REKHA GUPTA CABINET ACTION PLAN: दिल्ली में नई बीजेपी सरकार के गठन के बाद जनता को इससे कई उम्मीदें हैं।
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में पहली कैबिनेट बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। इन मुद्दों में दिल्ली का बिगड़ता बजट, यमुना की सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन, सड़कें, जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।
REKHA GUPTA CABINET ACTION PLAN: दिल्ली की आर्थिक स्थिति और बजट
नई बीजेपी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को संभालना है। मुफ्त बिजली, पानी, महिलाओं के लिए बस यात्रा जैसी योजनाओं पर सरकार पहले से ही भारी खर्च कर रही है। इसके अलावा, डीटीसी और दिल्ली जल बोर्ड को भी बड़ी धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। पिछली सरकार ने विभिन्न योजनाओं और खर्चों को पूरा करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसे वित्त विभाग ने दीर्घकालिक रूप से जोखिम भरा बताया था।
वित्त विभाग के मुताबिक, मौजूदा योजनाओं और चुनावी वादों को पूरा करने के लिए सरकार को सालाना कम से कम 24,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। राज्य का राजस्व टैक्स और गैर-टैक्स स्रोतों से सालाना 9-10% की दर से बढ़ रहा है, लेकिन यह खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अधिकारियों का मानना है कि केवल केंद्र सरकार से मिलने वाला अनुदान ही नई योजनाओं के लिए फंडिंग का एकमात्र भरोसेमंद स्रोत हो सकता है।
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प्रदूषण और पर्यावरण सुधार
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है। सर्दियों में यह स्थिति और भी खराब हो जाती है। 2023 तक दिल्ली में PM2.5 और PM10 के स्तर में गिरावट देखी गई थी, लेकिन 2024 में यह ट्रेंड टूट गया। 2024 में PM10 की वार्षिक औसत सांद्रता राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक से 3.5 गुना और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन से 14 गुना अधिक पाई गई।
सरकार के सामने सबसे बड़ी प्राथमिकता स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान कर उन्हें नियंत्रित करना होगा। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है, जिसमें दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, नगर निगम और पड़ोसी राज्यों का सहयोग आवश्यक होगा।
यमुना सफाई अभियान
बीजेपी सरकार का लक्ष्य है कि अगले तीन वर्षों में यमुना का पानी इतना साफ हो जाए कि कोई भी इसमें बिना किसी बीमारी के खतरे के डुबकी लगा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यमुना की सफाई का वादा किया था, इसलिए यह नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। चूंकि केंद्र और हरियाणा में भी बीजेपी की सरकार है, इसलिए संसाधनों की कमी या अपस्ट्रीम प्रदूषण को बहाना नहीं बनाया जा सकता।
कैबिनेट शपथ ग्रहण से पहले ही, केंद्र ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के माध्यम से यमुना की सफाई के लिए फ्लोटिंग क्रेन और ट्रॉमेल मशीनों को तैनात करने के कदम उठाए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि नई सरकार इस दिशा में कितनी प्रभावी साबित होती है।
लैंडफिल साइट्स की समस्या
एमसीडी ओखला, गाजीपुर और भलस्वा के तीन बड़े लैंडफिल साइट्स को समतल करने के लिए संघर्ष कर रही है। इन स्थानों पर 160 लाख टन से अधिक पुराना कचरा पड़ा हुआ है और प्रतिदिन 3,000-3,500 टन ताजा कचरा डाला जाता है। 2019 में एनजीटी ने इस कचरे से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। एमसीडी ने 2020 में तीन लैंडफिल साइट्स पर बायोमाइनिंग कार्यों का पहला चरण शुरू किया।
हालांकि, भलस्वा को छोड़कर, ओखला और गाजीपुर में पुराने कचरे के टारगेट को पूरा नहीं किया जा सका। एमसीडी की स्थायी समिति के गठन में देरी के कारण बायोमाइनिंग के दूसरे चरण की प्रक्रिया अटक गई थी। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही स्थायी समिति की शक्ति नगर आयुक्त को सौंपी गई, जिससे 18 महीनों में लैंडफिल पर 80 लाख टन पुराने कचरे के प्रसंस्करण के लिए नई निविदाएं जारी की जा सकीं।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
दिल्ली में तीन प्रमुख अस्पताल—रघुबीर नगर में गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, मंगोलपुरी में संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल और मोती नगर में आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल—शहर के स्वास्थ्य ढांचे में 16,186 नए बेड जोड़ सकते हैं। लेकिन इन परियोजनाओं का कार्य धन की कमी के कारण रुका हुआ है।
इन अस्पतालों को अगले तीन वर्षों में पूरा करने के लिए लगभग 10,250 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि 2024-25 वित्तीय वर्ष में इन सुविधाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। नई सरकार को डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, साथ ही अन्य सरकारी अस्पतालों, औषधालयों और मोहल्ला क्लीनिक में दवाओं और नैदानिक परीक्षणों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
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सड़क और परिवहन व्यवस्था
दिल्ली की सड़कें और यातायात की समस्या भी सरकार के लिए एक प्रमुख चुनौती होगी। पिछले साल अक्टूबर में, लोक निर्माण विभाग (PWD) ने लगभग 6,000 गड्ढों वाली सड़कों की पहचान की थी, जिनकी मरम्मत अब करनी होगी।
बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बारापुल्ला फेज 3, तीन डबल-डेकर फ्लाईओवर, नंद नगरी और आनंद विहार फ्लाईओवर, सावित्री सिनेमा में एक हाफ फ्लाईओवर और भैरों मार्ग अंडरपास नंबर 5 जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
नई सरकार के लिए दिल्ली में यातायात की सुगमता और सार्वजनिक परिवहन को सुधारना एक बड़ी चुनौती होगी। दिल्ली मेट्रो और बस नेटवर्क को और अधिक प्रभावी बनाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
नई सरकार के सामने अहम चुनौतियां
नई बीजेपी सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन इनसे निपटने की रणनीति बनाकर ही वह जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतर सकती है। दिल्ली का बिगड़ता बजट, प्रदूषण, यमुना सफाई, स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी ढांचे में सुधार इस सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार आने वाले वर्षों में इन चुनौतियों से कैसे निपटती है।