अमेठी न्यूज़ 2024 : अमेठी हिंदुस्तान के एक बड़े प्रदेश , उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है । राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भी यह एक महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। इस लोक सभा क्षेत्र नगरकेन्द्र में प्रसिद्ध मशहूर हनुमानगढ़ी मन्दिर है ।
अमेठी न्यूज़ 2024 : जाने अमेठी के बारे मे
अमेठी न्यूज़ 2024 अमेठी न्यूज़ लाइव ( हेडलाइन्स लाइव न्यूज ) अमेठी उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है । राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भी अमेठी महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे B.S.P. सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था।
अमेठी में सुल्तान पुर जिले की तीन तहसील है जिनमे से एक है मुसाफिर खाना दूसरी अमेठी ओर तीसरी है गोरीगंज इसी तरह से रायबरेली जिले की दो तहसील है पहली सलोन और दूसरी तिलोई इन सब को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है।
जिनमे से गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इस जिले का नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था परन्तु इसे दुबारा से बदलकर अमेठी कर दिया गया है। अमेठी जिले का एक महत्वपूर्ण शहर और नगर पंचायत क्षेत्र है। जिसे रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है। यह भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि है।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उनके पोते संजय गांधी ओर राजीव गांधी तथा उनकी धर्म पत्नी सोनिया गांधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। 2014 के आम चुनाव मे राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए। कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान ऐरोनोटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है। अमेठी में इंडो गल्फ फर्टीलाइशर्स की एक खाद बनाने की इकाई भी मौजूद है।
ज़िला अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला
अमेठी न्यूज़ 2024 जिसे बीएसपी सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था मूल रूप से अमेठी की स्थापना 1 जुलाई 2010 को हुई लेकिन अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है। अमेठी को सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है।
जाने अमेठी का इतिहास
अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है।
अमेठी न्यूज़ 2024 अमेठी रियासत का इतिहास विवादों और महान व्यक्तित्वों से भरा हुआ है। इस रियासत की स्थापना 966 ईसा पूर्व में राजा सोढ़ देव द्वारा की गई थी। यहां तक कि अमेठी ने अपने अतीत में अनेक आक्रमणों और संघर्षों का सामना किया है, लेकिन उसका मान-सम्मान और गरिमा हमेशा से बनी रही है।
अंग्रेजों ने भी इस रियासत के विलय का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे। 1842 में राजा विशेषवर बख्श सिंह की मौत के बाद, उनकी पत्नी रानी सती महारानी बन गईं। इसके बाद, 1842 में राजा लाल माधव सिंह और फिर 1891 में राजा भगवान बख्श सिंह ने रियासत की निगरानी की। आज भी अमेठी रियासत का इतिहास उसके समृद्ध विरासत, सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन राजनीतिक विविधताओं से भरपूर है। यहां न तो केवल ऐतिहासिक महल और मंदिर हैं, बल्कि यहां की प्राचीन और विशिष्ट संस्कृति भी उत्कृष्ट है।
इस रियासत के इतिहास को और गहराई से समझने के लिए, इसमें समाहित किए गए प्रमुख व्यक्तियों के काम और उनके योगदान को ध्यान में रखना आवश्यक है। यह रियासत न केवल अपने समृद्ध इतिहास से मशहूर है, बल्कि यह एक संगीत, कला, और साहित्य का केंद्र भी है। इस प्रकार, अमेठी रियासत का इतिहास हमें हमारे संस्कृति और इतिहास की अमूल्य धरोहर के प्रति समर्पित करता है।
अमेठी का राजनीतिक इतिहास
अमेठी न्यूज़ 2024 अमेठी क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में स्वीकार किया जाता है, जिसमें गांधी परिवार का प्रमुख स्थान है। यहां से गांधी वंश के नेताओं ने अपना राजनीतिक सफर आरंभ किया और इस क्षेत्र को राजनीतिक मंच पर महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।
1975 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने अमेठी के गांवों में सक्रिय रूप से राजनीति में आने का प्रयास किया। इसके साथ ही, 1977 में लोकसभा चुनावों में संजय गांधी और इंदिरा गांधी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा। यह घटनाएं उनकी राजनीतिक करियर को प्रभावित करती रहीं।
1977 में अमेठी से संसदीय सीट पर जीत हासिल करने वाले रवींद्र प्रताप सिंह जैसे नेताओं ने भी गांधी परिवार के प्रति विश्वास और राजनीतिक बल को चुनौती दी।
1980 में हुए मध्यावधि चुनावों में इंदिरा गांधी की पुनः जीत के साथ ही गांधी परिवार का अमेठी के प्रति संबंध मजबूत हुआ। लेकिन, इसके बाद भी संजय गांधी की मौत के बाद स्थिति बदल गई।
1981 में अमेठी से संसदीय सीट पर चुने गए राजीव गांधी ने गांधी परिवार का नया प्रतिनिधित्व किया। उनके द्वारा अमेठी के विकास के लिए कई योजनाएं आरंभ की गईं और उन्होंने यहां के विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। यानि की अपनी जिम्मेदारी को अमेठी के प्रति ओर मजबूत किया ।
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राजीव गांधी की बलिदानी मौत
अमेठी न्यूज़ 2024 राजीव गांधी की बलिदानी मौत के बाद, अमेठी का राजनीतिक परिदृश्य फिर से बदल गया। इसके बाद राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी ने अमेठी से संसदीय सीट पर चुनाव लड़ा और उन्होंने यहां से चुनाव जीतकर गांधी परिवार के परंपरागत रूप से इस क्षेत्र में राजनीतिक प्रतिनिधित्व को आगे बढ़ाया।
इस प्रकार, अमेठी क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास में गांधी परिवार का योगदान महत्वपूर्ण है, जिसने इस क्षेत्र को राजनीतिक मंच पर विशेष स्थान प्राप्त कराया है।
गांधी परिवार ने कुछ समय बाद अमेठी के सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार संजय सिंह सहित विभिन्न नेताओं के प्रयास और अनुरोध के परिणामस्वरूप राजीव गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा। वे 1981 में अमेठी से सांसद बने और अपने जीवन के अंतिम समय (20 मई 1991) तक संसद में अमेठी की प्रतिनिधित्व किया। उनकी पत्नी मेनका गांधी ने परिवारिक विवाद के कारण इंदिरा गांधी से अलग हो लिया।
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद क्या हुआ ?
अमेठी न्यूज़ 2024 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, जटिल परिस्थितियों में राजीव गांधी को प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ ही महीनों के बाद हुए लोकसभा चुनाव में सहानुभूति लहर ने उन्हें जीत दिलाई और वे देश के पुनः प्रधानमंत्री बने। उन्हें विशेष रूप से युवाओं के बीच ‘मिस्टर क्लीन’ के रूप में प्रसिद्ध किया गया।
अमेठी न्यूज़ 2024 देश एक और चुनाव की ओर बढ़ रहा था कि इसी दौरान 1991 में चुनाव अभियान के दौरान ही राजीव गांधी की नृशंस हत्या हो गई। गांधी परिवार के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा झटका था, क्योंकि उनके छोटे बेटे राहुल और प्रियंका के साथ अकेली सोनिया भी थीं। इस हमले से कांग्रेस को सियासी फायदा मिला और उसकी सत्ता में वापसी हुई। राजीव गांधी की अमेठी की विरासत को उनके परिवार के बेहद करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने संभाला। इस समय शर्मा को गांधी परिवार के साथ करीबी से फायदा भी मिला और वह दो बार लगातार सांसद बने, और केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री का भी कार्यभार उन्हें सौंपा गया। उन्हीं के कार्यकाल में अमेठी क्षेत्र में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की आधारशिला रखी गई। वर्ष 2008 से अब तक यहां युवाओ को फायदा मिल रहा है।
अमेठी न्यूज़ 2024 1998 के लोकसभा चुनाव में, अमेठी रियासत के राजकुमार डॉ. संजय सिंह ने भाजपा के प्रतिष्ठित नेता कैप्टन सतीश शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ा ओर यह चुनाव अमेठी के इतिहास मे नामजद हुआ , जिसमें सोनिया गांधी ने अपने पति राजीव गांधी की पूर्व सीट से प्रतिस्पर्धा की और विजय प्राप्त की। रायबरेली की यह महत्वपूर्ण लोकसभा सीट भी गांधी परिवार के हिस्से मे रही। इसके बाद, सोनिया गांधी ने सियासत को उचाईयों तक ले जाने का निर्णय लिया, और रायबरेली सीट को अपनाया, जबकि राहुल गांधी ने पिता की सियासत का विरासतवार अमेठी लोकसभा सीट पर अपनी जीत का परचम लहराया।
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राहुल गांधी पहली बार सांसद कब बने ?
अमेठी न्यूज़ 2024 राहुल गांधी 2004 में पहली बार अमेठी से सांसद बने, और 2014 के चुनावों में भी अमेठी की जनता ने उन्हें चुना। उनके खिलाफ चुनाव मे खड़ी हुई , भाजपा की अगुआई में स्मृति ईरानी और कुमार विश्वास थे। शेखावाटी 2019 के आम चुनाव में, स्मृति ईरानी ने पहली बार अमेठी से सांसद के रूप में चुनाव लड़ा, और राहुल गांधी को हराकर जीत हासिल की।
अमेठी न्यूज़ 2024 अमेठी के इतिहास में यह सुनहरा अवसर रहा है, जिसमें गांधी परिवार ने सियासत को मजबूती से समझ ओर अपनी पकड़ को साबित किया । अमेठी का इतिहास यहीं नहीं रुकता ही बल्कि भारतीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे एक परिवार ने समय के साथ अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए समर्थन को जीता। इससे स्पष्ट होता है कि अमेठी ने हमेशा राजनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यहाँ के चुनाव हमेशा राजनीतिक सर्वे की धारा निर्धारित करते हैं।












