MNS की शर्त: शिवसेना (UBT) को गठबंधन चाहिए तो आदित्य को करनी होगी पहल 2025 !

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By headlineslivenews.com

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MNS की शर्त: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल है। करीब 20 साल पहले एक-दूसरे से अलग हुए दो चचेरे भाई — उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे — अब शायद एक बार फिर साथ आ सकते हैं।

MNS की शर्त

इस संभावना को और हवा मिली जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के वरिष्ठ नेता प्रकाश महाजन ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (UBT) वाकई गठबंधन को लेकर गंभीर है, तो आदित्य ठाकरे को खुद आगे आकर राज ठाकरे से मिलना चाहिए।

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प्रकाश महाजन ने क्या कहा?

प्रकाश महाजन का कहना है कि गठबंधन की बात को लेकर अगर शिवसेना (UBT) गंभीर है, तो किसी वरिष्ठ नेता को MNS की शर्त पर प्रमुख राज ठाकरे से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आदित्य ठाकरे जैसे नेता खुद बात करने आएंगे, तो इससे यह पता चलेगा कि दोनों पक्ष इस बातचीत को लेकर गंभीर हैं।

उनका साफ कहना था, अगर किसी जूनियर नेता को भेजा जाएगा, तो फिर हम भी अपने किसी जूनियर नेता को भेजेंगे। अगर सच में दोनों पार्टियां साथ आना चाहती हैं, तो आदित्य ठाकरे को आगे आकर राज साहब के विचारों को समझना चाहिए।”

गठबंधन की शर्त – सीनियर नेता की भागीदारी

महाजन ने कहा कि गठबंधन कोई हल्की बात नहीं होती। इसके लिए दोनों पक्षों का गंभीर होना जरूरी है। उन्होंने कहा, अगर आदित्य खुद राज ठाकरे से मिलते हैं, तो इससे संकेत जाएगा कि दोनों ओर से इस प्रयास को गंभीरता से लिया जा रहा है।”

इसका मतलब साफ है – अगर उद्धव की पार्टी एक सशक्त गठबंधन चाहती है, तो बात करने के लिए उसे आदित्य ठाकरे जैसे बड़े और भरोसेमंद नेता को भेजना चाहिए, ना कि किसी छोटे पदाधिकारी को।

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क्या फिर एक हो सकते हैं ठाकरे बंधु?

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों चचेरे भाई हैं। लेकिन करीब 20 साल पहले, यानी 2006 में, राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी थी और अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। इसके बाद दोनों के बीच मतभेद बढ़ते गए और वे राजनीति में एक-दूसरे के विरोधी बन गए।

अब, हाल के बयानों से लग रहा है कि दोनों भाई कुछ पुराने मुद्दों को भुलाकर मराठी लोगों के हित में एक साथ आ सकते हैं। राज ठाकरे ने कहा है कि अगर बात “मराठी मानुष” की है, तो एकजुट होना मुश्किल नहीं है। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि वो “छोटी-मोटी लड़ाइयों” को छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं – बशर्ते महाराष्ट्र के हितों को कोई नुकसान न पहुंचे।

आदित्य ठाकरे का बड़ा बयान: “महाराष्ट्र हित में साथ आने को तैयार”

आदित्य ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा, अगर कोई महाराष्ट्र के हितों की रक्षा के लिए साथ आना चाहता है, तो हम उन्हें साथ लेकर चलने के लिए तैयार हैं।” यानी उन्होंने भी संकेत दिया है कि अगर इरादे साफ हों और मकसद महाराष्ट्र के लोगों का भला हो, तो शिवसेना (UBT) दरवाजा बंद नहीं कर रही।

2014 और 2017 में भी हुआ था ऐसा प्रयास

प्रकाश महाजन ने यह भी याद दिलाया कि 2014 और 2017 में भी मनसे और शिवसेना (UBT) के बीच कुछ बातचीत हुई थी। हालांकि, तब कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था। अब अगर फिर से बातचीत होती है, तो महाजन का कहना है कि इसमें कोई बुराई नहीं है – अगर इरादा साफ है और सहयोग के लिए गंभीरता है।

क्या गठबंधन संभव है?

अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई उद्धव और राज ठाकरे फिर से एक हो सकते हैं? क्या वो पुरानी कड़वाहट भुलाकर महाराष्ट्र की राजनीति में एक साथ कदम मिला सकते हैं?

इसका जवाब अभी साफ नहीं है, लेकिन संकेत जरूर मिल रहे हैं:

  • दोनों भाई मराठी मानुष की राजनीति को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं।
  • उद्धव ठाकरे मामूली झगड़े छोड़ने की बात कर रहे हैं।
  • राज ठाकरे मराठी लोगों के हक के लिए एकजुटता की वकालत कर रहे हैं।

राजनीति में क्यों है यह गठबंधन अहम?

अगर शिवसेना (UBT) और मनसे का गठबंधन होता है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। भाजपा और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठजोड़ के सामने यह एक नया मराठी फ्रंट खड़ा हो सकता है, जो विशेषकर मुंबई और महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में असर डाल सकता है।

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बात आगे बढ़ेगी या फिर वही पुराना झगड़ा?

अब सारी नजरें उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के अगले कदम पर हैं। प्रकाश महाजन की सलाह को अगर उद्धव गंभीरता से लेते हैं और आदित्य ठाकरे खुद बातचीत के लिए आगे आते हैं, तो दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की जमीन तैयार हो सकती है।

लेकिन अगर फिर वही आपसी शक, अहंकार और पुराने गिले-शिकवे हावी हो गए, तो ये बातचीत भी अधूरी रह जाएगी।

आने वाले हफ्ते बताएंगे कि क्या महाराष्ट्र की राजनीति में दो ठाकरे भाइयों की फिर से एकजुटता देखने को मिलेगी या नहीं।


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