिभावक-शिक्षक संघ या आसपास के किसी व्यक्ति को शामिल किया जाएगा। यह समिति स्कूल परिसर और उसके आसपास की निगरानी करेगी और तंबाकू उत्पादों की बिक्री की रिपोर्ट पुलिस को देगी।
मोबाइल ऐप और व्हाट्सएप नंबर: निगरानी समिति द्वारा सूचना अपलोड करने के लिए एक मोबाइल ऐप या व्हाट्सएप नंबर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री की सूचना दे सकें।
जिला और राज्य स्तर पर निगरानी समिति का गठन: जिला और राज्य स्तर पर भी निगरानी समितियाँ स्थापित की जाएंगी जो स्कूल स्तर की समितियों की निगरानी करेंगी।
तंबाकू उत्पाद बिक्री की रिपोर्टिंग के लिए हेल्पलाइन: तंबाकू उत्पादों की बिक्री की रिपोर्ट करने के लिए एक हेल्पलाइन या वेबसाइट बनाई जाए और इसे जनता के बीच प्रचारित किया जाए ताकि लोग आसानी से तंबाकू उत्पादों की बिक्री की सूचना दे सकें।
स्कूलों में ToFEI दिशानिर्देशों का पालन: हर स्कूल को ToFEI दिशानिर्देशों के अनुसार बोर्ड लगाने, निगरानी समिति बनाने, डेटा/रजिस्टर बनाए रखने और आत्म-मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया है।
बच्चों के बैग की जांच: स्कूल शिक्षा विभाग को बच्चों के बैग की नियमित और गोपनीय जांच के लिए एक सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया गया है ताकि बच्चों की आत्म-सम्मान को बनाए रखा जा सके।
स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग का सहयोग: स्कूल शिक्षा विभाग को स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर सरकारी और निजी कैंसर अस्पतालों के साथ समझौता करने का निर्देश दिया गया है ताकि बच्चों को तंबाकू से होने वाले खतरों का वास्तविक उदाहरण दिखाया जा सके और उन्हें इस बुरी लत से दूर रखा जा सके।
अंततः, मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इन सभी निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया ताकि बच्चों को तंबाकू से होने वाले खतरों से बचाया जा सके।