SECTION 168A: सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि क्या GST Act की धारा 168A के तहत अधिसूचना जारी करके कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने और आदेश पारित करने की समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है।
यह प्रावधान सरकार को अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा को बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार देता है, जिसका अनुपालन अनिवार्य कारणों से नहीं किया जा सकता।
SECTION 168A: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना जीएसटी अधिनियम पर उठाए कानूनी प्रश्न
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन शामिल हैं, ने इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार करने की सहमति दी है। न्यायालय ने कहा:
“इस न्यायालय के विचारणीय मुद्दे यह हैं कि क्या GST Act की धारा 73 और SGST Act (तेलंगाना जीएसटी अधिनियम) के तहत वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने और आदेश पारित करने की समय-सीमा को GST Act की धारा 168A के तहत अधिसूचना जारी करके बढ़ाया जा सकता था।”
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धारा 168A का प्रावधान
GST Act की धारा 168A विशेष परिस्थितियों में समय-सीमा बढ़ाने के लिए सरकार को शक्ति प्रदान करती है। इसका प्रावधान इस प्रकार है:
168A. विशेष परिस्थितियों में समय-सीमा बढ़ाने की सरकार की शक्ति.— “इस अधिनियम में निहित किसी भी बात के बावजूद, सरकार परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट, या निर्धारित या अधिसूचित समय-सीमा को उन कार्यों के संबंध में बढ़ा सकती है, जिन्हें अनिवार्य कारण के कारण पूरा या अनुपालन नहीं किया जा सकता।”
तेलंगाना हाईकोर्ट में चुनौती
तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें अधिसूचना नंबर 13/2022, 9/2023 और 56/2023 की वैधता को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि:
- कारण बताओ नोटिस 31.05.2024 को जारी किया गया, लेकिन आदेश 29.08.2024 को पारित हुआ, जो धारा 73 की परिसीमा अवधि से बाहर था।
- किसी अप्रत्याशित परिस्थिति का हवाला नहीं दिया गया, जिससे अधिसूचना जारी करने का कोई आधार नहीं बनता।
- COVID-19 छूट 28.02.2022 को समाप्त हो गई थी, इसलिए इस आधार पर समय-सीमा का विस्तार नहीं किया जा सकता।
धारा 168A का उद्देश्य विस्तृत संरक्षण प्रदान करना
सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमा अवधि में ढील देने के आदेश पर विचार करते हुए कहा कि यह केवल उन मामलों में लागू होता है, जहां परिसीमा अवधि विधिवत निर्धारित की गई थी।
“जिस तरह से क़ानून यानी धारा 168A को लिखा गया, उसमें इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि कानून निर्माताओं का इरादा इसे व्यापक छत्र प्रदान करना था, जिससे ऐसे कार्यों को इसके दायरे में लाया जा सके, जो अनिवार्य कारण से पूरे नहीं किए जा सके।”
पटना हाईकोर्ट के फैसले का हवाला
सुप्रीम कोर्ट ने मेसर्स बरहोनिया इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड बनाम बिहार राज्य मामले में पटना हाईकोर्ट के फैसले को भी ध्यान में रखा, जिसमें अधिसूचना द्वारा समय-सीमा बढ़ाने को वैध ठहराया गया था।
हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय
तेलंगाना हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा:
“अधिसूचनाओं की वैधता का सवाल महत्वहीन हो जाता है। चूंकि 15.03.2020 से 28.02.2022 के बीच की अवधि को परिसीमा की गणना से बाहर रखा गया था, इसलिए अधिसूचनाओं की वैधता से संबंधित तर्क प्रकृति में अकादमिक हो गए।”
तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए वर्तमान याचिकाकर्ता ने विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की।
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. मुरलीधर ने कहा कि देश के विभिन्न हाईकोर्ट के बीच इस मुद्दे पर मतभेद हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और उन्हें 07.03.2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
क्या सरकार को समय-सीमा बढ़ाने की असीमित शक्ति प्राप्त है?
यह मामला न केवल GST कानूनों के तहत समय-सीमा विस्तार की व्याख्या को स्पष्ट करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि सरकार को कब और किन परिस्थितियों में अधिसूचना द्वारा समय-सीमा बढ़ाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भविष्य में GST विवादों में एक महत्वपूर्ण नज़ीर बन सकता है।
मामला शीर्षक: एम/एस एचसीसी-एसईडब्ल्यू-एमईआईएल-एएजी जेवी बनाम राज्य कर सहायक आयुक्त एवं अन्य, विशेष अनुमति याचिका (नागरिक) संख्या 4240/2025
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