परशुराम जयंती का उत्सव 2024 : धार्मिकता और समर्पण का प्रतीक

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By headlineslivenews.com

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परशुराम जयंती का उत्सव : भगवान परशुराम को अकेले ब्राह्मण समाज के है ऐसा कहना पूरी तरीके से सही नहीं होगा, क्योंकि परशुराम अकेले ब्राह्मण समाज के नहीं ,बल्कि 36 बिरादरी के प्रेरणा स्रोत है । ओर हम सब उनके कदमों पर चलने वाले अनुयायी है। जो की हम पूरी कोशिश मे रहते है ,की हम उनका आचरण करते रहे ,इसी भावना को लेकर ब्राह्मण सभा ने ,परशुराम जयंती का भव्य आयोजन किया ।

परशुराम जयंती का उत्सव 2024 : धार्मिकता और समर्पण का प्रतीक

दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान मे ,जगह जगह परशुराम जयंती का हर्षो उल्लास कार्यक्रम किया गया है।  जिसमे से दिल्ली के आदर्श नगर मे भी परशुराम जयंती का भव्य ओर विशाल आयोजन किया गया । इस आयोजन मे इलाके के खासमखास लोग , ओर हजारों भक्तों ने हिस्सा लिया । इस कार्यक्रम मे आए खास लोग , ओर आयोजन कमेटी के प्रमुख लोगों से बातचीत की , तो उन्होंने क्या कहा ।

परशुराम जयंती का उत्सव : पूर्व सिविल लाइन ज़ोन चैयरमेन नवीन त्यागी ने कहा

Sanjay Sharma संजय शर्मा वरिष्ठ पत्रकार

आज भगवान परशुराम जयंती का उत्सव , जन्मोत्सव पर भव्य आयोजन किया गया जिसमे दूर दराज से कई खास मेहमान भी ये ओर इलाके के भी कई सम्मानीय लोगों ने बढचड़ कर हिस्सा लिया गया । इस अवसर पर पूर्व सिविल लाइन ज़ोन चैयरमेन व निगम पार्षद रहे नवीन त्यागी ने कहा की आज के दिन भगवान परशुराम का जो जन्म हुआ है भगवान परशुराम विष्णु जी के छठे अवतार हैं और उनका जो जन्म है आज हम सभी के लिए पूरे।

जितनी भी जीतने भी जो मनुष्य है जीतने भी सभी के लिए ये बड़े खुशी की बात है और यहाँ हम अपने आदर्श नगर क्षेत्र में हमारी आदर्श नगर विधानसभा की ब्राह्मण सभा है। उसी के तत्वावधान में एक भव्य कार्यक्रम सर्व समाज इसमें जो न शामिल होता है, ये खाली ब्राह्मणों का कार्यक्रम नहीं है।

परशुराम जयंती का उत्सव 2024 : धार्मिकता और समर्पण का प्रतीक

परशुराम जयंती का उत्सव पर सर्वसभाज इसमें जो शामिल होता है। और हजारों आदमी इसमें जो है, हर साल जो शामिल होते हैं और कोई प्रोग्राम है, हमारे ब्राह्मण सभा के प्रधान जी भी यहाँ है, तो आप सब देख रहे हो कि हजारों आदमी आज यहाँ उपस्थित हैं। इस भव्य कार्यक्रम को देखने के लिए सुबह से ही सैकड़ों लोग थे और हम हजारों लोग आज उपस्थित थे।

जब हमने पूछा की इस दिन कार्यक्रम से किस तरीके की युवाओं को सीख दी जाती तब नवीन त्यागी ने कहा की ये हिंदुत्व के लिए बने है इससे जागृत आनी चाहिए । ये ऐसे ऐसे कार्यक्रम हिंदुओं में जो है। ये जागरूकता जो है ये लेकर आते हैं जो । और धर्म के लोग हैं, उनमें तो अपने आप ही जागरूकता रहती हैं, लेकिन हमारे हिन्दू धर्म मे जो है जगाने की आवश्यकता हैं

वो ये ऐसे ऐसे जो कार्यक्रम हिन्दुओं को जगाने के काम आते हैं जिससे हिन्दुओं में एक जोश पैदा होता हैं और अपने जो ये भगवान हैं, हमारे आराध्य हैं। उन्हें हम पर्याप्त करते हैं और उनकी हम सब पूजा करते हैं और ये जो कार्यक्रम है हर वर्ष की भांति इस दिवस भी उसी उपलक्ष्य में हो रहा है।

परशुराम जयंती का उत्सव

परशुराम जयंती का उत्सव पर ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष अरविन्द शर्मा ने कहा

परशुराम जयंती का उत्सव पर इस भव्य आयोजन के आयोजन कर्त्ता ओर ब्राहमन सभा के अध्यक्ष अरविन्द शर्मा से हमारी बात हुई तब उन्होंने कहा की आज भगवान परशुराम का जन्मदिवस है। ओर सबसे पहले तो भगवान परशुराम जी की जय ।  

परशुराम जयंती का उत्सव

देखिए भगवान परशुराम जी का ये ऐसा चरित्र है जो हमारी संस्कृति के जो शस्त्र और शास्त्र दोनों के ज्ञाता माने गए हैं और जब उनका अवतरण हुआ था तो उस समय शस्त्र बाहू एक राजा का नाम था, लेकिन ऐसे कई राजा थे जिन्होंने पूरे समाज के ऊपर अत्याचार किए हुए थे और धर्म का और संस्कृति का हनन हो रहा था तो ऐसे में एक ब्राह्मण के शास्त्र का ज्ञाता था ।

उसके अलावा उन्होंने शस्त्र से भी समाज की भी सफाई करी है और सफाई केवल विचारों की नहीं, धर्म की नहीं। उन्होंने समुद्र के अगर रीक्लिमेशन की बात करें ,करते हैं ना जैसा दुबई जैसा शहर बसा हुआ है, गोवा जैसा शहर है यहाँ की जमीन रिक्लेम है , भगवान परशुराम एक वैज्ञानिक भी थे । लोगों मे और एक भ्रांति है कि ये सिर्फ ब्राह्मण समाज के हैं।

परशुराम जयंती का उत्सव

उन्होंने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया लेकिन वो सब के है जैसे कि भगवान किशन को सिर्फ यादवों को मानते हैं। या भगवान राम को ? क्या सर्व क्षत्रिय हो मानते हैं ? ऐसा नहीं है ना तो ये सब समाज के लिए है, परशुराम एक योद्धा यानि की एक वॉरियर थे तो अपने आप में दिखाता है की ये जाती और इनसे ऊपर थे।

परशुराम जयंती का उत्सव पर भगवान परशुराम को हमारे लिए आदर्श लेने की जरूरत है की सारा समाज एक ही है और सब समाज का उद्देश्य होना चाहिए। एक दूसरे का हाथ पकड़ के चलना चाहिए नाकी दूसरे की टांग पकड़ के उन्हे गिराना चाहिए आज कल देखा गया है की लोग जातिगत एक राजनीति करना और लोगों को आपस मे लड़ाना इस तरह की हरकते करते है ऐसा नहीं करना चाहिए हम इन सब से बचना चाहिए तभी होगा देश ओर समाज का कल्याण ।

परशुराम जयंती का उत्सव

परशुराम जयंती का उत्सव ओर परशुराम ब्राह्मण समाज के नहीं बल्कि 36 बरदारी के है

परशुराम जयंती का उत्सव की आयोजन कमेटी के सदस्य ने बताया की परशुराम कोण है ओर इनका वजूद कितना बड़ा है उन्होंने बताया की ये अकेले ब्राह्मण समाज के नहीं है,बल्कि 36 बिरादरी के है और भगवान परशुराम सबके है। इस शानदार उत्सव के आयोजन के बारे मे बताया की बड़े धूम धाम से सारे सनातन में बड़े धूमधाम से हम भगवान परशुराम के साथ मना रहे है और यह पूरी छत्तीस बिरादरी के छठया अवतार है और ये सबके भगवान है। ये न कहे की ब्राह्मण समाज ही अकेला है। सभी सनातनी भाई सब आये हुए है। ओर भगवान परशुराम सबके है ।

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परशुराम जयंती का उत्सव ओर परशुराम जयंती का आयोजन, ब्राह्मण समाज के एक महत्वपूर्ण आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि समाज की भावनाओं और धार्मिक उत्साह के एक प्रमुख सामाजिक घटना के रूप में माना जाता है। यह एक सामाजिक पर्व है जो प्रति वर्ष भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, जो संस्कृति और परंपराओं को साकार करता है।

परशुराम जयंती का उत्सव

परशुराम जयंती का उत्सव ओर इस वर्ष, परशुराम जयंती का आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों में भव्यता के साथ किया गया। दिल्ली के आदर्श नगर में भी इस अवसर पर विशाल आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ हजारों भक्तों ने भाग लिया। इस आयोजन में सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधित्व में भाग लेने वाले लोगों ने भी अपना समर्थन प्रकट किया।

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इस आयोजन में, जो अधिकांश लोगों के ध्यान को आकर्षित किया, उसमें कई प्रमुख व्यक्तित्व शामिल थे। इसमें स्थानीय नेता, आध्यात्मिक गुरुओं, और समाज सेवकों के साथ-साथ आयोजन कमेटी के प्रमुख भी शामिल थे।

परशुराम जयंती का उत्सव

इस आयोजन की विशेषता यह थी कि इसमें भारतीय संस्कृति के महत्व को प्रमोट किया गया, जिसमें भगवान परशुराम के जीवन और कार्यों का महत्व उजागर किया गया। समाज को इस उत्सव के माध्यम से धार्मिकता, समर्पण, और सेवा के मूल्यों की महत्वता को समझाने में मदद मिली।

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इस आयोजन का मकसद भगवान परशुराम की जयंती को समर्थन और उनके धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देना था। यह सामाजिक आयोजन भगवान परशुराम की विशेष आध्यात्मिकता और धार्मिक प्रेरणा को मानते हैं, जिनका समर्थन करते हैं। इससे सामाजिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा मिलता है और संगठन की शक्ति को मजबूती मिलती है।

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