विमानन कंपनियां घाटे में: भारत का विमानन क्षेत्र (Aviation Sector) हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जहां हवाई यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि देखने को मिल रही है।
यह वृद्धि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ट्रैफिक में है, जो भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के विकास के संकेत हैं। हालांकि, इन सकारात्मक आंकड़ों के बावजूद, भारतीय विमानन कंपनियां अभी भी वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं। इस समय, विमानन कंपनियों को बढ़ती परिचालन लागत, टिकटों के कम दाम और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण मुनाफा बनाने में कठिनाई हो रही है।
विमानन कंपनियां घाटे में: भारत के विमानन क्षेत्र में वित्तीय संकट
विमानन कंपनियां घाटे में: भारत में इस वर्ष के अंत तक एविएशन सेक्टर को 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है, जो इस उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद, घरेलू यात्री ट्रैफिक में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है, और भारतीय विमानन कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि वे अगले कुछ वर्षों में मुनाफे में सुधार कर सकेंगी।
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विमानन कंपनियां घाटे में: बढ़ती यात्री संख्या लेकिन घाटे की स्थिति
ICRA (Investment Information and Credit Rating Agency) ने अनुमान जताया है कि FY2024-25 और FY2025-26 में भारतीय विमानन क्षेत्र को दो से तीन हजार करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा होगा। इसके बावजूद, घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक में साल-दर-साल 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जो FY25 तक 164-170 मिलियन तक पहुंच सकता है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय यात्री ट्रैफिक में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह आंकड़ा FY24-25 के अंत तक 34-36 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
फिर भी, एयरलाइंस मुनाफा कमाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ICRA की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, किंजल शाह का कहना है कि घाटे की स्थिति के बावजूद एयरलाइंस की बेहतर मूल्य निर्धारण शक्ति के कारण यह घाटा पिछले वर्षों की तुलना में कम होगा।
विमानन कंपनियां घाटे में: परिचालन क्षमता और दक्षता पर लगातार प्रभाव
विमानन कंपनियां इस समय कई प्रकार की लागत समस्याओं का सामना कर रही हैं, जिनमें ईंधन की कीमतों में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और ग्राउंडेड विमानों का मुद्दा शामिल है। ICRA के अनुसार, हवाई जहाज के ईंधन की ऊंची कीमतें, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और ग्राउंडेड विमानों ने लागत बढ़ा दी है, जिससे मुनाफे पर दबाव पड़ा है। पिछले साल विमानों के कुल बेड़े का 20-22% विमान ग्राउंडेड थे, जो अब घटकर 144 रह गए हैं, लेकिन फिर भी परिचालन क्षमता और दक्षता पर इसका असर बना हुआ है।
एटीएफ (एयरक्राफ्ट टर्बाइन फ्यूल) की कीमतें, जो विमानन कंपनियों के खर्च का 30-40% हिस्सा होती हैं, FY2025 में अब तक साल-दर-साल 6.8% घटकर 96,192 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई हैं, लेकिन यह कोविड से पहले के स्तर से काफी ऊपर है। इसके अलावा, विमान के पट्टे और रखरखाव सहित लगभग आधे खर्च डॉलर में होते हैं, जिससे एयरलाइंस मुद्रा में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होती हैं।
एयरलाइंस के लिए कीमतें बढ़ाना चुनौतीपूर्ण
भारत में विमानन क्षेत्र अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है, और इसी कारण एयरलाइंस के लिए हवाई टिकटों की कीमतें बढ़ाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में घरेलू हवाई किराए साल 2015 के स्तर के आसपास या उससे नीचे हैं, जबकि जेट ईंधन की कीमतें और मुद्रास्फीति बढ़ रही हैं। इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स का कहना है कि “भारतीय बाजार दुनिया के सबसे अधिक मूल्य-संवेदनशील बाजारों में से एक है। यहां एयरलाइंस को अपनी लागत के अनुरूप कीमतें तय करनी होती हैं।”
जेट एयरवेज और गो फर्स्ट के बंद होने के बावजूद, एयर टिकटों की कीमतों में प्रतिस्पर्धा कम नहीं हुई है। इसके बजाय, इंडिगो, एयर इंडिया और अकासा एयर ने 90 से अधिक विमान जोड़े हैं, जिससे टिकट की कीमतों पर और दबाव बढ़ा है। एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कहा कि विमानन व्यवसाय की प्रतिस्पर्धी गतिशीलता के कारण, टिकट की कीमत ग्राहक के लिए आरामदायक बनी रहेगी, क्योंकि सभी एयरलाइंस को अपने विमानों को भरने की आवश्यकता है।
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यात्री ट्रैफिक में वृद्धि और लाभ की उम्मीद
चुनौतियों के बावजूद, भारतीय विमानन क्षेत्र में सुधार की उम्मीदें भी जगी हैं। ICRA को FY2024-25 की दूसरी छमाही में बेहतर यात्री ट्रैफिक की उम्मीद है, जिससे लाभ में संभावित सुधार हो सकता है। एयरलाइंस लागत नियंत्रण पर भी ध्यान दे रही हैं और अधिक मुनाफे वाले बाजारों में प्रवेश करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिचालन का विस्तार कर रही हैं। हालांकि, मुनाफे की ओर जाने के लिए एयरलाइंस को रणनीतिक किराया समायोजन और परिचालन क्षमता में वृद्धि की आवश्यकता होगी।
ICRA की किंजल शाह का कहना है, “प्रति उपलब्ध सीट किलोमीटर राजस्व और प्रति उपलब्ध सीट किलोमीटर लागत के बीच का अंतर FY2023-24 की तुलना में H1 FY2024-25 में कुछ कम हुआ है। फिर भी, H2 FY2024-25 में इसके बढ़ने की उम्मीद है।”
हवाई यात्री संख्या में वृद्धि लेकिन घाटे में बनी एयरलाइंस
भारत का विमानन क्षेत्र ग्रोथ और चुनौतियों के बीच एक कठिन संतुलन बना रहा है। हवाई यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है, लेकिन लागत बढ़ने और मुनाफा कम होने के कारण कंपनियां अभी भी घाटे में हैं। इस स्थिति में सुधार के लिए एयरलाइंस को अपनी परिचालन क्षमता को बेहतर बनाना होगा और लागत नियंत्रण पर जोर देना होगा। इसके अलावा, बाजार की प्रतिस्पर्धा को देखते हुए एयरलाइंस को सही मूल्य निर्धारण नीति अपनानी होगी ताकि वे अपने वित्तीय संकट से उबर सकें।