MCD में IVP का उभार: दिल्ली नगर निगम (MCD) में आगामी स्टैंडिंग कमिटी चुनावों को लेकर राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) को हाल ही में बड़ा झटका लगा है, जब उसके 15 पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा देकर ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ (IVP) का गठन किया। यह घटनाक्रम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, विशेषकर स्टैंडिंग कमिटी में बहुमत प्राप्त करने की दिशा में।
MCD में IVP का उभार: इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी का उदय
AAP के 15 पार्षदों ने, जिनमें वरिष्ठ नेता मुकेश गोयल भी शामिल हैं, पार्टी नेतृत्व पर विकास कार्यों की अनदेखी और आंतरिक कलह का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। इन नेताओं ने ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ (IVP) का गठन किया है, जिसका उद्देश्य दिल्ली के नागरिकों की सेवा करना और नगर निगम में विकास कार्यों को प्राथमिकता देना है। इनका कहना है कि वे उस पार्टी का समर्थन करेंगे जो दिल्ली के विकास के लिए प्रतिबद्ध होगी।
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AAP की संख्या में गिरावट से बिगड़े संतुलन
MCD की 18 सदस्यीय स्टैंडिंग कमिटी में वर्तमान में BJP के 9 सदस्य हैं, जबकि AAP के 6 सदस्य हैं। IVP के गठन के बाद, AAP की संख्या घटकर 98 रह गई है, जबकि BJP के पास 117 पार्षद हैं। यदि IVP के पार्षद BJP का समर्थन करते हैं, तो स्टैंडिंग कमिटी में BJP की सीटें बढ़ सकती हैं, जिससे उसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित कराने में सुविधा होगी।
AAP का दावा: पद और पैसे के बदले पार्षदों को तोड़ रही है BJP
AAP ने BJP पर आरोप लगाया है कि वह उनके पार्षदों को धन और पद का लालच देकर तोड़ने की कोशिश कर रही है। AAP का दावा है कि प्रत्येक पार्षद को ₹5 करोड़ तक की पेशकश की गई थी। हालांकि, BJP ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि AAP की आंतरिक समस्याएं ही इन इस्तीफों का कारण हैं।
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नाराज़ पार्षद बन सकते हैं AAP की हार की वजह
2 और 3 जून को होने वाले स्टैंडिंग कमिटी के चुनावों में, BJP और IVP के बीच संभावित गठबंधन AAP के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। विशेषकर रोहिणी और वेस्ट जोन में, जहां AAP के पार्षदों की संख्या पहले अधिक थी, अब समीकरण बदल सकते हैं। यदि IVP और BJP मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो AAP के लिए इन क्षेत्रों में जीत हासिल करना कठिन हो सकता है।
नगर निगम में शक्ति संतुलन का बदलता गणित
MCD में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। IVP के गठन और AAP के पार्षदों के इस्तीफे ने नगर निगम में शक्ति संतुलन को प्रभावित किया है। आगामी स्टैंडिंग कमिटी चुनावों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कौन सी पार्टी बहुमत प्राप्त करती है और दिल्ली के नागरिकों के लिए विकास कार्यों को कैसे आगे बढ़ाया जाता है।