SRDC की योजना फेल: नई दिल्ली, 7 अप्रैल 2025 – कभी मुगलों की शान और दिल्ली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक माने जाने वाला चांदनी चौक आज दुर्दशा का शिकार है।
चार साल पहले जब माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने शहजहांबाद रीडिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (SRDC) Shahjahanabad Redevelopment Corporation के माध्यम से चांदनी चौक के सौन्दर्यीकरण की योजना शुरू की थी, तब यह उम्मीद की गई थी कि यह इलाका न केवल स्वच्छ और सुव्यवस्थित होगा, बल्कि दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगा।
SRDC की योजना फेल: 2022 में बनी थी स्वच्छता की मिसाल 2025 में कूड़े का अड्डा बना चांदनी चौक
2020-21 में शुरू हुआ सौन्दर्यीकरण प्रोजेक्ट 2022 में औपचारिक रूप से पूर्ण घोषित किया गया था। लेकिन आज, 2025 में, चांदनी चौक की हालत यह है कि उसकी आत्मा कराह रही है। लाल किला से फतेहपुरी मस्जिद तक फैले इस ऐतिहासिक मार्ग की जो सुंदर तस्वीर सामने आई थी, वह अब गंदगी, अव्यवस्था और अराजकता में बदल चुकी है।
2024 में प्रशासनिक बदलाव के तहत SRDC के कई कार्यभार नगर निगम के अधीन आ गए। तभी से स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। नगर निगम के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का परिणाम यह है कि चांदनी चौक आज फिर से कूड़े और अतिक्रमण के ढेर में तब्दील हो गया है।
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यू-टर्न पॉइंट्स बने बेघरों के ठिकाने
कभी इस मार्ग पर जो लाल पत्थर की बेंचें बैठने के लिए बनाई गई थीं, वे अब काली और गंदी हो चुकी हैं। वहां बैठना तो दूर, कोई पास भी जाना पसंद नहीं करता। सौन्दर्यीकरण के दौरान लगाए गए पौधों की देखभाल नहीं हुई, जिससे वे सूख गए और उनके चारों ओर लगे लकड़ी के बैरिकेड्स टूट चुके हैं। अब वहां पौधों की जगह कूड़े के ढेर दिखाई देते हैं। ट्रांसफॉर्मरों के पास भी यही हाल है – वहां भी कूड़े का साम्राज्य है।
जहां-जहां यू-टर्न या बैठने की जगह बनाई गई थी, उन सभी स्थानों पर अब बेघर लोगों ने अपने ठिकाने बना लिए हैं। पूरे चांदनी चौक की आत्मा को जैसे कुचल दिया गया है।
रिक्शा व्यवस्था की बात करें तो अदालत के निर्देशानुसार यहां केवल 300 अधिकृत साइकिल रिक्शा चलाने की अनुमति थी, लेकिन आज लाल किला से फतेहपुरी तक लगभग 2000 साइकिल रिक्शा चल रहे हैं। इनकी वजह से पैदल चलना भी कठिन हो गया है। सड़कों पर इतना जाम है कि लोग पैदल ही जल्दी पहुंच जाते हैं।
ठेले-पार्किंग और अतिक्रमण ने छीना चांदनी चौक का सुकून
सड़क की दोनों पटरी या तो दुकानदारों के अतिक्रमण में हैं या दोपहिया वाहनों की पार्किंग स्थल बन चुकी हैं। तीन महीने से तो ठेले भी दिनभर सड़कों पर दिखाई देते हैं, जिससे रास्ता और भी तंग हो गया है।
फव्वारा चौक का नजारा तो अव्यवस्था की चरमसीमा है। शीशगंज गुरुद्वारा के सामने नुक्कड़ की एक दुकान ने पूरे फुटपाथ पर कब्जा कर लिया है, जो साफ तौर पर कानून और व्यवस्था की अवहेलना है।
चांदनी चौक को सुबह 9 से रात 9 बजे तक नो मोटर व्हीकल जोन घोषित किया गया था और इसका कुछ हद तक पालन भी हुआ, लेकिन अब स्थिति यह है कि स्कूटर, ई-रिक्शा, पुलिस की गाड़ियां, बैंक की वैन, सरकारी अधिकारियों और नेताओं की निजी गाड़ियां बेरोकटोक घूम रही हैं।
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रिक्शा-ऑटो वालों का कब्जा हर एंट्री पॉइंट पर आमजन की राह मुश्किल
बूम बैरियर की बात करें तो फरवरी 2025 में इन्हें आखिरकार स्थापित किया गया, लेकिन ये भी शोपीस बनकर रह गए हैं। ये बिजली से नहीं, रस्सियों से संचालित हो रहे हैं और इन पर रिक्शा और ठेले वालों का कब्जा है।
सौन्दर्यीकरण के दौरान अवैध प्रवेश मार्गों को बंद किया गया था, जैसे लाल किला, साइकिल मार्केट, फव्वारा चौक, बल्लीमारन आदि। लेकिन अब कोई भी कहीं से भी प्रवेश कर रहा है। पूरा सिस्टम ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है।
चांदनी चौक में अब 50 से अधिक खाने-पीने की अस्थायी दुकानें खुल चुकी हैं, जिनके बाहर लगे कूड़ेदानों में भरे दोने-पत्तल एक नई गंदगी की समस्या पैदा कर रहे हैं। हर प्रवेश बिंदु पर रिक्शा, ई-रिक्शा और ऑटो वालों का कब्जा है, जिससे लोगों की आवाजाही और भी कठिन हो गई है।
बचेगा चांदनी चौक तो सिर्फ तस्वीरों और किताबों में ज़मीन पर नहीं
यह सब देख कर मन में एक ही सवाल उठता है – क्या प्रशासन, सरकार और न्यायपालिका की मंशा को इस तरह जमीनी स्तर पर दरकिनार कर दिया जाना स्वीकार्य है?
काश कि दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री या महापौर एक आकस्मिक दौरा करें और देखें कि चांदनी चौक की क्या हालत कर दी गई है। एक ऐतिहासिक धरोहर, जो दिल्ली की पहचान थी, आज बदहाली और अव्यवस्था की मिसाल बन चुकी है।
इस ऐतिहासिक इलाके को फिर से संवारने के लिए एक मजबूत इच्छाशक्ति, ईमानदार प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी की जरूरत है। वरना चांदनी चौक बस इतिहास के पन्नों में ही सुंदर रह जाएगा, धरातल पर नहीं।