संविधान की छाया में प्रेम: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2025 !

संविधान की छाया में प्रेम: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले में फैसला सुनाते हुए

संविधान की छाया में प्रेम: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2025 !

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संविधान की छाया में प्रेम: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले में फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि जब दो वयस्क व्यक्ति अपनी मर्जी से एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुनते हैं, तो यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

संविधान की छाया में प्रेम: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2025 !
संविधान की छाया में प्रेम: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2025 !

इस निर्णय के केंद्र में व्यक्तिगत स्वायत्तता, गरिमा और संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का संरक्षण है, न कि परिवार, समाज या जाति की स्वीकृति।

संविधान की छाया में प्रेम: जीवनसाथी चुनना वयस्कों का संवैधानिक अधिकार

यह ऐतिहासिक टिप्पणी न्यायमूर्ति वसीम सादिक नारगल की एकल पीठ ने उस समय दी जब उनके समक्ष एक नवविवाहित जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस याचिका में दंपति ने यह आरोप लगाया कि उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार कानूनी रूप से विवाह कर लिया है, लेकिन परिवार इस विवाह से सहमत नहीं है और उनकी जान को खतरा है। इसलिए, वे राज्य से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

इस याचिका में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीनेश शर्मा ने पैरवी की जबकि जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की ओर से वरिष्ठ अपर एडवोकेट जनरल मोनिका कोहली अदालत में उपस्थित रहीं। अदालत ने अपने निर्णय में संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लेख करते हुए कहा कि जीवनसाथी चुनना व्यक्ति की पसंद की अभिव्यक्ति है, जो संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों में शामिल है।

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स्वतंत्रता और गरिमा एक-दूसरे से जुड़ी हैं

जस्टिस नारगल ने कहा, “जब दो वयस्क आपसी सहमति से विवाह करते हैं, तो यह उनका व्यक्तिगत निर्णय होता है जिसे संविधान द्वारा संरक्षण प्राप्त है। यह अधिकार न तो वर्ग, न सम्मान और न ही किसी सामूहिक सोच के दबाव में झुक सकता है। इस पर किसी भी तरह की सामाजिक सहमति की आवश्यकता नहीं है।”

उन्होंने यह भी कहा कि संवैधानिक अदालतों का दायित्व है कि वे नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करें। स्वतंत्रता और गरिमामय जीवन का आपसी संबंध है, और यदि किसी व्यक्ति की अपनी पसंद के अनुसार जीवन जीने के अधिकार में बाधा उत्पन्न की जाती है, तो यह उसकी गरिमा के अधिकार का हनन है।

संविधान की छाया में प्रेम

विवाह की वैधता और उम्र की जांच के बाद ही सुरक्षा

कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी है कि याचिकाकर्ताओं की उम्र और उनके विवाह की वैधता की जांच की जाए। यदि यह जांच संतोषजनक पाई जाती है, तो उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए। इसके साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आपराधिक जांच लंबित है, तो वह जांच कानून के अनुसार की जाए, लेकिन इसमें उनकी स्वतंत्रता में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

इस फैसले में अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश याचिकाकर्ताओं के विवाह की वैधता या उनकी उम्र की पुष्टि नहीं करता है, जो कि कानून के अनुसार संबंधित अधिकारियों द्वारा सत्यापन के अधीन है। अदालत का यह आदेश केवल इस बात को मान्यता देता है कि यदि कोई वयस्क व्यक्ति अपनी पसंद से किसी के साथ विवाह करता है, तो यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा से जुड़ा संवैधानिक अधिकार है।

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इस आदेश के दूरगामी प्रभाव होंगे। भारत जैसे विविधतापूर्ण और जाति-समाज आधारित सोच से प्रभावित देश में, जहां आज भी अंतर-जातीय या प्रेम विवाह को कई बार सामाजिक विरोध का सामना करना पड़ता है, यह निर्णय संविधान की मूल भावना को उजागर करता है। यह अदालतों के उस दायित्व की भी याद दिलाता है कि जब राज्य या समाज किसी नागरिक की गरिमा और स्वतंत्रता को खतरे में डालता है, तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना चाहिए।

संविधान सर्वोपरि जाति-धर्म से ऊपर है व्यक्ति की स्वतंत्रता

इस फैसले के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया है कि भारतीय संविधान किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति, धर्म, वर्ग या समुदाय से ऊपर उठकर स्वतंत्र रूप से जीवन जीने और अपनी पसंद के निर्णय लेने का अधिकार देता है। किसी भी प्रकार का पारिवारिक, सामाजिक या सांस्कृतिक दबाव इस संवैधानिक स्वतंत्रता पर हावी नहीं हो सकता।

इस आदेश ने न केवल नवविवाहित जोड़े को सुरक्षा प्रदान की है, बल्कि समाज को यह भी सिखाया है कि व्यक्तिगत निर्णयों का सम्मान करना और उन्हें संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के तहत देखना आवश्यक है।

संविधान की छाया में प्रेम

संक्षेप में, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का यह फैसला संविधान में निहित मूल्यों की पुनः पुष्टि करता है और उन नागरिकों को शक्ति प्रदान करता है जो समाज के पारंपरिक ढांचों के खिलाफ जाकर अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं। यह निर्णय निश्चित रूप से एक नज़ीर बनेगा और आने वाले समय में कई ऐसे मामलों में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा।

केस टाइटल: अनामिका देवी बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश

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DIGITAL INDIA की सुविधा: अब नहीं होगी RC गुम होने की टेंशन, जानिए आसान डिजिटल तरीका 2025 !

DIGITAL INDIA: अगर आपकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) खो गई है या आप उसे साथ

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DIGITAL INDIA: अगर आपकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) खो गई है या आप उसे साथ ले जाना भूल गए हैं, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

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अब भारत सरकार की ओर से लॉन्च किए गए DigiLocker और mParivahan जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की मदद से आप अपनी RC को मोबाइल फोन से ही डाउनलोड कर सकते हैं। यह डिजिटल डॉक्यूमेंट कानूनी रूप से मान्य होता है और ट्रैफिक पुलिस या किसी भी सरकारी जांच एजेंसी द्वारा इसे स्वीकार किया जाता है।

क्या है RC और क्यों है जरूरी?

DIGITAL INDIA: RC यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वह दस्तावेज है, जो यह प्रमाणित करता है कि वाहन कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है और किस व्यक्ति के नाम पर है। जब आप कोई नई गाड़ी खरीदते हैं, चाहे वह दोपहिया हो या चारपहिया, तो RTO द्वारा जारी की गई RC आपके नाम पर दी जाती है। इसमें वाहन की रजिस्ट्रेशन संख्या, इंजन नंबर, चेसिस नंबर और मालिक की जानकारी जैसे विवरण होते हैं।

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RC की जरूरत तब पड़ती है जब:

  • आप ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोके जाते हैं
  • गाड़ी बेचनी हो
  • इंश्योरेंस क्लेम करना हो
  • वाहन के लोन या ट्रांसफर की प्रक्रिया करनी हो
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RC खो गई? ऐसे करें ऑनलाइन डाउनलोड

DIGITAL INDIA अगर आपकी RC गुम हो गई है तो आप उसे घर बैठे ही दो तरीके से डाउनलोड कर सकते हैं — पहला Vahan Portal के जरिए और दूसरा DigiLocker App के जरिए।

1. Vahan Portal से RC डाउनलोड करने की प्रक्रिया:
  1. सबसे पहले Vahan Parivahan वेबसाइट पर जाएं।
  2. “Online Services” टैब पर क्लिक करें और “Vehicle Related Services” को चुनें।
  3. अब अपने राज्य का चयन करें।
  4. अगली स्क्रीन पर आपसे रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और OTP मांगा जाएगा, उसे दर्ज करें।
  5. लॉग इन करने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर डालना होगा।
  6. इसके बाद ‘Download Document’ या ‘RC Print’ जैसा विकल्प चुनें।
  7. कुछ ही सेकंड में आपकी डिजिटल RC स्क्रीन पर दिखाई दे जाएगी, जिसे आप डाउनलोड या प्रिंट कर सकते हैं।
2. DigiLocker से RC डाउनलोड करने का तरीका:
  1. DigiLocker ऐप या वेबसाइट पर जाएं।
  2. अपने आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर से लॉगिन करें।
  3. ‘Issued Documents’ सेक्शन में जाएं और ‘Ministry of Road Transport and Highways’ को सिलेक्ट करें।
  4. अब ‘Registration Certificate’ पर क्लिक करें।
  5. अपने वाहन की डिटेल्स (जैसे रजिस्ट्रेशन नंबर) भरें।
  6. ध्यान रखें कि आधार पर जो नाम है, वही RC पर भी होना चाहिए, तभी डॉक्यूमेंट लिंक हो पाएगा।
  7. डॉक्यूमेंट आपके अकाउंट में सेव हो जाएगा, जिसे आप कभी भी देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर प्रेजेंट कर सकते हैं।

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क्या डिजिटल RC मान्य है?

जी हां, भारत सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है कि DigiLocker या mParivahan से डाउनलोड की गई डिजिटल आरसी पूरी तरह से वैध है। आप चाहे किसी भी राज्य में हों, यह डॉक्यूमेंट सभी सरकारी अधिकारियों और ट्रैफिक पुलिस द्वारा स्वीकार किया जाएगा। फिजिकल कॉपी साथ न होने की स्थिति में डिजिटल डॉक्यूमेंट दिखाना पर्याप्त है।

संविधान की छाया में प्रेम

DIGITAL INDIA अब ऑनलाइन पाए मिनटों में समाधान

DIGITAL INDIA की पहल के तहत अब वाहन संबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन एक्सेस करना बेहद आसान हो गया है। RC जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज को गुम हो जाने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। बस अपने मोबाइल से कुछ स्टेप्स फॉलो करें और कुछ ही मिनटों में कानूनी रूप से मान्य RC प्राप्त करें। यह सुविधा ना केवल समय बचाती है, बल्कि आपको कागजी दस्तावेजों को साथ रखने की झंझट से भी छुटकारा देती है।