दिल्ली विधानसभा सत्र: नई दिल्ली- दिल्ली विधानसभा में विशेष सत्र के पहले दिन सभी विधायकों ने शपथ ग्रहण की, लेकिन इस दौरान एक दिलचस्प घटना सामने आई।
आम आदमी पार्टी (AAP) के बदरपुर विधायक राम सिंह नेताजी को अपने नाम के कारण दोबारा शपथ लेनी पड़ी। उन्होंने शपथ ग्रहण करते समय अपना नाम ‘राम सिंह गुर्जर’ पढ़ा, जिससे प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली ने आपत्ति जताई और उन्हें दोबारा शपथ लेने का निर्देश दिया।
दिल्ली विधानसभा सत्र: शपथ ग्रहण के दौरान क्या हुआ?
दिल्ली विधानसभा के पहले सत्र में जब बदरपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक राम सिंह नेताजी शपथ लेने के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने अपना नाम ‘राम सिंह गुर्जर’ के रूप में पढ़ा। यह सुनकर प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली ने तुरंत आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि नोटिस में दर्ज नाम के अनुसार ही शपथ ली जानी चाहिए। विधानसभा के रिकॉर्ड में विधायक का नाम ‘राम सिंह नेताजी’ दर्ज था, इसलिए उन्हें इसी नाम से शपथ लेने के लिए कहा गया।
राम सिंह नेताजी ने इस पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि कई अन्य विधायकों ने अपनी भाषा में शपथ ली है, तो उन्हें अपने नाम के साथ ऐसा करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही। इस पर प्रोटेम स्पीकर ने स्पष्ट किया कि शपथ की भाषा को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन नाम वही होना चाहिए जो आधिकारिक रूप से दर्ज है।
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कहासुनी और दोबारा शपथ
प्रोटेम स्पीकर की इस आपत्ति के बाद सदन में हल्की कहासुनी देखने को मिली। राम सिंह नेताजी ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने दृढ़ता से कहा कि विधानसभा में दर्ज नाम से ही शपथ लेना अनिवार्य है। अंततः, विधायक को निर्देश दिया गया कि वे दोबारा शपथ लें और इस बार अपने आधिकारिक नाम ‘राम सिंह नेताजी’ का ही प्रयोग करें।
इसके बाद, विधायक ने प्रोटेम स्पीकर के निर्देश को मानते हुए दोबारा शपथ ग्रहण की और यह मामला समाप्त हुआ। हालाँकि, इस घटना ने सदन में कुछ समय के लिए हलचल जरूर मचा दी।
मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल ने भी ली शपथ
इससे पहले, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने मंत्रिमंडल के साथ विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। विधानसभा का पहला सत्र सोमवार सुबह शुरू हुआ, जिसमें सभी नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ग्रहण की।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, कपिल मिश्रा, रविंदर सिंह इंद्राज, पंकज कुमार सिंह और मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी शपथ ली।
विपक्ष की ओर से आम आदमी पार्टी (AAP) के 22 विधायकों ने भी पहले सत्र के दौरान शपथ ली। इनमें आप के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल थीं।
प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली का नेतृत्व
दिल्ली विधानसभा के इस विशेष सत्र के दौरान भाजपा के वरिष्ठ विधायक अरविंदर सिंह लवली ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली थी। प्रोटेम स्पीकर का मुख्य कार्य सदन की प्रक्रिया को प्रारंभिक रूप से सुचारू रूप से संचालित करना होता है, जब तक कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता।
अरविंदर सिंह लवली ने विधायकों के शपथ ग्रहण को सुचारू रूप से संपन्न करवाने का प्रयास किया, लेकिन बदरपुर विधायक राम सिंह नेताजी की शपथ को लेकर आई आपत्ति ने सदन में कुछ समय के लिए चर्चा का विषय बना दिया। हालाँकि, स्थिति जल्द ही नियंत्रण में आ गई और सभी विधायकों ने अपनी शपथ प्रक्रिया पूरी की।
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नाम को लेकर विवाद क्यों हुआ?
राम सिंह नेताजी ने अपने नाम में ‘गुर्जर’ जोड़ा, जिससे विवाद खड़ा हो गया। सरकारी दस्तावेजों में उनके नाम की एंट्री ‘राम सिंह नेताजी’ के रूप में दर्ज है।
विधानसभा की प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी विधायक को वही नाम इस्तेमाल करना होता है जो सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद हो। चूंकि नाम बदलने के लिए विधिवत प्रक्रिया होती है और इसे पहले से ही रिकॉर्ड में अपडेट करना होता है, इसलिए बिना आधिकारिक बदलाव के नाम में किसी भी प्रकार की फेरबदल की अनुमति नहीं होती।
यह मामला इसलिए भी दिलचस्प बन गया क्योंकि कई विधायकों ने अपनी मातृभाषा में शपथ ली थी, लेकिन उनके नाम में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में भी कुछ प्रतिक्रियाएँ सामने आईं।
- भाजपा के नेताओं ने इसे आप के विधायकों की अनुशासनहीनता करार दिया और कहा कि विधानसभा में नियमों का पालन होना चाहिए।
- आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि नाम को लेकर विवाद खड़ा करने की कोई जरूरत नहीं थी और यह एक छोटी सी गलती थी।
- कुछ विधायकों ने तर्क दिया कि नाम में उपनाम जोड़ने से किसी भी संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं होता।
भविष्य में क्या होगा?
हालाँकि यह विवाद अधिक गंभीर नहीं था, लेकिन इसने एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है – क्या विधानसभा में नामों को लेकर कोई लचीलापन होना चाहिए? कई बार विधायकों के नाम आधिकारिक रिकॉर्ड में अलग-अलग तरीकों से दर्ज होते हैं, जिससे ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के मुद्दों से बचने के लिए भविष्य में विधानसभा को स्पष्ट नियम बनाने चाहिए ताकि नाम को लेकर किसी भी प्रकार की अनिश्चितता न रहे।
भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए क्या किया जाए?
दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में हुए इस घटनाक्रम ने यह दिखाया कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में नियमों का पालन कितना महत्वपूर्ण होता है। राम सिंह नेताजी को अपने नाम के कारण दोबारा शपथ लेने की घटना ने सदन में हल्की बहस जरूर छेड़ी, लेकिन अंततः मामले को शांतिपूर्वक सुलझा लिया गया।
इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि विधानसभा की प्रक्रिया में कोई भी बदलाव करने से पहले सभी औपचारिकताओं का पालन करना आवश्यक है। भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए संबंधित अधिकारियों और विधायकों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।












