UPSC CSE 2025: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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By headlineslivenews.com

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UPSC CSE 2025: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2025 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में छूट को लेकर दायर एक याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश पारित किया है।

UPSC CSE 2025: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

इस आदेश के तहत, ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों को आवेदन करने की अनुमति दी गई है। साथ ही, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को निर्देश दिया गया है कि वे इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आवेदन स्वीकार करें कि फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 18 फरवरी को समाप्त हो रही है।

UPSC CSE 2025: याचिकाकर्ता की आपत्ति और मांग

याचिकाकर्ता ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के 21 अक्टूबर 2019 के कार्यालय ज्ञापन, 19 सितंबर 2022 के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ), और 14 फरवरी 2024 को जारी सिविल सेवा परीक्षा अधिसूचना को चुनौती दी थी। याचिका में इस आधार पर इन दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गई थी कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों को आयु में छूट नहीं दी जा रही है, जबकि अन्य आरक्षित श्रेणियों, जैसे अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और महिलाओं को यह छूट दी जाती है।

याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि यह भेदभावपूर्ण है और संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को छह अवसर दिए जाते हैं, लेकिन आयु सीमा में कोई छूट नहीं दी जाती है, और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ भी यही व्यवहार किया जाता है, जबकि अन्य आरक्षित श्रेणियों को अतिरिक्त अवसर और आयु में छूट दी जाती है।

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हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश

याचिकाकर्ता की इस दलील पर विचार करते हुए कि CSE 2025 के लिए आवेदन की अंतिम तिथि निकट आ रही है, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा:

“चूंकि आवेदन की अंतिम तिथि निकट है, इसलिए हम याचिकाकर्ता को आवेदन करने की अनुमति देना उचित समझते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता के साथ-साथ अन्य समान स्थिति वाले उम्मीदवारों के आवेदन को मौजूदा योग्यता या आयु सीमा की शर्तों को ध्यान में रखे बिना स्वीकार करे, लेकिन अन्य शर्तों के अनुपालन के अधीन।”

इसके अलावा, अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल आवेदन स्वीकार करने तक सीमित रहेगा और कोई भी नियुक्ति आदेश बिना अदालत की अनुमति के जारी नहीं किए जाएंगे। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आवेदन सात दिनों के भीतर स्वीकार किए जाएं और यह अदालत के आगे के आदेशों के अधीन रहेगा।

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वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि:

  • सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को छह प्रयास मिलते हैं, लेकिन उन्हें आयु में छूट नहीं मिलती।
  • इसी तरह, ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को भी छह प्रयास दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें भी कोई आयु में छूट नहीं मिलती।
  • जबकि अन्य आरक्षित श्रेणियों (SC/ST/OBC) को नौ प्रयास और तीन वर्ष की आयु में छूट दी जाती है।
  • सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि 10 फरवरी 2025 को एक अन्य परीक्षा के लिए पारित आदेश में अदालत ने कहा था कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी को केंद्रीय सूची में ओबीसी के समान माना जाना चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि केंद्रीय सूची में ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों को नौ अवसर और तीन वर्ष की आयु में छूट मिलती है, जबकि राज्य सूची में ओबीसी उम्मीदवारों को यह लाभ नहीं दिया जाता।

यूपीएससी और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

यूपीएससी की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि:

  • वे मुख्य रूप से परीक्षा के संचालन से संबंधित नियमों के पालन को लेकर चिंतित हैं।
  • उन्होंने एक संक्षिप्त जवाब दाखिल किया है और कहा कि वे इस मामले में एक आवश्यक पक्ष नहीं हैं, इसलिए उन्हें मामले से हटा दिया जाना चाहिए।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने केंद्र सरकार के तहत पदों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर अपने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में स्पष्ट किया था कि:

  • राज्य सूची में ओबीसी श्रेणी में आने वाला व्यक्ति, लेकिन केंद्रीय सूची में न होने वाला व्यक्ति, ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ उठा सकता है।
  • हालांकि, वर्तमान में, ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को आयु में कोई छूट नहीं मिलती है।

याचिकाकर्ता के वकील ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि:

  • यह उचित नहीं है कि केंद्रीय सूची में ओबीसी उम्मीदवारों को अधिक अवसर और आयु में छूट दी जाती है, जबकि राज्य सूची के ओबीसी उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी के समान माना जाता है।
  • ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों को भी ओबीसी के समान लाभ मिलना चाहिए।

मामले की अगली सुनवाई और भविष्य की संभावनाएं

हाईकोर्ट ने इस मामले को दो सप्ताह बाद एक अन्य संबंधित रिट याचिका के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।

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हजारों उम्मीदवारों को मिल सकता है स्थायी लाभ

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह अंतरिम आदेश ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए एक राहत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इससे उन्हें CSE 2025 के लिए आवेदन करने का अवसर मिल गया है। हालांकि, यह निर्णय अंतिम नहीं है और अदालत के आगे के आदेशों के अधीन है।

इस मामले का असर भविष्य में UPSC की नीतियों और EWS श्रेणी को मिलने वाले लाभों पर पड़ सकता है। यदि अदालत याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देती है, तो इससे EWS उम्मीदवारों को आयु में छूट का स्थायी लाभ मिल सकता है, जिससे हजारों उम्मीदवारों को फायदा होगा।

केस टाइटल: आदित्य नारायण पांडे बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

केस नंबर: WP नंबर 14695/2024

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