मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है – मुख़्तार अंसारी के जनाजे में क्यों हुई राजनीती ?

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मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है : सांसद अफजाल अंसारी- ये आपकी कृपा पर नहीं है कि आप तय करें कि ये लोग ही मिट्टी देंगे DM- मैं जिला अधिकारी हूं, आपने परमिशन नहीं ली है, हम विधिक कार्रवाई करेंगे सांसद- आप कुछ भी हों, मिट्टी देने के लिए अपने धार्मिक प्रायोजन के लिए किसी परमिशन की जरूरत नहीं DM मैडम को बताना चाहिए कि 144 में अंतिम संस्कार के लिए भी परमिशन लेनी पड़ती है क्या?

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मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है
मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है – मुख़्तार अंसारी के जनाजे में क्यों हुई राजनीती ?
मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है

मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है : मुख्तार अंसारी के गांव के पास का एक कैब चालक।

मैं जिस गाड़ी से दफ्तर आया, उसका ड्राइवर मऊ, मुरारपुर का रहने वाला था। मैंने पूछा मुख्तार नहीं रहे इसका क्या असर पड़ेगा? वो हंसने लगा और मुझसे पूछा कि आप बताइए क्या असर नहीं पड़ेगा? मैंने कहा वो मसीहा थे। उसने पूछा कि अगर मसीहा होते तो सिर्फ एक ही मजहब के लोग आज जनाजे में क्यों जाते? मैंने कहा, तुम ये कैसे कह सकते हो, उसने मुझे वीडियो दिखाया और कहा देखिए इसको और बताइए, क्या मैं गलत बोल रहा हूं? मैंने पूछा भाई कितना पढ़े हो? उसने कहा इतना कि सही और गलत में अंतर बता सकूं? मैंने कहा वो कैसे? उसने कहा कि हम राम मंदिर के लिए खुश हुए। तो लोगों ने हमसे पूछा कि इससे स्कूल मिलेगा? रोजगार मिलेगा? हम भारत की जीत पर खुश हुए तो भी वही सवाल। हम सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने तक जिस बात से भी खुश हुए। हमसे हर बार वही सवाल किया जाता। क्या इससे स्कूल, अस्पताल, घर, राशन, पैसा, नौकरी कुछ भी प्राप्त होगा, लेकिन वही वो उनसे कभी नहीं पूछते। फिर उसने कहा मैं बस उन लोगों से ये पूछना चाहता हूं कि क्या आज वो यही सवाल जनाजे में गए हुए 1 लाख की भीड़ में से किसी एक से भी पूछ सकते हैं। मैं निशब्द था और अबतक दफ्तर आ चुका था। बात अधूरी रह गई।

मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है

कब्रिस्तान पर धारा 144🤦‍♀️

जिला अधिकारी को क्यों है आपत्ति, मिट्टी देने काहे का परमिशन?
अंतिम समय में तो परिवार क्या दुश्मन भी साथ आ जाते हैं।
4 से ज्यादा कंधे किस्मत वालों को ही मिलते हैं, यकीनन भगवान को उनकी कोई एक बात सबसे अच्छी लगी होगी।


जिला अधिकारी गाजीपुर और अफजाल अंसारी के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुईं चुकी जिला अधिकारी अचार संहिता और धारा 144 का हवाला दे रही है दूसरी ओर धार्मिक परंपरा की बात हो रही है मुद्दा केवल भीड़ तंत्र का हैं पर यह दर्शाता हैं कि भीड़ का ज़बाब किसी के पास नही है केवल दंभ है ।

NK MISRA पत्रकार✍️✍️ sanatni Brahman parivar ( twitter user )

मुख़्तार अंसारी मरा नहीं है शहीद हुआ है

धारा-144 के नाम पर ज़िला अधिकारी साहिबा ये तय करने में लग गई की कौन मिट्टी देगा कौन नहीं। आप क्या खाएंगे, आप क्या पहनेंगे के बाद अब सरकार तय करेगी, कितने लोग किसके अंतिम संस्कार में जाएंगे पहले पास बनवाओ फिर अंतिम संस्कार में जाओ?

Rizwan Ahmad Official 🇮🇳@Riz_wan_k ( twitter user )


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Fakhre Alam Farooqi /فخر عالم فاروقی@Reporter_Fakhre ( twitter user )


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