द्वारका विधानसभा सीट: द्वारका विधानसभा सीट दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
यह सीट साउथ-वेस्ट दिल्ली में स्थित है और वेस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। द्वारका क्षेत्र में जिला मुख्यालय होने के चलते यह सीट राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाती है। यहां की घनी आबादी, अवैध बस्तियां, संसाधनों की कमी और जाति समीकरण यहां के प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं।
द्वारका विधानसभा सीट: घनी आबादी और कॉलोनियों का मिश्रण
द्वारका विधानसभा सीट: द्वारका विधानसभा क्षेत्र में डाबड़ी, मंगलापुरी, सागरपुर, वैशाली, दशरथपुरी, दुर्गा पार्क, इंद्रा पार्क, कैलाशपुरी, दयाल पार्क, गीतांजली पार्क, वशिष्ठ पार्क, नसीरपुर गांव, और महावीर एनक्लेव जैसी कई कॉलोनियां आती हैं। इनमें तीन शहरीकृत गांव और एक दर्जन से अधिक अनधिकृत कॉलोनियां भी शामिल हैं। इसके अलावा, डीडीए की कुछ पुरानी पॉकेट्स भी इस क्षेत्र का हिस्सा हैं।
पिछले दो दशकों में यहां की आबादी तीन गुना तक बढ़ चुकी है। इस आबादी में पूर्वांचल के लोगों की अच्छी-खासी संख्या है, जो बिहार और उत्तर प्रदेश से आए हैं। इनके साथ ही उत्तराखंड और हरियाणा से आए लोगों की भी बड़ी संख्या यहां निवास करती है। यह क्षेत्र 2008 के परिसीमन से पहले नसीरपुर विधानसभा सीट का हिस्सा था, लेकिन परिसीमन के बाद इसे द्वारका नाम दिया गया। मजेदार बात यह है कि इस सीट में द्वारका का कोई सेक्टर शामिल नहीं है।
बीएसपी की एंट्री: दिल्ली में क्या मायावती इस बार बदल पाएंगी सियासी समीकरण?2025
2025 दिल्ली चुनाव: AAP, BJP और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान
जनता की नाराजगी: दिल्ली में चुनावी सरगर्मियां चांदनी चौक की शकूर बस्ती सीट पर जोरदार मुकाबला 2025 !
दिल्ली में राजनीतिक हलचल: उप राज्यपाल का पत्र और आतिशी की प्रतिक्रिया 2025 !
चुनावों में नया मोर्चा: सचदेवा का केजरीवाल को पत्र दिल्ली की राजनीति में नया विवाद 2025 !
केजरीवाल का नया हमला: RSS प्रमुख को पत्र लिखकर बीजेपी की नीतियों पर सवाल 2025 !
चुनावी मुद्दे और चुनौतियां
संसाधनों की कमी:
द्वारका विधानसभा क्षेत्र में संसाधनों की भारी कमी है। डाबड़ी मोड़ पर लगने वाला जाम, अतिक्रमण और पानी की कमी यहां के मुख्य मुद्दे हैं। सीवरेज नेटवर्क पुराना और जर्जर हो चुका है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
अतिक्रमण और अवैध निर्माण
यहां की सड़कों पर अतिक्रमण की समस्या इतनी बढ़ चुकी है कि फुटपाथ पर चलना भी मुश्किल हो गया है। बिल्डर फ्लैट्स की संख्या में बढ़ोतरी से आबादी विस्फोटक रूप से बढ़ी है। इस बढ़ती आबादी के कारण सीवरेज और पानी की समस्या और गंभीर हो गई है।
जाति समीकरण और पारंपरिक वोटर
द्वारका विधानसभा सीट पर पारंपरिक वोटरों का बड़ा प्रभाव है। यहां जाति समीकरण काफी अहम है। पूर्वांचल से आए लोगों का प्रभाव इस क्षेत्र में चुनावी नतीजों को सीधे प्रभावित करता है। इसके अलावा, उत्तराखंडी वोटरों की भी अहम भूमिका होती है।
द्वारका विधानसभा सीट: राजनीतिक इतिहास और चुनावी नतीजे
2008 से अब तक यहां चार बार विधानसभा चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं। इन चुनावों में एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी और दो बार आम आदमी पार्टी (आप) ने जीत हासिल की है। 2015 और 2020 में आप ने यहां जीत दर्ज की।
2015 में आप के आदर्श शास्त्री ने यह सीट जीती थी, जबकि 2020 में विनय मिश्रा ने इस सीट से जीत दर्ज की। हालांकि, 2020 के चुनाव में आप की जीत का अंतर 2015 की तुलना में कम हो गया। 2025 के आगामी चुनाव में आप ने फिर से विनय मिश्रा पर भरोसा जताया है, जबकि कांग्रेस ने आदर्श शास्त्री को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने अभी अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।
5 Shocking Facts About Mahila Samman Yojna You Never Knew
Will Akhilesh Pati Tripathi’s 2100 Rupees Scheme Really Empower Women?
THIRD GENDER MODULE Explained!
अखिलेश की चौथी बार जीत: क्या सच में ये सम्भव है?
Adil Ahmad Khan AAP PARTY | तेरा क्या होगा आदिल खान ? | Bolega India
अखिलेश बोले ये मेरा परिवार , मॉडल टाउन विधानसभा
मुस्तफाबाद से आदिल अहमद खान की भी कटेगी टिकट | Bolega India
वोटरों का प्रोफाइल
मई 2024 तक द्वारका विधानसभा सीट पर कुल 2,29,012 वोटर थे। इसमें सबसे अधिक संख्या 30-39 वर्ष के आयु वर्ग के वोटरों की थी, जो 69,882 हैं। इसके बाद 40-49 वर्ष के आयु वर्ग के वोटरों की संख्या 59,225 थी।
चुनाव में रणनीति और भविष्य की उम्मीदें
द्वारका विधानसभा सीट के चुनाव में जातिगत समीकरण, स्थानीय मुद्दे और पारंपरिक वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं। आम आदमी पार्टी ने यहां अपनी पकड़ बनाई हुई है, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी भी जोर आजमाने की तैयारी में हैं। यहां के वोटर अपने निर्णय को अंतिम समय तक छुपाकर रखते हैं, जिससे नतीजे हैरान कर देने वाले होते हैं।
आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी इन मुद्दों पर बेहतर रणनीति बनाकर जनता का भरोसा जीतने में कामयाब होती है।