TELANGANA HC: प्रेरित लगने पर बाल गवाह की गवाही अस्वीकार्य

Photo of author

By headlineslivenews.com

TELANGANA HC: प्रेरित लगने पर बाल गवाह की गवाही अस्वीकार्य

TELANGANA HC: तेलंगाना हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहा कि बाल गवाह की

TELANGANA HC

TELANGANA HC: तेलंगाना हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहा कि बाल गवाह की गवाही को परिवार के बड़ों द्वारा आसानी से प्रभावित किया जा सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में गवाही को बिना साक्ष्यों के स्वीकार करना खतरनाक हो सकता है।

TELANGANA HC

TELANGANA HC: मामला और निर्णय

अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा दर्ज दोषसिद्धि के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। निचली अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 452 और 376 एबी तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 5(i)(j)(m) और धारा 6 के तहत 5 साल और 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इस सजा को रद्द करते हुए आरोपी को बरी कर दिया।

न्यायमूर्ति के. सुरेंदर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत कहानी को अविश्वसनीय बताया। “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत यह दावा कि आरोपी बिना देखे घर में प्रवेश कर गया और चार अन्य परिजनों के पास सो रही बच्ची के साथ बलात्कार किया, मनगढ़ंत और झूठा लगता है,” न्यायाधीश ने कहा।

सचदेवा का केजरीवाल को पत्र: दिल्ली की राजनीति में नया विवाद 2025 !

केजरीवाल का नया हमला: RSS प्रमुख को पत्र लिखकर बीजेपी की नीतियों पर सवाल 2025 !

शिकायतकर्ता, जो पीड़िता की मां हैं, ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि रात में खाना खाने के बाद उनका बड़ा बेटा खाट पर सो गया, जबकि उनका पति, बेटी, छोटा बेटा और दादा एक ही कमरे में पास-पास सो रहे थे।

मां पड़ोस के मंदिर में महिलाओं के साथ बातचीत करने चली गई। जब वह लौटी, तो बेटी ने बताया कि आरोपी ने उसका मुंह बंद कर जबरन बलात्कार किया। पीड़िता ने यह भी कहा कि आरोपी ने उसे धमकाया कि वह चुप रहे।

शिकायत के अनुसार, घटना के तुरंत बाद आरोपी को बुलाकर उससे सवाल-जवाब किए गए। आरोपी ने कथित तौर पर अपराध स्वीकार किया और परिवार को धमकाते हुए वहां से चला गया। मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया।

TELANGANA HC: आरोपी का बचाव

आरोपी के वकील पी. कृष्ण कीर्थना ने तर्क दिया कि पांच लोगों के एक ही कमरे में सोने की स्थिति में ऐसी घटना का होना असंभव है। उन्होंने यह भी कहा कि घटना स्थल से मिले साक्ष्य, जैसे पीड़िता के कपड़ों पर खून के निशान, या किसी भी डीएनए परीक्षण की पुष्टि नहीं हुई।

अदालत ने अभियोजन पक्ष की जांच में कई खामियां पाईं। यह पाया गया कि:

  • अभियोजन पक्ष ने पीड़िता के पिता, दादा और भाई, जो घटना के समय कमरे में मौजूद थे, को गवाही के लिए नहीं बुलाया।
  • पड़ोस के मंदिर के पास की महिलाओं से कोई पूछताछ नहीं की गई।
  • फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में पीड़िता के कपड़ों पर खून के निशान होने की पुष्टि नहीं हुई।

अदालत ने कहा कि यदि घर के पास मंदिर में महिलाएं मौजूद थीं, तो घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी होना चाहिए था। अभियोजन पक्ष ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

अदालत ने यह भी गौर किया कि आरोपी और पीड़िता के परिवार के बीच संपत्ति विवाद था। आरोपी और पीड़िता का परिवार एक ही गांव में रहते थे और उनकी जमीनों को लेकर आपसी विवाद था। आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि इस विवाद के कारण आरोपी को झूठा फंसाया गया। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस तर्क को खारिज कर दिया।

TELANGANA HC: बाल गवाह की गवाही पर अदालत की टिप्पणी

Headlines Live News

हाईकोर्ट ने बाल गवाह की गवाही पर सावधानी बरतने की जरूरत पर जोर दिया। न्यायमूर्ति के. सुरेंदर ने कहा, “बाल गवाह की गवाही को अत्यंत सावधानी से परखा जाना चाहिए। यह गवाही परिवार के बड़ों द्वारा प्रेरित प्रतीत होती है, और अभियोजन पक्ष द्वारा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए।”

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के स्टेट ऑफ यूपी बनाम कृष्ण मास्टर (2010) और पंची बनाम यूपी राज्य (1998) के फैसलों का हवाला दिया। इन मामलों में कहा गया है कि बाल गवाह की गवाही को अतिरिक्त सतर्कता और विश्लेषण के साथ जांचा जाना चाहिए।

अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे, जिससे आरोपी के खिलाफ मामला साबित हो सके। हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष की खामियों और साक्ष्यों की कमी के आधार पर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।

Headlines Live News

TELANGANA HC: मामला

बेगारी रवि कुमार बनाम तेलंगाना राज्य (क्रिमिनल अपील संख्या 88/2024)

  • अपीलकर्ता: पी. कृष्ण कीर्थना (लीगल एड काउंसल)
  • प्रतिवादी: सहायक लोक अभियोजक

तेलंगाना हाईकोर्ट का यह फैसला बाल गवाहों की गवाही के प्रति न्यायपालिका की सतर्कता को रेखांकित करता है। यह निर्णय इस बात पर जोर देता है कि केवल गवाहों की गवाही के आधार पर दोषसिद्धि नहीं की जा सकती, खासकर जब मामला प्रेरित प्रतीत हो।

TELANGANA HC