SUPREME COURT
मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन मामलों में गंभीर चिंता व्यक्त की, जहां अपेक्षाकृत छोटे अपराधों में आरोपित व्यक्ति
जमानत पाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष करते रहते हैं और अंततः शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हो जाते हैं।
यह मुद्दा [जतिन मुरजानी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य] मामले की सुनवाई के दौरान उठा, जिसमें एक व्यक्ति को चुराए गए पैन और
आधार कार्ड का उपयोग करके फर्जी जीएसटी पंजीकरण बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
मामला उत्तर प्रदेश के एक आरोपी से जुड़ा था, जिसे फर्जी जीएसटी पंजीकरण बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था,
जबकि अन्य सह-आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा कि समान परिस्थितियों में
सह-आरोपियों को जमानत मिलने के बाद भी मुख्य आरोपी को हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है।