केरल हाई कोर्ट: ‘हत्या’ के लिए आवश्यक तत्व सिद्ध नहीं: केरल हाई कोर्ट ने साथी की 4 साल की बेटी की हत्या के आरोपी व्यक्ति की सजा को बदला

केरल हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की सजा को बदल दिया, जिस पर 2013 में अपनी साथी की 4 साल की बेटी की

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केरल हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की सजा को बदल दिया, जिस पर 2013 में अपनी साथी की 4 साल की बेटी की मौत का आरोप था। जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस श्याम कुमार वी.एम. की खंडपीठ ने पाया कि आरोपी का बच्ची की हत्या का कोई इरादा नहीं था। इसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने हत्या (धारा 302 भारतीय दंड संहिता) के आरोप को बदलकर गैर-इरादतन हत्या (धारा 304 भाग I भारतीय दंड संहिता) के तहत दोषी ठहराया।

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केरल हाई कोर्ट: कोर्ट ने हत्या का इरादा न होने पर सजा को गैर-इरादतन हत्या में बदला

कोर्ट ने कहा, “हम देखते हैं कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य मुख्य आरोपी (A1) के कार्य को धारा 299 आईपीसी के दूसरे हिस्से के तहत आता है, यानी ऐसा कृत्य जो शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया हो, जो मौत का कारण बन सकता है।”

मामला अक्टूबर 2013 का है, जब आरोपी की साथी की 4 वर्षीय बेटी का शव एक 6 फुट गहरे गड्ढे में पाया गया था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि मुख्य आरोपी रजित ने बच्ची की मां और एक अन्य साथी बेसिल के साथ मिलकर बच्ची की हत्या की साजिश रची थी। आरोप था कि बच्ची को इस जोड़े के रिश्ते के लिए “बाधा” माना जा रहा था।

2018 में ट्रायल कोर्ट ने रजित को हत्या का दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। बच्ची की मां और तीसरे आरोपी बेसिल को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ उनकी अपीलों की सुनवाई की।

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जबकि ट्रायल कोर्ट ने अपना निर्णय परिस्थितिजन्य साक्ष्यों, विशेष रूप से ‘अंतिम बार देखा गया’ सिद्धांत और आरोपी के बयानों पर आधारित शव की बरामदगी पर दिया था, हाई कोर्ट ने इन तत्वों का गहनता से विश्लेषण किया। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के उद्देश्य में कई खामियां पाईं, विशेष रूप से यह कि बच्ची की मां अपनी बेटी को अपने दादा-दादी के पास भेज सकती थी, जैसा कि उसका दूसरा बच्चा पहले से ही वहां रह रहा था। इससे अभियोजन पक्ष के इस दावे को कमजोर किया कि बच्ची इस जोड़े की योजनाओं में बाधा थी।

केरल हाई कोर्ट: अदालत ने हत्या के आरोप को गैर-इरादतन हत्या में बदला

केरल हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की हत्या की सजा को बदलकर गैर-इरादतन हत्या करार दिया, जिसे 2013 में अपनी साथी की 4 वर्षीय बेटी की हत्या का दोषी ठहराया गया था। जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस स्याम कुमार वीएम की डिवीजन बेंच ने पाया कि आरोपी का बच्ची की हत्या करने का इरादा नहीं था। इस आधार पर कोर्ट ने हत्या (आईपीसी की धारा 302) के आरोप को बदलकर गैर-इरादतन हत्या (आईपीसी की धारा 304, भाग 1) में बदल दिया।

कोर्ट ने कहा, “हमने पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि आरोपी द्वारा किया गया कार्य आईपीसी की धारा 299 के अंतर्गत वर्णित दूसरे भाग के अंतर्गत आता है, अर्थात् एक ऐसा कार्य जो जानबूझकर शारीरिक चोट पहुँचाने के इरादे से किया गया था, जो मृत्यु का कारण बन सकता है।”

यह मामला अक्टूबर 2013 का है, जब 4 वर्षीय बच्ची, जो आरोपी की साथी की बेटी थी, का शव 6 फीट गहरे गड्ढे में पाया गया था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी रजीत ने बच्ची की मां और एक अन्य सहयोगी बैसिल के साथ मिलकर बच्ची की हत्या की साजिश रची थी। अभियोजन पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि बच्ची को जोड़े के संबंध में एक “बाधा” के रूप में देखा जा रहा था।

2018 में ट्रायल कोर्ट ने रजीत को हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी। बच्ची की मां और तीसरे आरोपी बैसिल को उम्रकैद की सजा दी गई थी। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ किए गए फैसले की अपील सुनी और इस पर पुनर्विचार किया।

हालांकि ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले को परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित किया, विशेषकर ‘आखिरी बार देखे जाने’ के सिद्धांत और आरोपी के बयान के आधार पर बच्ची का शव बरामद किए जाने पर, हाई कोर्ट ने इन तर्कों की बारीकी से जांच की। अदालत ने अभियोजन पक्ष की मंशा में कई खामियां पाईं और यह तर्क दिया कि बच्ची की मां अपनी बेटी को उसके दादा-दादी के पास भेज सकती थी, जैसा कि उसने अपने दूसरे बच्चे के साथ किया था। इससे अभियोजन पक्ष का दावा कमजोर हुआ कि बच्ची जोड़े की योजनाओं में बाधा थी।

कोर्ट ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि बच्ची की मौत एक हत्या थी, जो कि चिकित्सा साक्ष्यों से सिद्ध होता है। लेकिन हत्या या हत्या के इरादे को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले। इसके बजाय, अदालत ने माना कि आरोपियों ने बच्ची को शारीरिक नुकसान पहुँचाने की साजिश रची, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई।

केरल हाई कोर्ट: मुख्य आरोपी और सह-अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा

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अदालत ने कहा, “अभियोजन पक्ष ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य को संदेह से परे साबित कर दिया है। जिन परिस्थितियों से अपराध का निष्कर्ष निकाला जा रहा है, वे अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से दृढ़ता से स्थापित हो गई हैं। प्रस्तुत किए गए सबूत स्पष्ट रूप से आरोपियों की दोषीता की ओर इशारा करते हैं। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सभी तथ्य एक साथ मिलकर इस निष्कर्ष की ओर इशारा करते हैं कि सभी संभावनाओं के भीतर अपराध आरोपियों ने अवैध रूप से एक साथ साजिश करके और एक सामान्य उद्देश्य की पूर्ति में कार्य करते हुए किया है।”

अंत में, कोर्ट ने रजीत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और बच्ची की मां और बैसिल की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने यह भी कहा कि रजीत और बच्ची की मां को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के तहत लगाए गए आरोपों से बरी किया जाता है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “उन्होंने साजिश रचकर सबूतों को छिपाने का भी प्रयास किया और बच्ची के शव को छिपाया। अत: आरोपी आईपीसी की धारा 304, भाग 1 और 120बी के तहत दोषी ठहराए जाते हैं। जिला और सत्र न्यायालय, एर्नाकुलम द्वारा दिए गए दोषसिद्धि और सजा को रद्द किया जाता है।

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ए1, ए2 और ए3 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है और प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें एक और वर्ष का कारावास भुगतना होगा। ए1, ए2 और ए3 को आईपीसी की धारा 201 के तहत 7 साल के कठोर कारावास और 25,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना न देने की स्थिति में उन्हें छह महीने का और कारावास भुगतना होगा।”

अदालत ने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। साथ ही कोर्ट ने आरोपियों पर लगाई गई 120बी की सजा को अलग से लागू करने की आवश्यकता नहीं समझी।

दिल्ली हाईकोर्ट

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi

'50 सीटों' का फॉर्मूला 1 'NFS कांग्रेस की देन है' धर्मेंद्र प्रधान का पलटवार 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द का प्रभाव 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द के प्रयोग मात्र से पावर ऑफ अटॉर्नी अपरिवर्तनीय नहीं 1 'अब का सलाद खईब' गाने से मनोज तिवारी ने दिखाया महंगाई का दर्द 1 'आतंकवादी' शब्द ने बिगाड़ा माहौल 1 'आप' और बीजेपी के बीच मुकाबला 1 'कस्टम अधिकारी' 'पुलिस अधिकारी' नहीं 1 'कांग्रेस को पीलिया हो गया है' 1 'केसरी चैप्टर 2' का ट्रेलर दर्शकों के दिलों को कर गया छू 1 'गलती से मिस्टेक' 1 'जलसा' बंगला श्वेता बच्चन को किया गिफ्ट? 1 'जाट' की रिलीज से पहले उठे सवाल क्या कला और आस्था के बीच संभव है संतुलन? 1 'जाट' टाइटल पर रणदीप हुड्डा का तीखा जवाब "पहचान खुद फिल्म में सामने आएगी" 1 'जुमलों पर झाड़ू चलाएंगे फिर केजरीवाल को लाएंगे' 1 'ट्रिपल इंजन' सरकार की दिशा में सुदृढ़ कदम 1 'देवा' फिल्म की स्क्रीनिंग में रुकावट से अली गोनी का गुस्सा INOX को किया निशाना 1 'पराक्रमो विजयते' बोले अखिलेश यादव 1 'पुष्पा' पर बड़े प्रड्यूसर की विवादित टिप्पणी 1 'बड़ा भाई' 1 'बिग बॉस 18' के विनर बने करण 1 'बिग बॉस 18' में भी दिखा था अनोखा रिश्ता 1 'बिग बॉस 18' से बनी दोस्ती 1 'बिस्मिल्लाह' के साथ मां बनने की भावुक घोषणा 1 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' का नारा 0 'भूल भुलैया 2' की सफलता और तैमूर का प्यार 1 'भूल भुलैया 2'और 'भूल भुलैया 3' की सफलता 1 'मर्दानी' फ्रेंचाइजी की वापसी का ऐलान 1 'मुफ्त की रेवड़ी' आरोपों पर भाजपा को जवाब 1 'मैया यशोदा' गाने की शूटिंग के दौरान क्या हुआ था? 1 'मोहल्ला बस' से 'नमो बस सेवा' तक 1 'रावण के वंशज' आरोप 1 'लाफ्टर शेफ्स 2' में बर्थडे सेलिब्रेशन 0

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GEMINI 3 FEATURES जो ChatGPT को कर सकते हैं Obsolete

Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और

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Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और नए एल्गोरिदम इंसानों के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना