NH-66 हादसा: केरल के मलप्पुरम जिले के कूरियाड में निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग-66 (NH-66) के एक हिस्से के ढहने की घटना ने राज्य में सड़क निर्माण की गुणवत्ता और सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
इस घटना के बाद केरल उच्च न्यायालय ने इसे ‘गंभीर चिंता का विषय’ बताया है और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
NH-66 हादसा: न्यायालय की प्रतिक्रिया और NHAI की स्वीकारोक्ति
23 मई 2025 को केरल उच्च न्यायालय ने इस घटना पर सुनवाई करते हुए NHAI के स्थायी वकील श्री बिदन चंद्रन से स्पष्टीकरण मांगा। चंद्रन ने स्वीकार किया कि निर्माण में कुछ चूकें हुई हैं और प्रारंभिक जांच में जल रिसाव को संभावित कारण बताया गया है। न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने NHAI को निर्देश दिया है कि वे एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
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तकनीकी खामियां और विशेषज्ञों की राय
‘मेट्रो मैन’ के नाम से प्रसिद्ध ई. श्रीधरन ने NH-66 परियोजना में डिजाइन संबंधी गंभीर खामियों की ओर संकेत किया है। उन्होंने कहा कि 45 मीटर चौड़ाई में छह लेन का राजमार्ग बनाना असुरक्षित है और केरल के पहाड़ी भूभाग के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि आवश्यक सेवा सड़कों और पैदल पथों की उपेक्षा की गई है।
स्थानीय निवासियों की चेतावनी और अनदेखी
स्थानीय निवासियों ने पहले ही इस क्षेत्र की जलभराव और कमजोर मिट्टी की स्थिति के बारे में चेतावनी दी थी। उन्होंने सुझाव दिया था कि इस क्षेत्र में पुल के सहारे सड़क बनाई जाए, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया। परिणामस्वरूप, जलभराव और मिट्टी की कमजोर पकड़ के कारण सड़क का एक हिस्सा ढह गया।
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NH-66 हादसे पर सियासत गरमाई
इस घटना ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर निर्माण में अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस नेता वी. डी. सतीसन ने कहा कि यह घटना सरकार की लापरवाही का परिणाम है।
भविष्य की दिशा और सुधारात्मक कदम
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने NH-66 परियोजना की समग्र समीक्षा का आदेश दिया है। NHAI ने निर्माण में शामिल KNR कंस्ट्रक्शंस और हाईवे इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स को भविष्य की परियोजनाओं से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा, IIT-दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर जी. वी. राव के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ टीम को साइट का मूल्यांकन करने और सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए नियुक्त किया गया है।
केरल में पारदर्शी और वैज्ञानिक विकास की मांग
NH-66 के ढहने की घटना ने केरल में बुनियादी ढांचे की योजना और कार्यान्वयन में पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को उजागर किया है। स्थानीय निवासियों की चेतावनियों की अनदेखी और निर्माण में तकनीकी खामियों ने इस त्रासदी को जन्म दिया है। अब समय आ गया है कि संबंधित एजेंसियां जिम्मेदारी लें और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।