धर्म और आस्था का संगम: 7 नवंबर 2024 का दिन हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा का तीसरा और अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के लिए जाना जाता है।
छठ महापर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन श्रद्धालु व्रत के दौरान निर्जल रहकर शाम को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन करते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। मान्यता है कि इस पूजा से भगवान सूर्य और छठी मइया का आशीर्वाद मिलता है, जिससे परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
धर्म और आस्था का संगम: छठ पूजा के मुख्य अनुष्ठान और विधि
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी संध्या अर्घ्य के दिन श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पूजा में जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान व्रतधारी बांस के सूप में नारियल, केला, सिंघाड़ा, ठेकुआ आदि प्रसाद रखकर सूर्य को अर्पित करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया भक्तिभाव से भरी होती है, जिसमें हर कोई अपने परिवार के कल्याण और सुख-शांति के लिए प्रार्थना करता है।
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धर्म और आस्था का संगम: विशेष मुहूर्त और पंचांग
पंचांग के अनुसार, आज की तिथि, नक्षत्र, योग और करण आदि की जानकारी दी गई है। आज की तिथि कार्तिक शुक्ल षष्ठी है जो 8 नवंबर को सुबह 12:34 बजे तक है, उसके बाद सप्तमी तिथि आरंभ होगी। नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा रहेगा जो सुबह 11:47 बजे तक है, उसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा। योग की बात करें तो धृति योग सुबह 9:52 बजे तक है, उसके बाद शूल योग रहेगा। चंद्रमा धनु राशि में शाम 5:54 बजे तक रहेगा और फिर मकर राशि में प्रवेश करेगा। ये सभी तत्व पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माने गए हैं।
छठ पूजा के संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त शाम 5:32 बजे है। इस समय को अत्यधिक पवित्र और शुभ माना गया है और इसे संध्या अर्घ्य देने का श्रेष्ठ समय माना जाता है।
धर्म और आस्था का संगम: छठ पूजा के दौरान रवि योग का विशेष महत्व
आज के दिन 11:47 बजे से रवि योग भी बन रहा है, जो 8 नवंबर को सूर्योदय तक रहेगा। रवि योग का विशेष महत्व है क्योंकि इस दौरान सभी प्रकार के दोष और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है। रवि योग में भगवान सूर्य के पूजन का विशेष महत्व माना गया है, क्योंकि इससे पाप नाश होता है और भक्त को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धर्म और आस्था का संगम: छठ पूजा के दौरान अन्य धार्मिक अनुष्ठान
छठ पूजा के दिन गुरुवार होने के कारण भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रती भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, जिसमें पीले फूल, हल्दी, पीले अक्षत्, पंचामृत और तुलसी के पत्तों का प्रयोग होता है। पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ किया जाता है। इसके अलावा बृहस्पति चालीसा का पाठ और गुरु के बीज मंत्र का जाप भी किया जाता है। कहा जाता है कि गुरुवार के दिन केले के पौधे की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली के गुरु दोष का निवारण होता है।
धर्म और आस्था का संगम: आज का पंचांग और महत्वपूर्ण समय
7 नवंबर 2024 का पंचांग निम्नलिखित है:
- तिथि: षष्ठी (12:34 एएम तक), फिर सप्तमी
- नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा (11:47 एएम तक), फिर उत्तराषाढ़ा
- करण: कौलव (12:41 पीएम तक), फिर तैतिल
- योग: धृति (09:52 एएम तक), फिर शूल
- चंद्र राशि: धनु (05:54 पीएम तक), फिर मकर
- सूर्योदय: 06:38 एएम
- सूर्यास्त: 05:32 पीएम
- चंद्रोदय: 11:51 एएम
- चंद्रास्त: 10:09 पीएम
- संध्या अर्घ्य मुहूर्त: 05:32 पीएम
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:53 एएम से 05:45 एएम
- अभिजीत मुहूर्त: 11:43 एएम से 12:26 पीएम
- रवि योग: 11:47 एएम से 8 नवंबर को 06:38 एएम तक
धर्म और आस्था का संगम: राहुकाल और दिशाशूल
धर्म और आस्था का संगम: आज का राहुकाल दोपहर 1:26 बजे से 2:48 बजे तक है, जो कि इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को आरंभ नहीं किया जाता है। गुलिक काल सुबह 9:21 से 10:43 बजे तक रहेगा और यमगण्ड काल सुबह 6:38 से 7:59 बजे तक रहेगा। दिशाशूल की बात करें तो दक्षिण दिशा में रहेगा, इसलिए यात्रा करने से बचना चाहिए या शुभ वस्त्र धारण कर यात्रा कर सकते हैं।
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धर्म और आस्था का संगम: रुद्राभिषेक और शिववास
धर्म और आस्था का संगम: छठ पूजा के दिन रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है। रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन से सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। आज का शिववास नन्दी पर है, जो कि आधी रात के बाद भोजन में स्थित रहेगा। इस प्रकार का शिववास अत्यंत फलदायी माना गया है।
धर्म और आस्था का संगम: छठ पूजा का सांस्कृतिक महत्व
धर्म और आस्था का संगम: छठ पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक वस्त्र धारण कर जलाशयों में जाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती हैं। इस पर्व के माध्यम से न केवल श्रद्धालु अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं, बल्कि सूर्य की उपासना से स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख की भी प्रार्थना करते हैं।
धर्म और आस्था का संगम: छठ पर्व के साथ जुड़े धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य
धर्म और आस्था का संगम: सूर्य को जीवन का स्रोत माना गया है और उनकी उपासना से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी सूर्य का प्रकाश स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, क्योंकि इससे शरीर में विटामिन डी का निर्माण होता है। छठ पूजा के दौरान जल में खड़े होकर अर्घ्य देने से सूर्य की किरणें जल के माध्यम से शरीर पर पड़ती हैं, जिससे शरीर को स्वास्थ्य लाभ होता है।
इस प्रकार छठ पूजा का यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसके पीछे छुपे वैज्ञानिक और सांस्कृतिक तथ्य भी इसे विशेष बनाते हैं।