Transfer of Property: भू-संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 109 स्पष्ट रूप से यह निर्धारित करती है कि यदि कोई Lessor अपनी पट्टे पर दी गई संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करता है, तो उस नए स्वामी (अंतरिती) के अधिकार और दायित्व क्या होंगे।
Transfer of Property: धारा 109 का सारांश
- यदि कोई Lessor अपनी लीज़ की गई संपत्ति को या उसके किसी भाग को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करता है, तो नया स्वामी (अंतरिती) सभी कानूनी अधिकारों का उत्तराधिकारी बनता है।
- Lessor के दायित्व और अधिकार अंतरिती को स्थानांतरित हो जाते हैं, जब तक कि कोई भिन्न संविदा न हो।
- Lessee को नए स्वामी (अंतरिती) के प्रति वैसा ही आचरण करना होता है जैसा वह मूल Lessor के साथ करता था।
- अगर अंतरिती Lessee को बेदखल करना चाहता है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
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न्यायिक दृष्टिकोण और निर्णय
विभिन्न न्यायालयों ने धारा 109 की व्याख्या करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं:
- नूतन कुमार बनाम द्वितीय अतिरिक्त जिला जज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम संविदा अधिनियम के सिद्धांतों के अधीन रहेगा।
- बॉ. एन. सरोन बनाम अजीत कुमार पोपलाई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विभाजन को संपत्ति का हस्तांतरण नहीं माना जाएगा।
- मोहन सिंह बनाम देवी चरण: इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोर्ट के आदेश द्वारा विभाजन को हस्तांतरण माना जा सकता है।
अंतरिती के अधिकार और Lessee के प्रति प्रभाव
- अंतरिती, Lessor के सभी अधिकारों को प्राप्त करता है, जिनमें किराया वसूलने और पट्टा समाप्त करने का अधिकार शामिल है।
- यदि कोई Lessee लंबे समय तक किराया देता है, तो वह बाद में अंतरिती के अधिकार को चुनौती नहीं दे सकता।
- अगर Lessor ने संपत्ति को भोग बंधक (usufructuary mortgage) में दिया है, तो बंधकधारी को भी Lessor के सभी अधिकार मिलेंगे।
- विभाजन के परिणामस्वरूप, यदि संपत्ति अलग-अलग हिस्सों में बंट जाती है, तो प्रत्येक हिस्से का नया स्वामी उस पर अधिकार रखेगा और Lessee के प्रति अपने हिस्से में वही अधिकार लागू कर सकेगा।
धारा 109 का महत्व और उद्देश्य
धारा 109 यह सुनिश्चित करती है कि यदि कोई संपत्ति हस्तांतरित होती है, तो नया स्वामी (अंतरिती) उसी अधिकार और दायित्वों का अनुसरण करेगा जो मूल Lessor के पास थे। हालांकि, यदि Lessor और अंतरिती के बीच अलग से कोई संविदा होती है, तो वह इस प्रावधान से अलग प्रभाव डाल सकती है।
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