TELANGANA HC: फिक्स्ड डिपॉजिट नुकसान को व्यावसायिक हानि नहीं माना जा सकता

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By headlineslivenews.com

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TELANGANA HC: तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि किसी बैंक के परिसमापन के कारण फिक्स्ड डिपॉजिट पर हुआ नुकसान आयकर अधिनियम की धारा 28 के तहत व्यावसायिक हानि नहीं माना जा सकता। अदालत ने इस मामले में धारा 260ए के तहत दायर अपील पर सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट से हुए नुकसान को व्यापारिक हानि या खराब ऋण के रूप में मानने की गुहार लगाई थी।

TELANGANA HC

TELANGANA HC: कोर्ट की टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश अलोक अराधे और न्यायमूर्ति जे. श्रीनिवास राव की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को हुआ नुकसान पूंजीगत हानि के दायरे में आता है और इसे व्यापारिक हानि नहीं माना जा सकता।
खंडपीठ ने कहा:
“जांच अधिकारी ने सबूतों की समीक्षा के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि यह नुकसान पूंजीगत हानि है। अपीलीय प्राधिकरण और आयकर न्यायाधिकरण दोनों ने इस निष्कर्ष को सही ठहराया है। धारा 260ए के तहत अपील में तथ्यात्मक निष्कर्षों की समीक्षा करने का अधिकार सीमित है।”

TELANGANA HC: मामले का पृष्ठभूमि

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याचिकाकर्ता एम. विनायक, जो इलेक्ट्रिकल सामान की बिक्री, मनी लेंडिंग, और शेयर व म्यूचुअल फंड के व्यापार में संलग्न थे, ने वर्ष 2002-03 के लिए अपना आयकर रिटर्न दाखिल किया।
इस रिटर्न में उन्होंने ₹24,74,584/- के नुकसान का दावा किया, जो कृषि बैंक के परिसमापन के कारण फिक्स्ड डिपॉजिट की राशि के खोने से हुआ था।

याचिकाकर्ता ने इस नुकसान को व्यापारिक हानि और खराब ऋण के रूप में मानने की अपील की। हालांकि, जांच अधिकारी ने इसे पूंजीगत हानि मानते हुए कटौती देने से इनकार कर दिया।

इसके बाद, याचिकाकर्ता ने आयकर आयुक्त (अपील) और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर की, लेकिन दोनों ने उनकी अपील को खारिज कर दिया।

TELANGANA HC: याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता के वकील दुव्वा पवन कुमार ने दलील दी कि याचिकाकर्ता का व्यवसाय शेयरों, म्यूचुअल फंड और मनी लेंडिंग से जुड़ा हुआ है।
उनका तर्क था कि यह नुकसान व्यवसाय से संबंधित है और इसे लाभ-हानि की गणना में शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों जैसे बद्रीदास डागा बनाम आयकर आयुक्त, रामचंद्र शिवनारायण बनाम आयकर आयुक्त, और चोटूलाल अजितसिंह बनाम आयकर आयुक्त का हवाला दिया। इन मामलों में व्यवसाय के दौरान हुए नुकसान को व्यापारिक हानि के रूप में स्वीकार किया गया था।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि फिक्स्ड डिपॉजिट की रकम उनके नियमित व्यापारिक संचालन का हिस्सा थी और इसे पूंजीगत हानि मानना गलत है।

TELANGANA HC: राजस्व विभाग का पक्ष

राजस्व विभाग के वकील जे.वी. प्रसाद ने कहा कि यह नुकसान व्यवसायिक संचालन का हिस्सा नहीं था।
उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा किए गए फिक्स्ड डिपॉजिट एक निवेश थे, न कि व्यापार का हिस्सा। इसलिए, इसे पूंजीगत हानि मानना सही है।

वकील ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी ने इसे सही तरीके से याचिकाकर्ता की कुल आय में जोड़ दिया है।

तेलंगाना हाईकोर्ट ने राजस्व विभाग के पक्ष से सहमति जताई।
कोर्ट ने कहा:

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“याचिकाकर्ता द्वारा किए गए फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश के स्वरूप को देखते हुए, बैंक के परिसमापन के कारण हुआ नुकसान केवल पूंजीगत हानि है। इसे खराब ऋण या व्यापारिक हानि के रूप में नहीं माना जा सकता।”

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के सिद्धांत इस मामले पर लागू नहीं होते क्योंकि यह नुकसान व्यापारिक संचालन का हिस्सा नहीं था।

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दर्ज किया गया नुकसान आयकर अधिनियम के तहत पूंजीगत हानि है और इसे व्यावसायिक हानि के रूप में कटौती योग्य नहीं माना जा सकता।

  • मामला: एम. विनायक बनाम उप आयुक्त आयकर
  • याचिकाकर्ता के वकील: दुव्वा पवन कुमार और वाई. रत्नाकर
  • उत्तरदाता के वकील: जे.वी. प्रसाद

TELANGANA HC: न्यायालय की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण क्यों है?

यह फैसला उन मामलों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है जहां फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे निवेश से हुए नुकसान को व्यावसायिक हानि मानने की मांग की जाती है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि व्यवसाय और निवेश के बीच अंतर करना आवश्यक है और नुकसान की प्रकृति के आधार पर उसका वर्गीकरण होना चाहिए।

TELANGANA HC: फिक्स्ड डिपॉजिट नुकसान को व्यावसायिक हानि नहीं माना जा सकता
JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi✌🏻

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