छठ पूजा: सूर्य देव और छठी मैया की विशेष पूजा का पर्व 2024 !

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By headlineslivenews.com

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छठ पूजा भारत में एक प्रमुख धार्मिक पर्व है जो खासकर उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों, जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाता है।

छठ पूजा: सूर्य देव और छठी मैया की विशेष पूजा का पर्व 2024 !

यह सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा का पर्व है, जिसमें विशेष रूप से डूबते सूर्य और उगते सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्य देव की उपासना पूरे विश्व में की जाती है, लेकिन छठ पूजा का विशेष पहलू यह है कि इसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह एक विशिष्ट और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मान्यता है, जो छठ पूजा के अनूठे पहलू को दर्शाता है।

छठ पूजा: छठ पूजा का धार्मिक महत्व

छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जिसमें प्रकृति और जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक साथ जोड़ा जाता है। इस दिन सूर्य देवता और उनकी पत्नी प्रत्यूषा की पूजा की जाती है। सूर्य देवता को जीवन का स्रोत माना जाता है और उनकी उपासना से न केवल शारीरिक बल मिलता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्राप्त होती है। इस दिन सूर्य के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से संतान सुख और दीर्घायु के लिए की जाती है।

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डूबते सूर्य की पूजा के पीछे की मान्यता

जहां अधिकतर पूजा में उगते सूर्य की उपासना की जाती है, वहीं छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का एक खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अस्त होते सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं और यह समय विशेष रूप से जीवन में हर प्रकार की बाधाओं और दुखों को समाप्त करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां और दुःख समाप्त होते हैं। यह समय दुखों के नाश और आत्मिक शांति के प्राप्ति का होता है। साथ ही, यह मान्यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।

छठ पूजा: सूर्य देव और छठी मैया की विशेष पूजा का पर्व 2024 !

एक और महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि डूबते सूर्य हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। रात के बाद फिर से एक नई सुबह का आना निश्चित होता है, जैसे सूर्य देव के अस्त होने के बाद उनका उगना भी तय होता है। यह संदेश जीवन के संघर्षों में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और हमें यह समझने में मदद करता है कि जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। इसलिए, डूबते सूर्य की पूजा हमें मानसिक रूप से मजबूत और सकारात्मक बनाए रखने का कार्य करती है।

सूर्य देव और छठी मैया की उपासना

छठ पूजा का एक और अहम पहलू यह है कि इसमें सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की पूजा भी की जाती है। सूर्य देवता की उपासना से जीवन में समृद्धि, सुख, और निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है। वहीं, छठी मैया की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से संतान को आशीर्वाद देने और उनके जीवन के संकटों को दूर करने के लिए की जाती है।

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छठ पूजा: छठ पूजा में कठिन व्रत और उसकी प्रक्रिया

छठ पूजा का व्रत काफी कठिन माना जाता है। इस दिन व्रति पूरे दिन का उपवास रखते हैं और रातभर जागकर पूजा करते हैं। व्रत करने वाले महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का उपवास रखते हैं, जिसमें वे न तो पानी पीते हैं और न ही कोई आहार ग्रहण करते हैं। इसके साथ ही इस दिन कई प्रकार के कठिन नियमों का पालन किया जाता है, जैसे कि पूरी तरह से शुद्ध होकर पूजा करना, व्रत की सामग्री में केवल प्राकृतिक वस्तुओं का ही प्रयोग करना, आदि। इन कठिनाइयों के बावजूद, छठ पूजा का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह हमें जीवन में संयम और समर्पण की भावना को समझाता है।

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छठ पूजा: छठ पूजा की पूजा विधि

छठ पूजा में खास तौर पर सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा की जाती है। पहले दिन को ‘नहाय-खाय’ कहते हैं, जिसमें व्रति विशेष रूप से शुद्ध होकर अपने घर में स्वच्छता और वातावरण को शुद्ध करते हैं। दूसरे दिन को ‘खरना’ कहते हैं, जिसमें व्रति अपने परिवार के साथ खास पकवान बनाकर खाते हैं। तीसरे दिन को ‘संध्या अर्घ्य’ कहा जाता है, जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रति नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद चौथे दिन को ‘उषा अर्घ्य’ दिया जाता है, जिसमें उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा: सूर्य देव और छठी मैया की विशेष पूजा का पर्व 2024 !

छठ पूजा: छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी बहुत महत्वपूर्ण है। सूर्य देव की उपासना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। सूर्य की किरणों में विटामिन D होता है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसके अलावा सूर्य की रौशनी से त्वचा और मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। छठ पूजा में जल, सूर्य, और प्रकृति के साथ जुड़कर व्रति अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति को पुनः सक्रिय करते हैं, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ताकत प्रदान करता है।

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छठ पूजा: डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जो केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक महत्व दोनों ही इसे एक खास स्थान देते हैं। यह पूजा जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार करती है और व्रति को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से सशक्त बनाती है। इसलिए छठ पूजा को लेकर विशेष श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया जाता है, क्योंकि यह केवल धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलु को बेहतर बनाने का एक प्रयास है।

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