OKHLA LANDFILL: नई दिल्ली में CM Rekha Gupta और उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना ने ओखला लैंडफिल साइट पर बायोमाइनिंग के बाद खाली हुई ज़मीन पर बांस के पौधों का रोपण किया।
इस पहल का मकसद दिल्ली में प्रदूषण को कम करना और हरियाली बढ़ाना है। इस अवसर पर कुल 8000 बांस के पौधे लगाए गए, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं बल्कि कम देखभाल में तेजी से बढ़ते हैं और 30% अधिक ऑक्सीजन भी छोड़ते हैं।
LG सक्सेना ने की CM रेखा गुप्ता की खुलकर तारीफ
इस कार्यक्रम में मेयर राजा इकबाल सिंह, पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी, एमसीडी अधिकारी, निगम पार्षद, मुख्य सचिव और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
इस मौके पर LG सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “मेरे पास CM की तारीफ के लिए शब्द नहीं हैं। जब से वो मुख्यमंत्री बनी हैं, 24 घंटे दिल्ली के कायाकल्प में जुटी हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि जब तक दिल्ली का नेतृत्व काम के प्रति ऊर्जा नहीं दिखाएगा, तब तक शहर में बड़ा बदलाव संभव नहीं है।
अब तक दिल्ली में लगाए गए 1.78 लाख बांस के पौधे
LG ने बांस पौधारोपण को छोटा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब तक दिल्ली में 1.78 लाख बांस के पौधे लगाए जा चुके हैं, जो दिल्ली की हवा को साफ करने में मदद करेंगे।
CM Rekha Gupta ने बताया कि OKHLA LANDFILL साइट, जो पहले 60 मीटर ऊंचे कूड़े के पहाड़ के रूप में जानी जाती थी, अब उसे बायोमाइनिंग के जरिए 40 मीटर तक कम कर दिया गया है। पहले जहां 60 लाख मीट्रिक टन कचरा था, अब वो घटकर 28 लाख मीट्रिक टन रह गया है।
CM ने कहा कि उनकी सरकार “काम करने वाली सरकार” है, सिर्फ नाम की नहीं। उन्होंने कहा कि पिछले 100 दिनों में दिल्ली में साफ बदलाव दिखने लगा है, जो जनता के सहयोग से संभव हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि आज जब लोग उनसे भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछते हैं, तो उनका जवाब होता है – “हम आपको काम करके दिखाएंगे।”
हर दिन 15,000 टन कचरा प्रोसेस करने का लक्ष्य तय
उन्होंने बताया कि दिल्ली में रोजाना 11,000 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन मौजूदा क्षमता के अनुसार केवल 7000 टन कचरा ही प्रोसेस हो पाता है। बाकी 4000 टन रोज जमा हो रहा है, जिससे आने वाले समय में फिर से कचरे की समस्या पैदा हो सकती है।
इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार दो नए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने और पुराने प्लांटों की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। लक्ष्य है कि आने वाले समय में हर दिन 15,000 टन कचरे का निपटान किया जा सके।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली की 11 डेयरी कॉलोनियों में एक भी बायोगैस प्लांट नहीं था। पहले पशुओं का गोबर यमुना में बहाया जा रहा था, जिससे नदियों का प्रदूषण बढ़ता था। अब सरकार ने इन कॉलोनियों में बायोगैस संयंत्र लगाने का निर्णय लिया है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले इस व्यवहार को रोका जा सके।
पर्यावरण को लेकर गंभीर हुई दिल्ली सरकार
इस वृक्षारोपण कार्यक्रम और CM के बयानों से साफ है कि दिल्ली सरकार अब पर्यावरण और सफाई को लेकर गंभीर है। LG और CM के एक मंच पर साथ आकर इस तरह की पहल करना आने वाले समय में दिल्ली को एक साफ, हरित और बेहतर राजधानी बनाने की दिशा में मजबूत कदम है।