SUPREME COURT: भारत में बढ़ते गैर-लाइसेंसी हथियारों और गोला-बारूद के संकट को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मुद्दे से निपटने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समितियां गठित करने का आदेश दिया है।
ये समितियां गैर-लाइसेंसी हथियारों और गोला-बारूद पर नियंत्रण करने और कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक ठोस कार्य योजना तैयार करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि अवैध हथियार निर्माण और बिक्री पर रोकथाम के प्रयासों में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
SUPREME COURT: पृष्ठभूमि और कारण
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में स्वतः संज्ञान लेते हुए गैर-लाइसेंसी हथियारों की समस्या पर विचार किया। यह मुद्दा विशेष अनुमति याचिका (SLP) के तहत दाखिल एक मामले से संबंधित है जिसमें देखा गया कि हत्या जैसे गंभीर अपराध में गैर-लाइसेंसी हथियार का उपयोग किया गया था। कोर्ट ने इसे “कानून व्यवस्था के लिए खतरा” बताते हुए इस पर सख्त कार्रवाई की जरूरत बताई।
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कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में लोगों की जान की सुरक्षा सर्वोपरि है और गैर-लाइसेंसी हथियारों का इस्तेमाल “कानून व्यवस्था के लिए मृत्यु का संकेत” हो सकता है। कोर्ट ने माना कि गैर-लाइसेंसी हथियारों की समस्या गंभीर हो चुकी है, जो न केवल लोगों के जीवन के लिए बल्कि न्याय व्यवस्था के लिए भी खतरा है। यह केस “राजेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य” के नाम से सूचीबद्ध है, जिसमें कोर्ट ने सरकारी तंत्र को इस समस्या के समाधान के लिए सख्त कदम उठाने का आदेश दिया है।
SUPREME COURT: समिति की संरचना और दायित्व
कोर्ट द्वारा निर्देशित पांच सदस्यीय समितियों का नेतृत्व प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव करेंगे। इस समिति में गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक या महानिरीक्षक, विधि सचिव और बैलिस्टिक्स विशेषज्ञ को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। इस समिति के प्रमुख दायित्व होंगे:
- हथियार अधिनियम और नियमों का कार्यान्वयन: समिति यह सुनिश्चित करेगी कि हथियार अधिनियम और नियमों का कड़ाई से पालन हो।
- लाइसेंसी और गैर-लाइसेंसी फैक्ट्रियों का निरीक्षण: सभी लाइसेंसी और गैर-लाइसेंसी हथियार निर्माण इकाइयों का निरीक्षण कर उनकी स्थिति का ऑडिट करेगी।
- गैर-लाइसेंसी हथियारों पर डेटा संग्रह: अवैध हथियारों के निर्माण, बिक्री, और परिवहन से जुड़े सभी आंकड़ों को एकत्रित करेगी।
- अपराध में गैर-लाइसेंसी हथियारों का उपयोग: समाज और राज्य के खिलाफ होने वाले अपराधों में अवैध हथियारों के उपयोग पर अध्ययन करेगी और रोकथाम के उपाय सुझाएगी।
- रिपोर्ट और सुझाव प्रस्तुत करना: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन समितियों द्वारा तैयार की गई कार्य योजनाओं को दस सप्ताह के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
SUPREME COURT: अवैध हथियारों की समस्या का वर्गीकरण और न्यायालय की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान न्याय मित्र एस. नागमुथु ने अदालत को अवैध हथियारों की समस्या के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने हथियारों और गोला-बारूद को चार व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया:
- लाइसेंसी हथियार: जो कानूनी रूप से निर्मित और लाइसेंसधारियों द्वारा स्व-रक्षा जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए रखे जाते हैं।
- गैर-कानूनी उपयोग के लिए लाइसेंसी हथियार: जो लाइसेंस के अंतर्गत आते हैं लेकिन अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- तस्करी वाले हथियार: जो तस्करी के माध्यम से देश में आते हैं और कानून का उल्लंघन करते हुए समाज-विरोधी तत्वों और चरमपंथी समूहों के पास होते हैं।
- गैर-लाइसेंसी और घरेलू निर्माण वाले हथियार: जो बिना किसी लाइसेंस के समाज-विरोधी तत्वों और चरमपंथी समूहों के हाथों में होते हैं।
न्याय मित्र नागमुथु ने कोर्ट को बताया कि गैर-लाइसेंसी हथियारों का प्रयोग असामाजिक गतिविधियों में दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे आम जनता में डर का माहौल बनता जा रहा है। कोर्ट ने पाया कि यह बढ़ती समस्या कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में बताया कि गैर-लाइसेंसी हथियारों के निर्माण और उपयोग पर रोक लगाने के लिए हथियार अधिनियम और नियमों को लागू किया गया है। सरकार ने अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर दंड बढ़ाए हैं और कुछ शर्तों की परिभाषाओं को विस्तारित किया है। इसके अतिरिक्त, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) अवैध हथियारों के खिलाफ सक्रिय जाँच और कार्रवाई कर रही है। हालाँकि, सरकार ने यह भी कहा कि पुलिस और जनता से संबंधित विषय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दायरे में आते हैं, इसलिए इन प्रावधानों को लागू करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों की है।
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट की निर्देशित दिशा
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राज्यों द्वारा कार्य योजना जल्द से जल्द कोर्ट में प्रस्तुत की जाए। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या कानून व्यवस्था के लिए गंभीर संकट का रूप ले सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी राज्य सरकारें इस मामले में न केवल संवेदनशीलता बल्कि संजीदगी के साथ कार्रवाई करें ताकि आम जनता को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध हो सके।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गैर-लाइसेंसी हथियारों की समस्या के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। कोर्ट ने राज्यों को तत्काल कदम उठाने के आदेश दिए हैं ताकि इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सके। अदालत ने उम्मीद जताई है कि समिति द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली कार्य योजना से इस समस्या का समाधान होगा और समाज को सुरक्षित वातावरण मिल सकेगा।