रिज क्षेत्र में अवैध कटाई: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अधिकारियों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है।
कोर्ट ने 3 अधिकारियों पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है और पुनर्वनीकरण के निर्देश दिए हैं।
1. अवैध कटाई और अदालत की अवमानना
रिज क्षेत्र में अवैध कटाई: दिल्ली के रिज क्षेत्र में 1,100 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया, जो सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CAPFIMS) अस्पताल तक पहुंचने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि रिज क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए कोर्ट की पूर्व अनुमति जरूरी है। इसके बावजूद, DDA ने फरवरी 2024 में पेड़ काटे और इस तथ्य को छिपाया कि उसने 4 मार्च, 2024 को कोर्ट में अनुमति के लिए आवेदन करने से पहले ही पेड़ काट दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के चुनावों में मतगणना पर फिर से विवाद 2025 !
10 बोनस अंकों पर लगी रोक: हाईकोर्ट ने हरियाणा की भर्ती अधिसूचना को बताया असंवैधानिक
2. DDA अधिकारियों पर जुर्माना और निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने DDA के तीन अधिकारियों—मनोज कुमार यादव, पवन कुमार और आयुष सरस्वत—पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि, कोर्ट ने DDA के तत्कालीन वाइस चेयरमैन सुभासिश पांडा को इस आधार पर राहत दी कि वे उस समय छुट्टी पर थे और अब इस पद पर नहीं हैं।
3. पुनर्वनीकरण और पर्यावरणीय सुधार के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कई निर्देश जारी किए:
- कमेटी का गठन: कोर्ट ने 3 सदस्यों की एक विशेषज्ञ कमेटी गठित की है, जो रिज क्षेत्र में पुनर्वनीकरण (एफोरेस्टेशन) की योजना बनाएगी और सड़क के दोनों ओर घने पेड़ लगाने की संभावनाएं तलाशेगी।
- सड़क निर्माण: DDA को निर्देश दिया गया है कि वह कनेक्टिंग सड़क का निर्माण कार्य पूरा करे, लेकिन पर्यावरणीय नियमों का पालन करते हुए।
- लाभार्थियों से वसूली: कोर्ट ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण से लाभान्वित होने वाले संपन्न लोगों की पहचान की जाए और उनसे निर्माण लागत के हिसाब से एकमुश्त राशि वसूली जाए।
रोहिणी कोर्ट मे शूरवीर महाराणा प्रताप व पृथ्वीराज चौहान की जयंती | Bolega India
4. लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका पर सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने DDA से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या पेड़ कटाई का आदेश दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वी.के. सक्सेना, जो DDA के चेयरमैन भी हैं, के निर्देश पर हुआ था। हालांकि, डीडीए ने दावा किया कि LG का दौरा CAPFIMS अस्पताल से संबंधित था और उनके सचिवालय में इस दौरे का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि DDA ‘उच्च अधिकारियों को बचाने’ की कोशिश कर रहा है।
5. पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए सख्त कदम
हालांकि कोर्ट ने डीडीए के कार्य को गलत ठहराया, लेकिन यह भी माना कि सड़क चौड़ीकरण का उद्देश्य CAPFIMS अस्पताल तक आपातकालीन वाहनों की पहुंच आसान बनाना था, जो एक ‘सार्वजनिक हित’ का कार्य है। इस कारण कोर्ट ने अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से परहेज किया, लेकिन पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।
यह मामला दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण और शहरी विकास के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।