SUPREME COURT: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हल्के मोटर वाहन (LMV) लाइसेंस धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि जिनके पास हल्के मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस है, वे 7500 किलोग्राम से कम वजन वाले हल्के परिवहन वाहन भी चला सकते हैं।
इस फैसले से वाहन चालकों के बीच कानूनी और व्यावहारिक रूप से एक बड़ा परिवर्तन आया है, क्योंकि यह उनके रोजमर्रा के कार्यों और जीविका पर सीधा प्रभाव डालता है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस संदर्भ में 2017 के एक फैसले को बरकरार रखते हुए यह स्पष्टीकरण दिया।
यह पीठ मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की संयुक्त उपस्थिति में मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ का यह कहना था कि “यदि किसी व्यक्ति के पास हल्के मोटर वाहन का लाइसेंस है और वाहन का कुल वजन 7500 किलो से कम है, तो उसे परिवहन वाहन चलाने के लिए किसी अतिरिक्त प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं है।”
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SUPREME COURT: फैसले की पृष्ठभूमि
यह मामला मोटर वाहन अधिनियम की धारा 10 के विभिन्न उपधाराओं की व्याख्या पर आधारित था, जहां परिवहन वाहन और हल्के वाहन लाइसेंस के बीच भेदभाव की आवश्यकता और उद्देश्य पर चर्चा हुई। यह निर्णय मुख्य रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो हल्के परिवहन वाहन जैसे कि छोटे ट्रक, पिकअप ट्रक या अन्य हल्के व्यवसायिक वाहन चलाकर अपने परिवार का पालन करते हैं। यह निर्णय न केवल उनकी आजीविका पर बल्कि पूरे ड्राइविंग समुदाय के बीच कानूनी स्पष्टता लाने में सहायक होगा।
इस मामले में, अदालत ने स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम में “हल्के मोटर वाहन” और “परिवहन वाहन” को पूरी तरह से अलग श्रेणियों के रूप में नहीं देखा जा सकता है। पीठ ने इस तथ्य को माना कि दोनों श्रेणियों में कुछ समानता होती है। अदालत ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 10 (2) के तहत हल्के मोटर वाहन के लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक के हल्के परिवहन वाहन चलाने की अनुमति दी, बशर्ते कि वाहन का वजन इस सीमा में आता हो।
अदालत ने यह भी कहा कि “सड़क सुरक्षा और मोटर वाहन अधिनियम की संरचना को ध्यान में रखते हुए, यह मानना गलत नहीं होगा कि हल्के मोटर वाहन लाइसेंस वाले चालक परिवहन वाहन चला सकते हैं, जब तक कि वह वजन सीमा के भीतर हो।” पीठ का मानना था कि यह निर्णय सड़क सुरक्षा को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेगा, क्योंकि एक बुनियादी चालक कौशल सभी प्रकार के वाहन चालकों में समान होता है।
SUPREME COURT: सड़क सुरक्षा और दुर्घटना दर पर दृष्टिकोण
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी ध्यान दिया कि इस बात का कोई ठोस प्रमाण या डेटा प्रस्तुत नहीं किया गया कि हल्के वाहन लाइसेंस धारकों द्वारा परिवहन वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं की दर में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। अदालत ने तर्क दिया कि एक हल्के वाहन लाइसेंस धारक द्वारा हल्के परिवहन वाहन चलाने से कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं होता है, क्योंकि ऐसे वाहनों का संचालन अधिकांशतः समान प्रकार के कौशल की मांग करता है।
अदालत ने यह भी कहा कि “हल्के मोटर वाहन और परिवहन वाहन” पर जोर देने की आवश्यकता केवल मध्यम और भारी वाहनों के संदर्भ में ही है। विशेष अर्हता केवल उन मध्यम और भारी वाहनों के लिए लागू होती है जिनका वजन 7500 किलो से अधिक होता है, जैसे मध्यम और भारी यात्री वाहन, भारी माल वाहन, और खतरनाक माल ले जाने वाले वाहन।
अदालत ने यह भी नोट किया कि ड्राइविंग लाइसेंस नियमों को वर्तमान युग की तकनीकी प्रगति के साथ जोड़ा जाना चाहिए। आज के समय में जब चालक-रहित वाहन और ऐप-आधारित यात्री सेवाएं एक वास्तविकता बन चुकी हैं, ऐसे में लाइसेंसिंग प्रणाली को भी इन परिवर्तनों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।
भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने अदालत को सूचित किया कि सरकार मोटर वाहन अधिनियम में कुछ संशोधन लाने पर विचार कर रही है। यह संशोधन, जिसमें कुछ कानूनी खामियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा, आगामी लोकसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है।
SUPREME COURT: अदालत की टिप्पणी
अदालत ने अपनी व्याख्या में यह भी कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, परिवहन वाहनों को केवल उन व्यक्तियों द्वारा ही चलाया जा सकता है जिनके पास उस विशेष श्रेणी के वाहन के लिए लाइसेंस है। इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि उसकी वर्तमान व्याख्या से सड़क सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही यह निर्णय उन ड्राइवरों की जीविका से जुड़े मुद्दों का भी समाधान करेगा, जो हल्के परिवहन वाहन चलाते हैं और जिनके पास हल्के मोटर वाहन लाइसेंस होता है।
यह फैसला “हल्के मोटर वाहन” और “परिवहन वाहन” लाइसेंस के बीच के भेदभाव को स्पष्टता प्रदान करता है। अदालत का यह निर्णय उन लोगों के लिए एक राहत के रूप में आया है, जो बिना किसी अतिरिक्त लाइसेंसिंग के अपनी आजीविका चलाने के लिए हल्के परिवहन वाहन चलाते हैं।
मामला शीर्षक: बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम रंभा देवी और अन्य [C.A. No. 841/2018]