खर्चों पर विवाद गहराया: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच एक बड़ा राजनीतिक विवाद सामने आया है।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर भारी-भरकम खर्चों का खुलासा हुआ है। यह मुद्दा चुनावी माहौल में गरमाता दिख रहा है, और विपक्ष इसे चुनावी प्रचार में हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
खर्चों पर विवाद गहराया: सीएजी रिपोर्ट और खर्चों का खुलासा
खर्चों पर विवाद गहराया: सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने रिटायरमेंट से ठीक एक सप्ताह पहले इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए, जिसमें केजरीवाल के आवास पर अनुमानित लागत से तीन गुना अधिक खर्च की बात सामने आई है। यह खर्च वर्ष 2020 में निर्धारित 8.62 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 तक 33.66 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण और मरम्मत कार्यों में कई महंगे आइटम शामिल थे, जैसे:
- 96 लाख रुपये के पर्दे
- 39 लाख रुपये का किचन का सामान
- 20 लाख रुपये का टीवी कंसोल
- 18 लाख रुपये का ट्रेडमिल और अन्य जिम का सामान
- 16 लाख रुपये के सिल्क के कालीन
- 66 लाख रुपये के मार्बल स्टोन (शुरुआती अनुमान 20 लाख था)
इन खर्चों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि सार्वजनिक धन का इस्तेमाल इस तरह कैसे किया गया।
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खर्चों पर विवाद गहराया: बीजेपी का हमला ‘शीशमहल’ की राजनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक रैली में सीएम आवास के खर्चों को लेकर केजरीवाल पर सीधा हमला किया। उन्होंने कहा, “मैं भी ‘शीशमहल’ बनवा सकता था, लेकिन मैंने चार करोड़ गरीबों को घर दिलाने पर ध्यान दिया।” इसके बाद बीजेपी ने इसे “शीशमहल” का नाम देते हुए केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) को निशाने पर लेना शुरू कर दिया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह आम आदमी पार्टी के कथित भ्रष्टाचार और दिखावे की राजनीति का प्रतीक है। शाह ने कहा कि ‘आप’ ने हमेशा खुद को ईमानदारी की राजनीति का उदाहरण बताया, लेकिन सीएम आवास के खर्च इसके विपरीत कहानी बयां करते हैं।
आप का पलटवार बीजेपी पर दुष्प्रचार अभियान का आरोप
इस विवाद के बीच आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि बीजेपी आगामी चुनावों में हार के डर से इस तरह के मुद्दों को उछाल रही है। आप ने दावा किया कि सभी खर्च कानूनी प्रक्रिया के तहत किए गए और किसी भी अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता।
आप प्रवक्ता ने कहा, “यह भाजपा का दुष्प्रचार अभियान है। दिल्ली के लोग जानते हैं कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में ऐतिहासिक काम किया है। ये मुद्दे भाजपा की हताशा का नतीजा हैं।”
यह मामला दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। केजरीवाल के सीएम आवास का मुद्दा जनता के बीच कितनी पकड़ बनाएगा, यह देखना बाकी है। वहीं, बीजेपी इसे भ्रष्टाचार और जनता के धन के दुरुपयोग के प्रतीक के रूप में पेश कर रही है।
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चुनाव परिणामों में ‘शीशमहल’ विवाद की भूमिका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद का असर चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है। दिल्ली के मतदाता, जो बुनियादी सुविधाओं और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इस मुद्दे को किस नजरिए से देखते हैं, यह तय करेगा कि यह विवाद कितना प्रभावी होगा।
इसके साथ ही, बीजेपी द्वारा उठाए गए सवाल और आप द्वारा किए गए बचाव, दोनों ही आगामी चुनाव में मतदाताओं की राय को प्रभावित कर सकते हैं।
जनता का रुख और चुनावी परिणाम पर विवाद का प्रभाव
सीएजी की रिपोर्ट ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया विवाद जोड़ दिया है। चुनावी समय में इस तरह के मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। अब देखना होगा कि जनता इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और यह विवाद आगामी चुनावी परिणामों को कितना प्रभावित करता है।