मोईन अली: क्रिकेटर नहीं बनते तो इंग्लैंड की गलियों में मुर्गियां बेचते, कभी खीरा खाकर भरते थे पेट

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By headlineslivenews.com

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मोईन अली: इंग्लैंड के अनुभवी ऑलराउंडर मोईन अली ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। मोईन का 11 साल का अंतरराष्ट्रीय करियर अत्यधिक सफल रहा, जिसमें उन्होंने 68 टेस्ट, 138 वनडे और 92 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले। लेकिन उनके इस सफर में कई चुनौतियाँ रही हैं।

मोईन अली

पाकिस्तानी मूल के मोईन अली के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया तक पहुंचना एक कठिन यात्रा थी। उनका बचपन इंग्लैंड की गलियों में बीता, जहाँ उन्हें क्रिकेट की बुनियादी ट्रेनिंग भी आसानी से नहीं मिली। क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले मोईन ने कभी मुर्गियाँ बेचीं और खीरा खाकर पेट भरा।

इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, मोईन अली ने अपने मेहनत और लगन के बल पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना स्थान बनाया। उनका सफर युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।

मोईन अली: इंग्लैंड के सफल ऑलराउंडर मोईन अली ने लिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास

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इंग्लैंड के सबसे सफल ऑलराउंडरों में शुमार मोईन अली ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। मोईन का करियर 2014 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच से शुरू हुआ था, और उनके क्रिकेट करियर का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला 2024 टी20 वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ खेला गया था।

मोईन अली का क्रिकेट का सफर कभी भी आसान नहीं रहा। उनका परिवार पाकिस्तान के एक छोटे से गांव से इंग्लैंड आया था। उनके पिता, मुनीर अली, का जन्म इंग्लैंड में हुआ था, लेकिन वे पाकिस्तान चले गए। 11 साल की उम्र में, मुनीर अली अपने भाई के साथ इंग्लैंड लौटे, जहां उन्होंने नई शुरुआत की।

मोईन अली का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही गरीब था। कभी-कभी तो उनके पास खाने के लिए पैसे भी नहीं होते थे। ऐसी कठिनाइयों के बीच, मोईन और उनके परिवार ने कड़ी मेहनत की। मोईन ने खुद को सैंडविच और खीरा खाकर पेट भरने की आदत डाली। उनके पिता ड्राइवर के तौर पर काम करते थे और इसके साथ ही, मोईन के भाई शबीर के साथ मिलकर वे घर-घर जाकर मुर्गियां बेचा करते थे, जिससे कुछ अतिरिक्त पैसे मिल जाते थे।

इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, मोईन अली ने क्रिकेट में अपना करियर बनाने की ठान ली। उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा और अपने खेल से इंग्लैंड के क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया। मोईन अली का संघर्ष और सफलता न केवल उनकी मेहनत और समर्पण की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है।

आज मोईन अली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर अपनी यात्रा को समाप्त कर दिया है, लेकिन उनका सफर युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। उनके योगदान और उपलब्धियों को हमेशा याद किया जाएगा, और वे हमेशा इंग्लैंड क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम रहेंगे।

मोईन अली: मोईन अली के क्रिकेट करियर में पिता मुनीर अली की महत्वपूर्ण भूमिका

मोईन अली के क्रिकेटर बनने की यात्रा में उनके पिता मुनीर अली की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। मुनीर अली ने न केवल मोईन अली बल्कि उनके भाई कदीर अली को भी क्रिकेट की ट्रेनिंग दी। जब मोईन अली 13 साल के थे, तब उनके पिता ने उन्हें एक खास डील की पेशकश की। मुनीर अली ने मोईन से कहा, “मुझे तुम्हारे जीवन के दो साल दो और उसके बाद तुम जो चाहोगे कर सकते हो। इस दौरान कोई दोस्त नहीं, कोई गर्लफ्रेंड नहीं… बस क्रिकेट, क्रिकेट, क्रिकेट।”

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इस कठिन डील के बावजूद, मुनीर अली ने अपने बच्चों को क्रिकेट के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया। एक बार मुनीर अली ने अपने बेटे कदीर अली को एक मैच के लिए समरसेट ले जाया और पूरे दिन भूखा रहना पड़ा। मुनीर अली ने इस संघर्ष को याद करते हुए कहा, “मुझे याद है कि एक बार मैंने कदीर को समरसेट में एक मैच में ले जाया और पूरे दिन खाना नहीं खाया था। यह एक कठिन संघर्ष था, लेकिन मैंने अपना मन बना लिया था।”

मोईन अली के क्रिकेट करियर में उनके चचेरे भाई कबीर अली का भी योगदान रहा है, जिन्होंने इंग्लैंड के लिए एक टेस्ट और 14 वनडे खेले। हालांकि, उनके भाई कदीर अली को इंग्लैंड के लिए मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने काउंटी क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी। कदीर अली ने 103 फर्स्ट क्लास मैचों, 64 लिस्ट ए मैचों, और 27 टी20 मैचों में खेला।

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मोईन अली का क्रिकेट करियर अत्यंत सफल रहा। उन्होंने 68 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड के लिए 204 विकेट और 3094 रन बनाए। वनडे क्रिकेट में, मोईन ने 138 मैचों में 111 विकेट और 2355 रन अपने नाम किए। टी20 इंटरनेशनल मैचों में, मोईन अली ने 51 विकेट और 1229 रन बनाए।

उनके करियर की सफलता इस बात का प्रमाण है कि समर्पण, कठिनाई और संघर्ष के बावजूद अगर मन में ठान लिया जाए तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मोईन अली की कहानी क्रिकेट प्रेमियों और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

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