सीता नवमी के अवसर : वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था। इस वर्ष, सीता नवमी 16 मई को मनाई जाएगी। यह पर्व माता सीता की पूजा और व्रत का दिन होता है।
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सीता नवमी के अवसर : माता सीता की उपासना और व्रत का महत्व
सीता नवमी के अवसर मान्यता है कि इस दिन पूजा के दौरान सीता नवमी व्रत कथा का पाठ न करने से पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए सीता नवमी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह पर्व धार्मिक और सामाजिक महत्व का है, जिसमें भक्तों ने स्त्री शक्ति की पूजा और विशेष रूप से माता सीता की उपासना की जाती है। इस दिन विशेष धार्मिक कार्यक्रम और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है, जो समाज को सामूहिक रूप से उत्साहित करता है।
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सीता नवमी: माता सीता के अद्वितीय प्रकट्य का उत्सव
सीता नवमी के अवसर सनातन धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बेहद शुभ माना गया है। क्योंकि इस दिन मां सीता का प्राकट्य हुआ था। इसलिए हर वर्ष सीता नवमी के पर्व को अधिक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस खास अवसर पर सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही मां सीता और भगवान श्री राम की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पूजा के दौरान सीता नवमी व्रत कथा का पाठ न करने से पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए सीता नवमी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
सीता नवमी व्रत कथा
सीता नवमी के अवसर रामायण के अनुसार, मिथिला नगरी में एक समय की बात है जब बारिश बारे समय तक नहीं हो रही थी। इस सूचना के साथ राजा जनक बेहद चिंतित हो गए। उन्होंने इस समस्या को लेकर ऋषि-मुनियों से परामर्श लिया और समाधान के लिए प्रार्थना की। ऋषि-मुनियों ने राजा जनक को खेत में हल चलाने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि अगर राजा जनक ऐसा करें, तो निश्चित ही बारिश होगी। राजा जनक ने ऋषि-मुनियों की बात मानी और वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को खेत में हल चलाने का निर्णय लिया। उनके हल चलाने के बाद कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन इसके बाद भूमि में कुछ अज्ञात वस्तुएं मिलीं, जिसे देखते हुए राजा जनक ने खुदाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई।