SUPREME COURT: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी

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By headlineslivenews.com

SUPREME COURT: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी

SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मामलों की सूची और सुनवाई के तरीके पर गंभीर चिंता व्यक्त

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SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मामलों की सूची और सुनवाई के तरीके पर गंभीर चिंता व्यक्त की। यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई। अंसारी ने दावा किया था कि उनकी संपत्ति विवाद से संबंधित याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि अन्य प्रभावित पक्षों को राहत दी गई है।

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SUPREME COURT: मामला और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उच्च न्यायालयों, विशेषकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय, की कार्यप्रणाली पर चिंता जताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा:

“कुछ उच्च न्यायालयों में हमें नहीं पता कि क्या होगा। यह एक ऐसा उच्च न्यायालय है, जिसके कामकाज को लेकर वास्तव में चिंता होनी चाहिए।”

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वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए इसे “बहुत ही चिंताजनक” बताया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फाइलिंग और लिस्टिंग प्रक्रिया की अव्यवस्था का उल्लेख किया। उन्होंने कहा:

“दुर्भाग्य से, फाइलिंग ध्वस्त हो गई है, लिस्टिंग ध्वस्त हो गई है। कोई नहीं जानता कि कौन सा मामला कब सूचीबद्ध होगा। मैंने इस पर संबंधित न्यायाधीशों और रजिस्ट्रार के साथ लंबी बातचीत की।”

SUPREME COURT: अब्बास अंसारी का मामला

अब्बास अंसारी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनकी पारिवारिक संपत्ति को बिना उचित प्रक्रिया के निष्क्रांत संपत्ति घोषित कर दिया गया। उनका यह भी कहना था कि अन्य प्रभावित पक्षों को अंतरिम राहत दी गई, लेकिन उन्हें इससे वंचित रखा गया।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा संरक्षण न दिए जाने के बाद राज्य सरकार ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माण कार्य शुरू कर दिया।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को निर्देश दिया था कि वह अंसारी की याचिका पर शीघ्र सुनवाई करे और 4 नवंबर 2024 तक अंतरिम स्थगन के आवेदन पर निर्णय ले। लेकिन कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद मामले पर सुनवाई नहीं हुई।

उन्होंने सवाल उठाया:

“अगर उच्च न्यायालय इस तरह काम करेंगे, तो नागरिक न्याय के लिए कहां जाएंगे?”

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SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए निम्नलिखित आदेश दिए:

  1. यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश: अदालत ने संबंधित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
  2. मामले की जल्द सुनवाई: उच्च न्यायालय को निर्देश दिया गया कि वह इस मामले को जल्द सूचीबद्ध करे।
  3. खंडपीठ को अवगत कराना: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के संज्ञान में लाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश की योग्यता की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह देश के सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीशों में से एक हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा:

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“वह अच्छा लिखते हैं और उनकी लेखनी में स्पष्टता है।”

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल इलाहाबाद उच्च न्यायालय बल्कि सभी उच्च न्यायालयों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित की जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नागरिकों के न्याय के अधिकार का हनन नहीं होना चाहिए।

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